पूजन विधि

Hanuman Ji Ki Puja Vidhi – हनुमान जी की पूजा विधि मंत्र सहित, सामग्री और विधि विधान के अनुसार श्री हनुमान पूजन

 

Hanuman Ji Ki Pooja Kaise Kare
हनुमान पूजन विधि

 

मंगलवार का दिन हनुमान जी का होता है, इस दिन भक्‍तजन भगवान हनुमान जी की विशेष तौर पर पूजा करते है। मंगलवार के साथ शनिवार को भी भगवान हनुमान जी की पूजा की जाती है। इस दिन पूजा करने से भगवान शनि देव जी की भी कृपा आप बनी रहती है। राम भक्‍त हनुमान जी भगवान शिव जी का ही रूप है। भगवान हनुमान जी की पूजा करने से भगवान शिव जी की कृपा भी आप पर बनी रहती है।  यहाँ हम आपको भगवान हनुमान जी की संपूर्ण पूजा विधि पंडित जी अनुसार बताने जा रहे हैं। जिससे आप पंडित द्वारा की जाने की विधि को श्‍‍लोक, मंत्र सहित जान पाएंगें और पूजा को विधि विधान से कर पाएंगे।

 

हनुमान पूजन सामग्री
  • सिंदूर
  • लाल फूल और माला
  • लाल कपड़ा या लाल लंगोट
  • जनेऊ
  • कलश
  • चमेली का तेल
  • गंगाजल
  • चौला
  • जल कलश
  • तुलसी पत्र
  • पंचामृत
  • इत्र
  • सरसों तेल
  • धूप-अगरबती
  • घी
  • दीप
  • कपूर
  • नारियल
  • पीला फूल
  • लाल चन्दन
  • फल
  • बेसन का लड्डू या लाल पेड़ा या मोतीचूर का लड्डू
  • चना और गुड़
  • पान

 

हनुमान जी की पूजन विधि

1. संकल्‍प

भगवान हनुमान जी की पूजा संकल्‍प लेने से आरम्भ होती है। संकल्‍प हेतु दाहिने हाथ की हथेली को पंच-पात्र से जल लेकर स्वच्छ करें। उसके बाद दाहिने हाथ की हथेली में स्वच्छ जल, अक्षत, पुष्प आदि को लेकर नीचे दिए संकल्‍प मन्त्र का उच्चारण करें। संकल्‍प मन्त्र पढ़ने के पश्चात् जल भूमि पर छोड़ दें।

ॐ तत्सत् आद्य अमुक संवत्सरे मासोत्तमे , अमुक तिथौ,

अमुका वासारे, अमुका गोत्रोत्पन्नोहम् अमुका नामा आदि…

सरला कामना सिद्ध्यार्थम श्री हनुमतपूजं करिष्ये।

 

2. आवाहन

संकल्‍प के बाद हनुमान जी की मूर्ति के सामने आवाहन मुद्रा (दोनों हथेलियों को मिलाकर तथा दोनों अँगूठों को अन्दर की ओर मोड़ने से आवाहन मुद्रा बनती है) बनाते हुये नीचे दिए मन्त्र का उच्चारण करें।

श्रीहनमतः प्राणा इहा प्राणा हनुमतो जीव इहा स्थितः।

सर्वेंद्रायणि, वाडमन-स्‍त्‍वं-क्चक्षु-र्जिह्व-घ्राण पाणि-पाद-पायूपस्थानि

हनुमता इहगत्य सुखं चिरं तिष्ठन्तु स्वाहा।

श्रीराम चरणा -भ्योन-युगलस्थिर मनसम्।

आवाहायामि वरदं हनुमन्तं भीष्टदम्॥

॥ॐ श्री हनुमते नमः आवाहनं समर्पयामि॥

 

3. ध्यान

पूर्व से स्थापित भगवान हनुमान की प्रतिमा के सामने ध्यान किया जाना चाहिये। हनुमान जी का ध्यान करते हुये नीचे दिए मन्त्र का उच्चारण करना करें।

कर्णिकार सुवर्णाभं वर्णनीयम गुणोत्तमम्।

अर्नवोल्लंघ्नौद्ययुक्तम तुरना ध्ययामि मारुतिम॥

॥ॐ श्री हनुमते नमः ध्यानम समर्पयामि॥

 

4. आसन

भगवान हनुमान का ध्यान करने के बाद, उन्हें आसन ग्रहण कराने हेतु दोनों हाथों की हथेलियों को मिलाकर अञ्जलि में पाँच पुष्प लेकर हनुमान जी की प्रतिमा के सामने पुष्प अर्पित कर दें और नीचे दिए मन्त्र का उच्चारण करें।

नवरत्नमयं दिव्यं चतुरस्रमनुत्तमम्।।

सौवर्णमासनं तुभ्यं कल्पये कपि नायक॥

॥ॐ श्री हनुमते नमः आसनं समर्पयामि॥

 

5. पाद्य

भगवान हनुमान को आसन अर्पित करने के बाद, उन्हें चरण प्रक्षालन हेतु जल अर्पित करें और नीचे दिए मन्त्र का उच्चारण करें।

सुवर्णकलशानीतं सुष्‍ठु -वासितमादरात्।

पादयो: पाद्यमानघं प्रति गृहण प्रसीद मे॥

॥ॐ श्री हनुमते नमः पाद्यं समर्पयामि॥

 

6. अर्घ्य

पाद्य अर्पित करने के बाद, हनुमान जी को अभिषेक हेतु जल अर्पित करते हुये और नीचे दिए मन्त्र का उच्चारण करें।

कुसुमाक्षत-सम्मिश्रं गृह्यतां कपि पुंड्व।

दास्यामि ते अंजनी पुत्र स्वमर्घ्य-रत्नसंयुतम्॥

॥ॐ श्री हनुमते नमः अर्घ्यं समर्पयामि॥

 

7. आचमन

अब हनुमान जी को आचमन हेतु जल अर्पित करते हुये नीचे दिए मन्त्र का उच्चारण करें।

महाराक्षसदर्पघ्न सुराधिपसुपुजित।

विमलं शमलघ्न त्वं गृहाणाचमनीयकम् ॥

॥ॐ श्री हनुमते नमः आचमनं समर्पयामि॥

 

8. स्नान मन्त्र

  • पञ्चामृत स्नानम्

आचमन के बाद, हनुमान जी को दुग्ध, दही, मधु, घृत तथा शक्कर आदि से पञ्चामृत स्नान करते हुये नीचे मन्त्र का उच्चारण करें।

मध्वाज्या-क्षीर-दधिभिः सगुङैर्मंत्रसंयुतैः।

पंचामृत पृथकस्नानैः सिंचामि त्वं कपीश्वरः॥

॥ॐ श्री हनुमते नमः पंचामृत स्नानं समर्पयामि॥

 

  • शुद्धोदक स्नानम्

पञ्चामृत स्नान के बाद, भगवान हनुमान को गङ्गाजल से स्नान कराते हुये, नीचे दिये मन्त्र का उच्चारण करें।

सुवर्ण-कलशानातै-गंगादिसरि-दुद्भवः।

शुद्धोदकैः कपीश त्वामभिषिंचामि मारुते॥

॥ॐ श्री हनुमते नमः शुद्धोदक स्नानं समर्पयामि॥

 

9. मौञ्जी मेखला

स्नान के बाद, हनुमान जी को मौञ्जी मेखला अर्पित करते हुये नीचे नीचे दिए मन्त्र का उच्चारण करें।

ग्रथितां नवभी रत्नैर्मेखलां त्रिगुणीकृताम् ।

मौञ्जी भुञ्जमयीं पीतां गृहाण पवनात्मज।।

॥ ॐ श्री हनुमते नमः मौजी मेखला समर्पयामि।।

 

10. कटिसूत्र एवं कौपीन

इसके बाद हनुमान जी को कटिसूत्र (करधनी) और कौपीन (लंगोट) अर्पित करते हुए नीचे दिए मन्त्र का उच्चारण करें।

कटिसूत्रं गृहाणेदं कौपीनं ब्रह्मचारिणः ।

कौशेयं कपिशार्दूल हरिद्राक्तं सुमङ्गलम्।।

॥ ॐ श्री हनुमते नमः कटिसूत्रं एवं कौपीनं समर्पयामि।।

 

11. उत्तरीय

कटिसूत्र व कौपीना अर्पण करने के बाद हनुमान जी को शरीर के ऊपरी अंगों के लिए वस्त्र अर्पित करते हुए नीचे दिए मन्त्र का उच्चारण करें।

पीताम्बरं सुवर्णाभमुत्तरीयार्थमेव च।

दास्यामि जानकी प्रणत्राणकरण गृहयताम्।।

॥ ॐ श्री हनुमते नमः उत्तरीयं समर्पयामि ।।

 

12. यज्ञोपवीत

अब भगवान हनुमान को यज्ञोपवीत अर्पित करते हुये नीचे दिए मन्त्र का उच्चारण करें।

श्रौतस्मार्तादि कर्तृणां साङ्गोपाङ्ग फल प्रदम् ।

यज्ञोपवीतमनघं धारयानिलनन्दन ।।

॥ ॐ श्री हनुमते नमः यज्ञोपवीतं समर्पयामि।।

 

13. गन्ध

यज्ञोपवीत अर्पित करने के बाद हनुमान जी को सुगन्ध (इत्र) अर्पित करते हुये और नीचे दिए मन्त्र का उच्चारण करें।

दिव्य कर्पूर संयुक्तं मृगनाभि समन्वितम्।

सकुंकुमं पीतगन्धम् ललाटे धारय प्रभो ।।

॥ ॐ श्री हनुमते नमः गन्धम् समर्पयामि ।।

 

14. अक्षत

गन्ध अर्पित करने के बाद, हनुमान जी को अक्षत (बिना टूटे चावल) अर्पित करते हुये नीचे दिए मन्त्र का उच्चारण करें।

हरिद्राक्तानक्षतांस्त्वं कुंकुम द्रव्यमिश्रितान्।

धारय श्री गन्ध मध्ये शुभ शोभन वृद्धये।।

॥ ॐ श्री हनुमते नमः अक्षतान् समर्पयामि।।

 

15. पुष्प

अक्षत अर्पित करने के बाद अब, हनुमान जी को पुष्प अर्पित करते हुये नीचे दिए मन्त्र का उच्चारण करें।

नीलोत्पलैः कोकनदैः कह्लारै: कमलैरपि।

कुमुदैः पुण्डरी कैस्त्वां पूजयामि कपीश्वरः।।

मल्लिका जाति पुश्पैश्च पाटले कुटजैरपि।

केतकी बकुलधूतैः पुन्नागैर्नागकेसरै:।।

चम्पकै शतपत्रैश्च करवीरैर्मनीहर-।

पूज्ये त्वां कपि श्रेष्ठ सविल्‍वै तुलसीदलै||

॥ ॐ श्री हनुमते नमः पुष्याणि समर्पयामि।।

 

16. ग्रन्थि पूजा

इसके बाद ग्रन्थि पूजा (तेरह गाँठ लगाकर दोराक हेतु पवित्र सूत्र निर्माण) करते हुये नीचे दिए मन्त्र का उच्चारण करें।

अज्जनी सूनवे नमः, प्रथम ग्रन्थिं पूजयामि।

हनुमते नमः, द्वितीय ग्रन्थिं पूजयामि ।

वायुपुत्राय नमः, तृतीय ग्रन्थिं पूजयामि ।

महाबलाय नमः, चतुर्थ ग्रन्थिं पूजयामि।

रामेष्‍टाय नमः, पञ्चम ग्रन्थिं पूजयामि ।

फाल्गुन सखाय नमः, षष्‍ठम ग्रन्थिं पूजयामि ।

पिङ्गाक्षाय नमः, सप्तम ग्रन्थिं पूजयामि।

अमित विक्रमाय नमः, अष्टम ग्रन्थिं पूजयामि।

सीता शोक विनाशनाय नमः, नवम ग्रन्थि पूजयामि।

कपीश्वराय नमः, दशम ग्रन्थि पूजयामि।

लक्ष्मण प्राण दात्रे नमः, एकादश ग्रन्थिं पूजयामि।

दशग्रीवदर्पघ्‍नाय नमः, द्वादश ग्रन्थिं पूजयामि।

भविष्यद्वाह्मणे नमः, त्रयोदश ग्रन्थिं पूजयामि ।

 

17. अङ्ग पूजा

इसके बाद उन देवताओं की पूजा करें जो स्वयं भगवान हनुमान की देह के अङ्ग हैं। पूजन हेतु बायें हाथ में चन्दन, अक्षत एवं पुष्प लें और नीचे दिए मन्त्रों का उच्चारण करते हुये दाहिने हाथ से उन्हें हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के समीप अर्पित कर दें।

हनुमते नमः, पादौ पूजयामि ।

सुग्रीव सखाय नमः, गुल्फौ पूजयामि ।

अङ्गद मित्राय नमः, जङ्घे पूजयामि ।

रामदासाय नमः, ऊरू पूजयामि।

अक्षघ्नाय नमः, कटिं पूजयामि।

लंङ्का दहनाय नमः, बालं पूजयामि।

राममणिदाय नमः, नाभिं पूजयामि ।

सागरोल्लङ्घनाय नमः, मध्यं पूजयामि ।

लंङ्का मर्दनाय नमः, केशावलिं पूजयामि।

सञ्जीवनीहर्त्रे नमः, स्तनौ पूजयामि ।

सौमित्रप्राणदाय नमः, वक्षः पूजयामि ।

कुण्ठित दश कण्ठाय नमः, कण्ठं पूजयामि।

रामाभिषेक कारिणे नमः, हस्तौ पूजयामि ।

मन्त्ररचित रामायणाय नमः, वक्त्रं पूजयामि।

प्रसन्नदवदनाय नमः, वदनं पूजयामि ।

पिङ्गनेत्राय नमः, नेत्रे पूजयामि ।

श्रुति पारगाय नमः, श्रुतिं पूजयामि।

ऊर्ध्वपुण्ड्रधारिणे नमः, कपोलं पूजयामि।

मणिकण्ठमालिने नमः, शिरः पूजयामि ।

सर्वाभीष्ट प्रदाय नमः, सर्वाङ्गम् पूजयामि।

 

18. धूपं

अब हनुमान जी को धूप अर्पित करते हुये नीचे दिए मन्त्र का उच्चारण करें।

दिव्यं सगुग्गुलं साज्‍यं दशांगं सवर्ह्निकम् ।

गृहाण मारुते धूपं सुप्रियं घ्राणतर्पणम् ।।

॥ॐ श्री हनुमते नमः धूपमाधापयामि ।।

 

19. दीपं

तत्पश्चात् हनुमान जी को दीप अर्पित करते हुये नीचे दिए मन्त्र का उच्चारण करें।

घृत पूरितमुज्‍जवालं सितसूर्यसमप्रभम्।

अतुलं तव दास्यानि व्रत पूर्त्‍ये सुदीपकम् ।।

।।ॐ श्री हनुमते नमः दीप दर्शयामि।।

 

20. नैवेद्य

इसके बाद हनुमान जी को नैवेद्य अर्पित करते हुये नीचे दिए मन्त्र का उच्चारण करें।

सशाकापूपसूपाद्यपायसानि च यत्वतः।

सक्षीर दधि साज्यं च सपूपं घृतपाचितम् ।।

॥ॐ श्री हनुमते नमः नैवेद्य निवेदयामि।।

 

21. पानीय

अब हनुमान जी को शुद्ध जल अर्पित करते हुये नीचे दिए मन्त्र का उच्चारण करें।

गोदावरी जलं शुद्धं स्वर्ण पात्राहृतं प्रियम्।

पानीयं पावनोद्भुतम् स्वीकुरु त्वं दयानिधे।।

॥ ॐ श्री हनुमते नमः पानीयं समर्पयामि।।

 

22. उत्तरापोषण

इसके बाद उत्तरापोषण (आचमन एवं अन्नदाता के प्रति धन्यवाद प्रकट करने) हेतु हनुमान जी को शुद्ध जल अर्पित करते हुये नीचे दिए मन्त्र का उच्चारण करें।

आपोशणं नमस्तेऽस्तु पापराशि तृणानलम्।

कृष्णावेणी जलेनैव कुरुष्व पवनात्मज ।।

॥ ॐ श्री हनुमते नमः उत्तरापोषणं समर्पयामि।।

 

23. हस्त प्रक्षालन

तत्पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, हस्त प्रक्षालन हेतु हनुमान जी को जल अर्पित करें।

दिवाकर सुतानीत जलेन स्पृश गन्धिना ।

हस्तप्रक्षालनार्थाय स्वीकुरुष्व दयानिधे।।

॥ॐ श्री हनुमते नमः हस्तौ प्रक्षालयितुं जलं समर्पयामि।।

 

24. शुद्ध आचमनीयं

इसके बाद आचमन हेतु हनुमान जी को शुद्ध जल अथवा गङ्गाजल अर्पित करते हुये नीचे दिए मन्त्र का उच्चारण करें।

रघुवीरपद न्यासस्थिर मानस मारुते।

कावेरी जल पूर्णेन स्वीकुर्वाचमनीयकम्।।

॥ॐ श्री हनुमते नमः शुद्ध आचमनीयं जलं समर्पयामि।।

 

25. सुवर्ण पुष्प

अब हनुमान जी को सुनहरे अथवा पीले पुष्प अर्पित करते हुये नीचे दिए मन्त्र का उच्चारण करें।

वायुपुत्र नमस्तुभ्यं पुष्पं सौवर्णकं प्रियम्।

पूजयिष्यामि ते मूर्ध्नि नवरत्न समुज्ज्वलम् ।।

॥ॐ श्री हनुमते नमः सुवर्ण पुष्पं समर्पयामि।।

 

26. ताम्बूल

इसके पश्‍चात हनुमान जी को ताम्बूल (पान-सुपारी) अर्पित करते हुये नीचे दिए मन्त्र का उच्चारण करें।

ताम्बूलमनघ स्वामिन् प्रयत्नेन प्रकल्पितम्।

अवलोक्य नित्यं ते पूरतो रचितं मया ।।

॥ ॐ श्री हनुमते नमः ताम्बूलं समर्पयामि।।

 

27. नीराजन/आरती

ताम्बूल समर्पण के बाद नीचे दिए मन्त्र का उच्चारण कर भगवान हनुमान की आरती करें।

शतकोटिमहारत्न दिव्यसद्रत्न पात्रके ।

नीराजन मिदं दृष्टेरतिथी कुरू मारुते ||

॥ॐ श्री हनुमते नमः नीराजनं समर्पयामि।।

 

भगवान हनुमान की आरती

 

28. पुष्पाञ्जलि

इसके बाद हनुमान जी को पुष्पाञ्जलि अर्पित करते हुये नीचे दिए मन्त्र का उच्चारण करें।

मूर्धानं दिवो अरतिं पृथिव्या वैश्वानरमृत आजातमग्निम्।

कविं सम्राजमतिथीं जनानामा सन्ना पात्रं जनयन्त देवाः ।।

॥ॐ श्री हनुमते नमः पुष्पाञ्जलि समर्पयामि।।

 

29. प्रदक्षिणा

अब पुष्पों के साथ हनुमान जी की प्रतीकात्मक प्रदक्षिणा अर्थात बायीं ओर से दायीं ओर परिक्रमा करते हुये निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करें।

पापोऽहं पापकर्माहं पापात्मा पाप सम्भवः।

त्राहिमां पुण्डरीकाक्ष सर्व पाप हरो भवः।।

॥ॐ श्री हनुमते नमः प्रदक्षिणां समर्पयामि।।

 

30. नमस्कार

प्रदिक्षणा के बाद हनुमान जी को नमस्कार करते हुये नीचे दिए मन्त्र का उच्चारण करें।

नमस्तेऽस्तु महावीर नमस्ते वायुनन्दनः ।

विलोक्य कृपया नित्यं त्राहिमां भक्त वत्सलः।।

॥ॐ श्री हनुमते नमः नमस्कारं समर्पयामि।।

 

31. दोरक ग्रहण

इसके बाद भक्त को दोरक (ग्रन्थि पूजा के समय निर्मित पवित्र रक्षा सूत्र) को ग्रहण करना चाहिये और नीचे दिए मन्त्र का उच्चारण करते हुये दाहिने हाथ से बाँधना चाहिये।

ये पुत्र पौत्रादि समस्त भाग्यम् वाञ्छति वायोस्तनयं प्रपूज्य।

त्रयोदशग्रन्थियुतं तदंकवध्नन्ति हस्ते वरदोर सूत्रम्।।

॥ॐ श्री हनुमते नमः दोरक ग्रहणं करोमि।।

 

32. पूर्वदोर-कोत्तारण

दोरक ग्रहण के बाद पूर्वदोर-कोत्तारण अनुष्ठान करते हुये नीचे दिए मन्त्र का उच्चारण करें।

अञ्जनी गर्भ सम्भूत रामकार्यार्थ सम्भवः।

वरदोरकृता भासा रक्ष मां प्रतिवत्सरम्।।

॥ॐ श्री हनुमते नमः पूर्वदोरकमुत्तारयामि।।

 

33. प्रार्थना

अब नीचे दिए मन्त्र का उच्चारण करते हुये हनुमान जी से प्रार्थना करें।

अनेन भगवान् कार्य प्रतिपादक विग्रहः।

हनुमान प्रीणितो भूत्वा प्रार्थितो हृदि तिष्टतु।।

॥ॐ श्री हनुमते नमः प्रार्थनां करोमि।।

 

34. वायन दान

इसके बाद वायन अर्थात मिष्ठान आदि अर्पित करते हुये नीचे दिए मन्त्र का उच्चारण करें।

यस्य स्मृत्या च नामोत्तया तयो यज्ञक्रियादिषु।|

न्यूनम् सम्पूर्णताम् याति सद्यो वन्दे तमच्युतम्।।

॥ॐ श्री हनुमते नमः वायनं ददामि॥

 

35. क्षमा- याचना

अब दोनों हाथ जोड़कर नीचे दिए मन्त्र का उच्चारण करते हुये क्षमा मांगे।

पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर।

मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन॥

यत्पूजितं मया देव! परिपूर्ण तदस्तु मे॥

36. वायन ग्रहण

अब वायन ग्रहण करते हुये नीचे दिए मन्त्र का उच्चारण करना चाहिये।

ददाति प्रतिग्रह्णाति हनुमानेव नः स्वयम्।

व्रतस्यास्य च पूर्त्यर्थं प्रति ग्रह्णातु वायनम्।।

॥ॐ श्री हनुमते नमः वायनं प्रतिग्राह्यामि ।।

 

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हनुमान जी के मंत्र

 

* ॐ नमो भगवते आंजनेयाय महाबलाय स्वाहा।

 

* ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकायं हुं फट्।

 

* ॐ हं हनुमते नम:।

 

* ॐ नमो भगवते हनुमते नम:।

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हनुमान जी की पूजा के कुछ महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न

 

प्र.1 हनुमान जी का असली मंत्र क्या है?

उ. ॐ हं हनुमते नम:।

 

प्र.2 हनुमान जी की पूजा करने की विधि क्या है?

उ. हनुमान जी की पूजा करने की संपूर्ण विधि ऊपर बताई गई है।

 

प्र.3 हनुमान जी को कौन सा फूल चढ़ाया जाता है?

उ. हनुमान जी को लाल या पीले रंग का फूल जरूर अर्पित करें।

 

प्र.4 हनुमान जी को कौन सा भोग प्रिय हैं?

उ. एक केसरिया बूंदी लड्‍डू, दूसरा बेसन के लड्डू और तीसरा मलाई-मिश्री के लड्‍डू।

 

प्र.5 हनुमान जी को कौन सा फल पसंद है?

उ. धार्मिक मान्यता के अनुसार सेब फल हनुमान जी को प्रिय है।

 

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