पूजन विधिव्रत त्योहार

Shiv Abhishek – शिव अभिषेक पूजन विधि मंत्र सहित, संपूर्ण शिव अभिषेक पूजा विधि, विधि विधान के अनुसार शिव अभिषेक

 

Shiv Ling Abhishek in Hindi
Shiva Abhishek in Hindi

 

सावन के महीने में या शिवरात्रि पर भगवान शिव की विशेष रूप से पूजा- पाठ की जाती हैं, और इन त्‍यौहारोंं पर अभिषेक करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। शिव अभिषेक अगर विधि विधान से किया जाए तो शिव जी प्रसन्‍न होते है और आपको उस अभिषेक का फल भी अवश्‍य मिलता है। यदि आप शिव जी का अभिषेक करना चाहते है और आपको शिव जी का अभिषेक करने के लिए आपको विधि, सामग्री का पता नहीं है तो हम आपको यहॉं शिव जी के अभिषेक की जानकारी संपूर्ण विधि विधान के साथ बता रहे है इसे पढ़कर आप शिव जी के अभिषेक विधि विधान से कर पाएंगे।

 

शिव अभिषेक सामग्री
  • शिवलिंग
  • दूध
  • दही
  • घी
  • शहद
  • शक्‍कर
  • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्‍कर को मिलकर बनाइये)
  • गंगा जल
  • आचमन ( जल में थोड़ा कर्पूर मिलकर बनाइए )
  • जल
  • गंधोदक – (केसर को चंदन से घिसकर पीला द्रव्य बना ले)
  • इत्र (परिमलद्रव्य)
  • लाल कपड़ा
  • मौली/ कलावा
  • वस्त्र (कलावा के टुकड़े)
  • तौलिआ
  • जनेऊ (यज्ञोपवीत)
  • अष्ट गंध
  • अर्घ्य – ( जल में अष्ट गंध और फूल की पत्तियां मिलाकर बनाइये )
  • फूल
  • फूल माला
  • फल
  • धतूरा
  • धूप, अगरबती
  • माचिस
  • रुई
  • दो ज्योति
  • बिल्व पत्र (बेल पत्र)
  • दूर्वा
  • शमी पत्र
  • पान के पत्ते
  • सुपारी
  • लौंग
  • छोटी इलाइची
  • पॉंच पात्र
  • नारियल पानी वाला (तोड़ने के लिए, नारियल का पानी शिवलिंग पर नहीं चढ़ाया जाता )
  • धतूरे के पत्ते और फूल
  • आक/अकौआ के पत्ते और फूल
  • नैवेद्य (मिठाई)
  • दक्षिणा

 

शिव अभिषेक 

 

भगवान शंकर की पूजा के समय शुद्ध आसन पर बैठकर पहले आचमन, पवित्री-धारण, शरीर-शुद्धि और आसन-शुद्धि कर लेनी चाहिये। तत्‍पश्‍चात् पूजन-सामग्री को यथास्‍थान रखकर रक्षादीप प्रज्‍वलित कर ले, तदनन्तर स्वस्ति-पाठ करे। इसके बाद पूजन का संकल्प कर तद्ङ्गभूत भगवान् गणेश एवं भगवती गौरी का का स्मरण कर पूजन करना चाहिये। रुद्राभिषेक, लघुरुद्र, महारुद्र तथा सहस्त्रार्चन आदि विशेष अनुष्ठानों में नवग्रह, कलश, षोडशमातृका आदिका भी पूजन करना चाहिये। यदि ब्राह्मणों द्वारा अभिषेक-कर्म सम्‍पन्‍न हो रहा हो तो पहले उनका पादप्रक्षालनपूवर्क अर्घ्य, चंदन, पुष्पमाला आदि से अर्चन करे, फिर वरणीय सामग्री हाथ में ग्रहणकर संकल्पपूर्वक उनका वरण करे।

वरण का संकल्प – ॐ अद्य… मम…. रुद्राभिषेकारव्‍ये कर्मणि एभिवरणद्रव्यैः अमुकामुकगोत्रोत्पन्नान् अमुकामुख-                                     नाम्नो ब्राह्मणान् युष्‍मानहं वृणे।

तदनन्तर ब्राह्मण बोलें – ‘वृताः स्मः’।

 

भगवान् शंकर की पूजा में उनके विशिष्‍ट अनुग्रह की प्राप्ति के लिये उनके परिकर-‍परिच्‍छद एवं पार्षदों का भी पूजन किया जाता है। संक्षेप में उसे भी यहॉं दिया जा रहा है।

 

नंदीश्वर-पूजन

ॐ अयं गौः पृश्निक्रमीदसदन् मातरं पुरः। पितरं च प्रयन्तस्वः ॥

पूजन करके नीचे लिखी प्रार्थन करे-

ॐ प्रैतु वाजी कनिक्रदन्नानदद्रासभः पत्‍वा।

भरन्‍नग्निं पुरुष्यं मा पाद्यायुषः पुरा।।

 

वीरभद्र-पूजन

ॐ भद्रं कर्णेभिः श्रृणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः।

स्थिरैरङ्गैस्तुष्‍टुवा: सस्तनूभिर्व्यशेमहि देवहितं यदायुः ॥

पूजनं करके नीचे लिखी प्रार्थना करे-

ॐ भद्रो नो अग्निराहुतो भद्रा राति: सुभग भद्रो अध्वरः।

भद्रा उत प्रशस्‍तयः।।

 

कार्तिकेय-पूजन

ॐ यदक्रन्दः प्रथमं जायमान उद्यन्त्समुद्रादुत वा पुरीषात्।

श्येनस्य पक्षा हरिणस्य बाहु उपस्तुत्यं महि जातं ते अर्वन्॥

पूजन करके नीचे लिखी प्रार्थना करे-

ॐ यत्र बाणा: सम्‍पतन्ति कुमारा विशिखा इव। तन्न इन्द्रो बृहस्पतिरदितिः शर्म यच्छतु विश्वाहा शर्म यच्छतु ॥

 

कुबेर-पूजन

ॐ कुविदङग यवमन्तो यवं चिद्यथा दान्त्यनुपूर्वं वियूय।

इहेहैषां कृणुहि भोजनानि ये बर्हिषो नम उक्तिं यजन्ति ॥

पूजा करके नीचे लिखी प्रार्थना करे-

ॐ वय्ँ सोम व्रते तव मनस्तनूषु बिभ्रतः। प्रजावन्तः सचेमहि ॥

 

कीर्तिमुख-पूजन

ॐ असवे स्वाहा वसवे स्वाहा विभुवे स्वाहा विवस्वते स्वाहा

गणश्रिये स्वाहा गणपतये स्वाहाऽभिभुवे स्वाहाऽधिपतये स्वाहा

शुषाय स्वाहा स सूर्याय स्वाहा चन्द्राय स्वाहा ज्योतिषे स्वाहा

मलिम्लुचाय स्वाहा दिवा पतयते स्वाहा।।

पूजन करके नीचे लिखी प्रार्थना करे-

ॐ ओजश्च मे सहश्च म आत्मा च मे तनुश्च मे शर्म च

मे वर्म च मेऽङ्गानि च मेऽस्थीनि च मे परूषि च मे शरीराणि

च म आयुश्च मे जरा च मे यज्ञेन कल्पन्ताम्।

 

सर्प-पूजन

जलहरी में सर्प का आकार हो तो सर्प का पूजन कर पश्‍चात् शिव-पूजन करे।

 

शिव-पूजन

सर्वप्रथम हाथ में बिल्‍वपत्र और अक्षत लेकर भगवान् शिव का ध्‍यान करे।

 

ध्यान – ध्यायेन्नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारुचन्‍द्रावतंसं

 रत्नाकल्पोज्ज्‍वलाङ्गं परशुमृगवराभितिहस्तं प्रसन्नम्।

 पद्मासीनं समन्तात् स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं

 विश्वाद्यं विश्ववन्द्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम् ॥

ॐ नमस्ते रुद्र मन्यव उतो त इषवे नमः। बहुभ्यामुत ते नमः॥

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्‍बसदाशिवाय नमः, आसनार्थे बिल्वपत्राणि समर्पयामि।

(ध्यान करके शिव पर बिल्वपत्र चढ़ा दे।)

 

आसन – ॐ या ते रुद्र शिवा तनूरघोराऽपापकाशिनी।

    तया नस्तन्वा शन्तमया गिरिशन्‍ताभि चाकशीहि।।

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्‍बसदाशिवाय नमः, आसनार्थे बिल्वपत्राणि समर्पयामि।

(आसन के लिए बिल्वपत्र चढ़ाये।)

 

पाद्य – ॐ यामिषुं गिरीशन्‍त हस्ते बिभर्ष्‍यस्तवे।

शिवां गिरित्र तां कुरु मां हि सीः पुरुषं जगत् ॥

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्‍बसदाशिवाय नमः, पादयोः पाद्यं समर्पयामि।

(जल चढ़ाये।)

 

अर्घ्य – ॐ शिवेन वचसा त्वा गिरिशाच्‍छा वदामसि।

यथा नः सर्वमिज्ज्‍गदयक्ष्म्ँ सुमना असत् ॥

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्‍बसदाशिवाय नमः, हस्तयोरर्ध्य समर्पयामि।

(अर्घ्य समर्पित करे।)

 

आचमन – ॐ अध्यवोचदधिवक्ता प्रथमो दैव्यो भिषक्।

     अहींश्च सर्वांजम्‍भयन्त्सर्वश्च यातुधान्योऽधराचीः परा सुव ॥

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्‍बसदाशिवाय नमः, आचमनीयं जलं समर्पयामि।

(जल चढ़ाये।)

 

स्नान – ॐ असौ यस्ताम्रो अरुण उत बभ्रुः सुमङ्गलः।

ये चैन रुद्र अभितो दिक्षु श्रिताः सहस्त्रशोऽवैषा हेड ईमहे॥

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्‍बसदाशिवाय नमः,स्नान्यं जलं समर्पयामि। स्नानान्ते आचमनीयं जलं च समर्पयामि।

(स्‍नानीय और आचमनीय जल चढ़ाये।)

 

पय:स्नान – ॐ पयः पृथिव्यां पय ओषधिषु पयो दिव्यन्तरिक्षे पयो धा:।

        पयस्वती: प्रदिशः सन्तु मह्यम्।।

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्‍बसदाशिवाय नमः, पय:स्नानं समर्पयामि, पय:स्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि, शुद्धोदक- स्नानान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।

(दूध से स्नान कराये, पुनः शुद्ध जल से स्नानकराये और आचमन के के लिए जल चढ़ाये।)

 

दधिस्नान – ॐ दधिक्राव्‍णो अकारिषं जिष्णोरश्‍वस्य वाजिनः।

       सुरभि नो मुखा करत्प्र ण आयू षि तारिषत् ॥

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्‍बसदाशिवाय नमः, दधिस्नानं समर्पयामि, दधिस्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि, शुद्धोदकस्नानन्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।

(दही से स्नान कराकर शुद्ध जल से स्नान कराये और आचमन के लिए जल समर्पित करे।)

 

घृतस्नान – ॐ घृतं मिमिक्षे घृतमस्य योनिर्घृते श्रितो घृतमवस्य धाम।

      अनुश्वधामा वह मादयस्व स्वाहाकृतं वृषभ वक्षि हव्यम् ॥

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्‍बसदाशिवाय नमः, घृतस्नानं समर्पयामि, घृतस्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि, शुद्धोदकस्नान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।

(घृत से स्नान कराकर शुद्ध जल से स्नान कराये और पुनः आचमन के के लिए जल चढ़ाये।)

 

मधुस्नान – ॐ मधु वाता ऋतायते मधु क्षरन्ति सिन्‍धवः। माधवीर्नः सन्त्‍वोषधौः ॥

       मधु नक्तमुतोषसो मधुमत्पार्थिव रजः। मधु द्यौरस्तु नः पिता॥

       मधुमान्नो वनस्पतिकर्मधुमाँर अस्तु सूर्यः। माधवीर्गावो भवन्तु नः ॥

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्‍बसदाशिवाय नमः, मधुस्नानं समर्पयामि, मधुस्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि, शुद्धोदकस्नान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।

(मधु से स्नान कराकर शुद्ध जल से स्नान कराये और आचमन के के लिए जल समर्पित करे।)

 

शर्करास्नान – ॐ अपा रसमुद्वयस सूर्ये सन्त, समाहितम्।

अपारसस्य यो रसस्तं वो गृह्णाम्युत्तममुपयामगृहितो-

ऽसीन्द्राय त्वा जुष्टं गृह्णाम्येष ते योनिरिन्द्राय त्वा जुष्टतमम्।

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्बसदाशिवाय नमः, शर्करास्नानं समर्पयामि, शर्करास्‍नानान्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि, शुद्धोदक- स्नानान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।

(शर्करा से स्नान, शुद्ध जलसे स्नान कराये तथा आचमन के लिए जल चढ़ाये।)

 

पंचामृतस्नान – ॐ पंच नद्यः सरस्वतीमपि यन्ति सस्रोतसः।

   सरस्वती तु पंचधा सो देशेऽभवत्सरित् ॥

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्‍बसदाशिवाय नमः, पंचामृस्नानं समर्पयामि, पंचामृतस्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि, शुद्धोदक- स्नानान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।

(पंचामृत से स्नान कराकर शुद्ध जल से स्नान कराये तथा आचमन के के लिए जल चढ़ाये।)

 

गंधोदकस्नान – ॐ अ शुना ते अ शुः पृच्यतां पुरुष पुरुः।

    गन्‍धस्ते सोममवतु मदाय रसो अच्युतः ॥

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्‍बसदाशिवाय नमः, गंधोदकस्नानं समर्पयामि, गंधोदकस्नानान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।

(गंधोदक से स्नान कराकर आचमन के लिए जल चढ़ाये।)

 

शुद्धोदकस्नान – ॐ शुद्धवालः सर्वशुद्धवालो मणिवालस्त आश्विना:

     श्‍येतः शयेताक्षोऽरुणस्ते रुद्राय पशुपतये कर्णा

     यामा अवलिप्ता रौद्रा नभोरूपाः पार्जन्या।।

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्‍बसदाशिवाय नमः, शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि।

(शुद्ध जल से स्नान कराये।)

 

आचमनीय जल- ॐ अध्यवोचदधिवक्ता प्रथमो दैव्यो भिषक्।

       अहीँश्‍च सर्वाञ्जम्भयन्त्सर्वाश्च यातुधान्योऽधराचीः परा सुव ॥

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्‍बदाशिवाय नमः, आचमनीयं जलं समर्पयामि।

(आचमन के लिए जल चढ़ाये।)

 

अभिषेक

शुद्ध जल, गंगाजल या दुग्धादि से उन्नत मंत्रों का पाठ करते हुए शिवलिङ्ग का अभिषेक करें –

ॐ नमस्ते रुद्र मन्यव उतो त इषवे नमः। बाहुभ्यामुत ते नमः ॥

या ते रुद्र शिव तनूरघोराऽपापकाशिनी।

तया नस्तन्वा शन्तमया गिरिशन्‍ताभि चकशीहि ॥

यामिषं गिरिशन्त हस्ते बिभर्ष्‍यस्तवे।

शिवां गिरित्र तां कुरु मां हि सीः पुरुषं जगत् ॥

शिवेन वाचसा त्वा गिरिशाच्‍छा वदामसि।

यथा नः सर्वमिज्जगदयक्ष्‍म् सुमना असत् ॥

अध्यवोचदधिवक्ता प्रथमो दैव्यो भिसक।

अहींश्‍च सर्वाञ्जम्भयन्त्सर्वाश्च यातुधान्योऽधराचीः परा सुव ॥

असौ यस्ताम्रो अरुण उत बभ्रुः सुमङ्गलः।

ये चैन रुद्रा अभितो दिक्षु श्रिताः सहस्रशोऽवैषा हेड ईमहे ॥

असौ योऽवसर्पति नीलग्रीवो विलोहितः।

उतैनं गोपा अदृश्रन्नदृश्रन्नुदहार्यः स दृष्टो मृडयाति नः ॥

नमोऽस्तु नीलग्रीवाय सहस्राक्षाय मीढुषे।

अथो ये अस्य सत्वानोऽहं तेभ्योऽकरं नमः ॥

प्रमुञ्च धन्वनस्त्वमुभयोरात्‍न्‍ र्योर्ज्‍याम्।

याश्‍च ते हस्त ईषव: परा ता भगवो वप।।

विज्यं धनुः कपर्दिनो विशल्यो बाणवाँर उत।

अनेशन्नस्य या इषव आभुरस्य निशङ्गधिः ॥

या ते हेतिर्मीढुष्‍टम हस्ते बभूव ते धनुः।

त्याऽस्मान्विश्वतस्त्वमयक्ष्मया परि भुज॥

परि ते धन्वनो हेतिरस्मान्वृणक्‍तु विश्वतः।

अथो य इषुधिस्तवारे अस्‍मन्नि धेहि तम् ॥

अवतत्य धनुष्‍टव सहस्राक्ष शतेषुधे।

निशीर्य शल्‍यानां मुखा शिवो नः सुमना भव ॥

नमस्त आयुधायानातताय धृष्‍णवे।

उभाभ्यामुत ते नमो बाहुभ्यां तव धन्वने।।

मा नो महान्तमुत मा नो अर्भकं मा न उक्षन्तमुत मा न उक्षितम्।

मा नो वधी: पितरं मोत मातरं मा नः प्रियास्तन्वो रुद्र रीरिषिः।।

मा नस्तोके तनये मा न आयुषि मा नो गोषु मा नो अश्वेषु रीरिषः।

मा नो वीरान् रुद्र भामिनो वधीर्हविष्‍मन्तः सदमित् त्वा हवामहे।।

अभिषेक के अनन्‍तर शुद्धोदक-स्नान कराये। तत्‍पश्‍चात् ‘ॐ द्यौः शांतिः’ इत्‍यादि शान्तिक मन्‍त्रों का पाठ करते हुए शान्‍त्‍यभिषेक करना चाहिये। तदनन्तर भगवान को आचमन कराकर उत्तराङ्ग-पूजन करे।

 

वस्त्र – ॐ असौ योऽवसर्पति नीलग्रीवो विलोहितः।

उतैनं गोपा अदृश्रन्नदृश्रन्नुदहार्यः स दृष्टो मृडयाति नः ॥

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्‍बसदाशिवाय नमः, वस्त्रं समर्पयामि, वस्त्रान्‍ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।

(वस्त्र चढ़ाये तथा आचमन के लिये जल चढ़ाये।)

 

यज्ञोपवीत – ॐ नमोऽस्तु नीलग्रीवाय सहस्त्राक्षाय मिढुषे।

        अथो ये अस्य सत्वानोऽहं तेभ्योऽकरं नमः ॥

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्‍बसदाशिवाय नमः, यज्ञोपवीतं समर्पयामि, यज्ञोपवीतान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।

(यज्ञोपवीत समर्पित करे तथा आचमन के लिए जल चढ़ाये।)

 

उपवस्त्र – ॐ सुजातो ज्योतिष सह शर्म वरुथमाऽसदत्सवः।

     वासो अग्ने विश्वरूप्ँ सं व्ययस्व विभावसो॥

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्‍बसदाशिवाय नमः, उपवस्त्रं समर्पयामि, उपवस्त्रान्‍ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।

(उपवस्त्र चढ़ाये तथा आचमन के लिये जल दे।)

 

गन्ध – ॐ प्रमुञ्च धन्वनस्त्वमुभयोरोन्त्र्यम्।

याश्‍च ते हस्त इषव: परा ता भगवो वप।।

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्‍बसदाशिवाय नमः, गन्‍धानुलेपनं समर्पयामि।

(चंदन उपलेपित करे।)

 

सुगंधित द्रव्य – ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

    उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्‍बसदाशिवाय नमः, सुगन्धिद्रव्यं समर्पयामि।

(सुगन्धित द्रव्य चढ़ाये।)

 

अक्षत – ॐ व्रीहयश्च मे यवाश्च मे माषाश्च मे तिलाश्च मे मुद्गाश्च मे

   खल्वाश्च मे प्रियङ्गवश्च मेऽण़वश्च मे श्यामाकाश्च मे

  नीवाराश्च मे गोधुमाश्च मे मसुराश्च मे यज्ञेन कल्पन्ताम् ॥

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्‍बसदाशिवाय नमः, अक्षतान् समर्पयामि।

(अक्षत चढ़ाये।)

 

पुष्पमाला – ॐ विज्यं धनुः कपर्दिनो विशल्यो बाणवाँर उत।

अनेशन्नस्य या इषव आभुरस्य निशङ्गधिः ॥

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्‍बसदाशिवाय नमः, पुष्पमालां समर्पयामि।

(पुष्पमाला चढ़ाये।)

 

बिल्वपत्र – ॐ नमो बिल्मिने च कवचिने च नमो वर्मिणे च वरूथिने च

       नमः श्रुताय च श्रुतसेनाय च नमो दुन्दुभ्याय चाहनन्याय च ॥

       त्रिगुणं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम्।

       त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्‍बसदाशिवाय नमः, बिल्वपत्राणि समर्पयामि।

(बिल्वपत्र, धतूरा, शमीपत्र, समर्पित करे।)

 

नानापरिमलद्रव्य – ॐ अहिरिव भोगैः पर्येति बाहुं ज्‍याया हेतिं परिबाधमानः।

हस्तघ्नो विश्वा वयुनानि विद्वान् पुमान् पुमा सं परि पातु विश्वतः॥

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्‍बसदाशिवाय नमः, नानापरिमल- द्रव्याणिं समर्पयामि।

(अबीर-गुलाल छिड़कें व इत्र का लेपन करें।, विविध परिमलद्रव्य चढ़ाये।)

 

धूप – ॐ या ते हेतिर्मीढुष्टंम हस्ते बभूव ते धनुः।

तयाऽसमान्विश्वस्त्वमयक्ष्मया परि भुज ॥

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्‍बसदाशिवाय नमः, धूपमा- घ्रापयामि।

(धूप आघ्रा‍पित करे।)

 

दीप – ॐ परि ते धन्वनो हेतिरस्मान् वृणक्तु विश्वतः।

अथो य इषुधिस्तवारे अस्‍मन्नि धेहि तम् ॥

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्‍बसदाशिवाय नमः, दीपं दर्शयामि।

(दीप दिखलाये और हाथ धो ले।)

 

नैवेद्य – ॐ अवतत्य धनुष्‍टव सहस्राक्ष शतेषुधे।

  निशीर्य शल्‍यानां मुखा शिवो नः सौम्या भव ॥

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्‍बसदाशिवाय नमः, नैवेद्यं निवेदयामि। नैवेद्यान्ते ध्यानम्, ध्यानन्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।

(नैवेद्य निवेदित करे, तदनन्तर भगवान् का ध्यान करके आचमन के लिए जल चढ़ाये।)

 

करोद्वर्तन – ॐ सिञ्चति परि षिञ्चन्त्युत्सिञ्चन्ति पुनन्ति च।

सुरायै बभ्रवै मदे किन्त्वो वदति किन्त्वः ॥

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्‍बसदाशिवाय नमः, करोद्वर्तनार्थे चन्‍दनानुलेपनं समर्पयामि।

(चंदन का अनुलेपन करे।)

 

ऋतुफल – ॐ याः फलिनीर्या अफला अपुष्पा याशश्च पुष्पिणीः।

        बृहस्पतिप्रसूतास्ता नो मुञ्चन्त्व हसः ॥

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्‍बसदाशिवाय नमः, ऋतुफलानि समर्पयामि।

(ऋतुफल समर्पण करे।)

 

ताम्बूल-पूगीफल – ॐ नमस्ते आयुधायनातताय धृष्णवे।

उभाभ्यामुत ते नमो बहुभ्यां तव धन्वने॥

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्‍बसदाशिवाय नमः, मुखवासार्थे सपूगीफलं ताम्बूलपत्रं समर्पयामि।

(पान और सुपारी चढ़ाये।)

 

दक्षिणा – ॐ यद्दत्तं यत्परादानं यत्पूर्तं याश्च दक्षिणाः।

     तदग्नर्वैश्वकर्मणः स्वर्देवेषु नो दधत् ॥

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्‍बसदाशिवाय नमः, कृताया: पूजायाः साद्गुण्यार्थे द्रव्यदक्षिणां समर्पयामि।

(द्रव्य-दक्षिणा समर्पित करे।)

 

आरती – ॐ आ रात्रि पार्थिव रजः पितृरप्रायि धामभिः।

    दिवः सदा सि बृहती वि तिष्ठस आ त्वेषं वर्तते तमः ॥

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्‍बसदाशिवाय नमः, कर्पूरार्त्तिक्य-दीपं दर्शयामि।

(कपूर की आरती करे।)

 

Shiv Shankar Bholenath Aarti- भोलेनाथ जी की आरती, शंकर जी की आरती, महादेव जी की आरती, शिव जी की आरती हिंदी में

 

आरती के बाद जल गिरा दे। देवता को फूल चढ़ाये। फिर दोनों हाथों से आरती लेकर हाथ धो ले।

 

प्रदक्षिणा – ॐ मा नो महान्तमुत मा नो अर्भकं मा न उक्षन्तमुत मा न उक्षितम्।

        मा नो वधी: पितरं मोत मातरं मा नः प्रियास्तन्वो रुद्र रीरिषिः ॥

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्‍बसदाशिवाय नमः, प्रदक्षिणां समर्पयामि।

(प्रदक्षिणा करे।)

 

पुष्पांजलि –

ॐ मा नस्तोके तनये मा न आयुषि मा नो गोषु मा नो अश्वेषु रीरिषिः।

मा नो वीरान् रुद्र भामिनो वधीर्हविष्‍मन्तः सदमित् त्वा हवामहे ॥

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्‍बसदाशिवाय नमः, मंत्रपुष्पञ्जलिं समर्पयामि।

(मंत्र-पुष्पांञ्जलि समर्पण करें, तदनन्तर साष्टांङ्ग प्रणाम और पूजनकर्म शिवार्पण करें।)

नमः सर्वहितार्थाय जगदाधारहेतवे।

सस्टाङ्गोऽयं प्रणामस्ते प्रयत्नेन मया कृतः॥

पापोऽहं पापकर्माहं पापात्मा पापसम्‍भवः।

त्राहि मां पार्वतीनाथ सर्वपापहरो भव॥

ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्‍बसदाशिवाय नमः, प्रार्थनापूर्वक- नमस्कारान् समर्पयामि। अनया पूज्य श्रीनर्मदेश्वरसाम्बसदाशिवः प्रीयतां न मम। श्रीसाम्बसदाशिवार्पणमस्तु।

इसके बाद भगवान् शंकर की विशेष उपासना की दृष्टि से पंचाक्षर-मंत्र का जप, रुद्राभिषेक तथा बिल्वपत्र एवं कमलपुष्पोंसे सहस्त्रार्चन आदि किये जा सकते हैं। अंत में संक्षिप्त में उत्तराङ्ग-पूजन कर आरती, पुष्पांजलि एवं स्तुति करनी चाहिये। शिवरात्रि आदि पर्वों में बिल्व-पत्रादि से शिवार्चन तथा रात्रि- जागरण की विशेष महिमा है।

 

नोट:-  प्रतिष्ठित शिवमूर्ति, ज्योतिर्लिंग, स्वयंभूलिङ्ग तथा नर्मदेश्वरलिङ्गादि में आह्वान एवं विसर्जन नहीं होता, इनका ध्यान करके ही पूजा की प्राप्ति होती है।

 

शिव अभिषेक के कुछ महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न

प्र.1 भोलेनाथ का अभिषेक कैसे किया जाता है?

उ. ऊपर आपको भोलेनाथ के अभिषेक के बारे में विस्‍तार से बताया गया है।

 

प्र. अभिषेक का मंत्र क्या है?

उ. रुद्र अभिषेक का मंत्र – ॐ नमो भगवते रूद्राय नम:॥

 

प्र. शिव अभिषेक में क्या-क्या सामग्री चाहिए?

उ. ऊपर आर्टिकल में सामग्री में बताया गया है।

 

प्र. शिव अभिषेक करने से क्या होता है?

उ.  शिव अभिषेक करने से आप जिस इच्‍छा से अभिषेक कर रहे वह इच्‍छा पूर्ण होती है।

 

प्र. शिव अभिषेक कब करना चाहिए?

उ. शिव अभिषेक आप किसी भी सोमवार या सावन के महीने में या शिवरात्री या शिव जी के किसी व्रत या त्‍यौहार पर कर सकते हैं। शिव अभिषेक आप पंडित जी के बताये अनुसार कभी भी कर सकते हैं।

 

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Shiv Pooja Vidhi – शिव पूजन विधि मंत्र सहित, संपूर्ण शिव पूजा विधि, विधि विधान के अनुसार शिव पूजा

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