पूजन विधि

Durga Pooja Vidhi – दुर्गा पूजन विधि मंत्र सहित, संपूर्ण दुर्गा पूजा विधि, विधि विधान के अनुसार दुर्गा पूजा

दुर्गा माता की पूजा विधि
Maa Durga Pooja Vidhi

 

चाहे नवरात्रि हो कोई अन्‍य व्रत या त्‍यौहार हो जिसमें आपको मॉं दुर्गा जी की पूजा करनी होती है तब आप पूजा करते तो है पर आपको पूरी पूजा विधि नहीं पता होती है। पूजा किस तरीके करनी है क्‍या सामग्री लगेगी पूजा में और कब क्‍या करना होता है यह नहीं पता होता है तो यहाँ हम आपको मॉं दुर्गा जी की संपूर्ण पूजा विधि पंडित जी अनुसार बताने जा रहे हैं। जिससे आप पंडित द्वारा की जाने की विधि को श्‍‍लोक, मंत्र सहित जान पाएंगें और पूजा को विधि विधान से कर पाएंगे। कोई नई मूर्ति स्‍थापित की जाती है तो उसमें प्राण प्रतिष्‍ठा के लिए उनकी पूजा इस विधि अनुसार की जाती है।

 

दुर्गा पूजा सामग्री
  • देवी की प्रतिमा या फोटो
  • आम की लकड़ी और पत्‍ते
  • चौकी के लिए लाल कपड़ा
  • लाल रंग की चुनरी
  • कलावा
  • मेवे
  • जौ
  • दही
  • पांच मेवा
  • लाल चूड़ियां
  • सिन्दूर
  • चौकी
  • नारियल
  • कलश
  • लाल वस्त्र
  • रुई बत्ती
  • धूप-अगरबत्ती
  • माचिस
  • चावल
  • कुमकुम
  • मौली
  • लौंग
  • इलायची
  • कपूर
  • उपले
  • फल/मिठाई
  • दीपक घी/ तेल
  • फूल
  • फूलों का माला
  • बताशे या मिसरी या चिरोंंजी
  • पान
  • सुपारी
  • श्रृंगार का सामान
  • लाल झंडा
  • लोबान
  • गुगल
  • कमल गट्टा
  • सुपारी
  • कपूर
  • हवन कुंड

 

दुर्गा पूजा विधि

पहले बतलाये नियम के अनुसार आसन पर प्रामुख बैठ जाये। जल से प्रोक्षणकर शिखा बॉंधे। तिलक लगाकर आचमन एवं प्राणयाम करें फिर संकल्‍प करें। हाथ में फूल लेकर अं‍जलि बॉंधकर दुर्गाजी का ध्‍यान करे। (यदि प्रतिष्ठित प्रतिमा हो तो आवाहन की जगह पुष्‍पांजलि दे, नहीं तो दुर्गाजी का आवाहन करें।)

 

आह्वान – आगच्छ त्वं महादेवि ! स्थाने चात्र स्थिरा भव।

    यावत् पूजां करिष्यामि तावत् त्वं संनिधौ भव ॥

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। दुर्गादेवीमावाहयामि।

आह्वानार्थे पुष्पाञ्जलिं समर्पयामि।

(पुष्पांजलि अर्पित करें।)

 

आसन – अनेकरत्नसंयुक्तं नानामणिगाणान्वितम्।

     इदं हेममयं दिव्यमासनं प्रतिगृह्यताम्।।

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। आसनार्थे पुष्पाणि समर्पयामि।

(रत्नमय आसन या फूल समर्पित करे।)

 

पाद्य – गंगादिसर्वतीर्थेभ्य आनीतं तोयमुत्तमम्।

पद्यार्थं ते प्रदास्यामि गृहाण् परमेश्‍वरि ।।

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। पादयोः पद्यं समर्पयामि।

(जल चढ़ाये।)

 

अर्घ्य – गंधपुष्पाक्षतैर्युक्तमर्घ्‍यं सम्पादितं मया।

  गृहाण त्वं महादेवि प्रसन्ना भव सर्वदा ॥

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। हस्तयोः अर्घ्यं समर्पयामि।

(चंदन, पुष्प, अक्षर से युक्त अर्घ्य दे।)

 

आचमन – कर्पूरेण सुगन्‍धेन वासितं स्वादु शीतलम्।

       तोयमाचमनीयार्थं गृहाण परमेश्‍वरि ।।

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। आचमनं समर्पयामि।

(कर्पूर से सुवासित शीतल जल चढ़ाये)

 

स्नान – मन्दाकिन्यास्तु यद्वारि सर्वपापहरं शुभम्।

 तदिदं कल्पितं देवि ! स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्।।

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। स्नानार्थं जलं समर्पयामि।

(गंगाजल चढ़ाये।)

 

स्नानाङ्ग-आचमन – स्नानान्ते पुनराचमनीयं जलं समर्पयामि।

(आचमन के लिए जल दे।)

 

दुग्धस्नान – कामधेनुसमुत्पन्नं सर्वेषां जीवनं परम्।

        पावनं यज्ञहेतुश्च पयः स्नानार्थमर्पितम्।।

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। दुग्धस्नानं समर्पयामि।

(गोदुग्ध से स्नान कराये।)

 

दधिस्नान – पयसस्तु समुद्भूतं मधुरम्लं शशिप्रभम्।

        दध्यानीतं मया देवी ! स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् !!

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। दधिस्नानं समर्पयामि।

(गोदधि से स्नान कराये।)

 

घृतस्नान – नवनीतसमुत्पन्नं सर्वसंतोषकारकम्।

         घृतं तुभ्यं प्रदास्यामि स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। घृतस्नानं समर्पयामि।

(गोघृतसे स्नान कराये।)

 

मधुस्नान – पुष्परेणुसमुत्पन्नं सुस्वादु मधुरं मधु।

       तेजःपुष्टिसमायुक्‍तं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। मधुस्नानं समर्पयामि।

(मधु से स्नान कराये।)

 

शर्करास्नान – इक्षुसारसमुद्भूतां शर्करां पुष्टिदां शुभाम्।

 मलापहारिकां दिव्यां स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। शर्करास्नानं समर्पयामि।

(शक्कर से स्नान कराये।)

 

पंचामृत-स्नान- पयो दधि घृतं चैव मधु च शर्करान्वितम्।

   पंचामृतं मायाऽऽनीतं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। पञ्चामृतस्नानं समर्पयामि।

(अन्य पात्र में पृथक् निर्मित पंचामृत से स्नान कराये।)

 

गंधोदक-स्नान – मलयाचलसम्भूतं चन्‍दनागरुमिश्रितम्।

       सलिलं देवदेवेशि शुद्धस्नानाय गृह्यताम् ॥

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। गन्धोदकस्नानं समर्पयामि।

(मलयचंदन और अगरु से मिश्रित जल चढ़ाये।)

 

शुद्धोदक-स्नान – शुद्धं यत् सलिलं दिव्यं गंगाजलसमं स्मृतम्।

       समर्पितं मया भक्त्या स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। शुद्धोदकस्‍नानं समर्पयामि।

(शुद्ध जल से स्‍नान कराये।)

 

आचमन – शुद्धोदकस्नानान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।

(आचमन के लिए जल दे।)

 

वस्त्र – पट्टयुग्मं मया दत्तं कञ्चुकेन समन्वितम्।

 परिधेहि कृपां कृत्वा मातर्दुर्गार्तिनाशिनि।।

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। वस्त्रोपवस्त्रं कञ्चकीयं च समर्पयामि।

(धौतवस्त्र, उपवस्त्र और कञ्चुकी निवेदित करे।)

 

आचमन – वस्त्रान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।

(आचमन के लिये जल दे।)

 

सौभाग्यसूत्र – सौभाग्यसूत्रं वरदे सुवर्णमणिसंयुतम्।

    कण्ठे बध्‍नामि देवेशि सौभाग्यं देहि मे सदा ॥

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। सौभाग्यसूत्रं समर्पयामि।

(सौभाग्यसूत्र चढ़ाये।)

 

चंदन – श्रीखण्‍डं चन्‍दनं दिव्यं गंधाढयं सुमनोहरम्।

   विलेपनं सुरश्रेष्ठे चन्‍दनं प्रतिगृह्यताम् ॥

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। चन्दनं समर्पयामि।

(मलयचंदन लगाये।)

 

हरिद्राचूर्ण – हरिद्रारांजिते देवि ! सुखसौभाग्यदायिनि ।

तस्मात् त्वां पूज्यम्यत्र सुखं शान्तिं प्रयच्छ मे ॥

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। हरिद्रां समर्पयामि।

(हल्दी का चूर्ण चढ़ाये।)

 

कुङ्कुम- कुङ्कुमं कामदं दिव्यं कामिनीकामसम्‍भवम्।

      कुङ्कुमेनार्चिता देवी कुङ्कुमं प्रतिगृह्यताम् ॥

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। कुङ्कुमं समर्पयामि।

(कुंकुम चढ़ाये।)

 

सिन्दूर – सिन्दूरमरुणाभासं जपाकुसुमसंनिभम्।

     अर्पितं ते मया भक्त्या प्रसीद परमेश्‍वरि ।।

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। सिन्दूरं समर्पयामि।

(सिंदूर चढ़ाये।)

 

कज्जल (काजल) – चक्षुर्भ्‍यां कज्जलं रम्यं सुभगे शांतिकारकम्।

कर्पूरज्योतिसमुत्पन्नं गृहाण परमेश्‍वरि ॥

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। कज्जलं समर्पयामि।

(काजल चढ़ाये।)

 

दूर्वाङ्कुर – तृणकान्तमणिप्रख्यहरिताभिः सुजातभिः।

दूर्वाभिराभिर्भवतीं पूजयामि महेश्वरि।

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। दूर्वाङ्कुरान् समर्पयामि।

(दूब चढ़ाये।)

 

बिल्वपत्र – त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम्।

       त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥

श्रीजगदम्बयै दुर्गादेव्यै नमः।। बिल्वपत्रं समर्पयामि।

(बिल्वपत्र चढ़ाये।)

 

आभूषण – हारकङकणकेयूरमेखलाकुण्डलादिभिः ।

रत्नाढ्यं हीरकोपेतं भूषणं प्रतिगृह्यताम्।।

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। आभूषणानि समर्पयामि।

(आभूषण चढ़ाये।)

 

पुष्पमाला – माल्यादीनि सुगन्‍धीनि मालत्यादीनि भक्तितः।

        मायाऽऽहतानी पुष्पाणि पूजार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। पुष्पमालां समर्पयामि।

(पुष्प एवं पुष्पमाला चढ़ाये।)

 

नानापरिमलद्रव्य – अबीरं च गुलालं च हरिद्रादिसमन्वितम्।

        नानापरिमलद्रव्यं गृहाण परमेश्‍वरि ॥

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। नानापरिमलद्रव्यानि समर्पयामि।

(अबीर, गुलाल, हल्दी का चूर्ण चढ़ाये।)

 

सौभाग्यपेटिका – हरिद्रां कुङ्कुमं चैव सिंदूरादिसमन्विताम्।

        सौभाग्यपटिकामेतां गृहाण परमेश्‍वरि ॥

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। सौभाग्यपेटिकां समर्पयामि।

(सौभाग्यपेटिका दान करे।)

 

धूप – वनस्पतिरसोद्भूतो गन्धाढयो गन्ध उत्तमः।

आघ्रेयः सर्वदेवानां धूपोऽयं प्रतिगृह्यताम् ॥

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। धूपमाघ्रपयामि।

(धूप दिखाये।)

 

दीप – साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया।

दीपं गृहाण् देवेशि त्रैलोक्यतिमिरापहम् ॥

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। दीपं दर्शयामि।

(घी की बत्‍ती दिखाये, हाथ धो ले।)

 

नैवेद्य – शर्कराखण्‍डखाद्यानि दधिक्षीरघृतनि च।

   आहारार्थं भक्ष्यभोज्यं नैवेद्यं प्रतिगृह्यताम् ॥

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। नैवेद्यं निवेदयामि।

(नैवेद्य निवेदित करे।)

 

आचमनीय आदि- नैवेद्यान्ते ध्यानमाचमनीयं जलमुत्तरापोऽशनं

         हस्तप्रक्षालनार्थं मुखप्रक्षालनार्थं च जलं समर्पयामि ॥

(आचमनी से जल दे।)

 

ऋतुफल – इदं फलं माया देवी स्थापितं पुरतस्तव।

      तेन मे सफलवाप्तिर्भवेज्‍जन्मनि जन्मनि ॥

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। ऋतुफलानि समर्पयामि।

(ऋतुफल समर्पण करे।)

 

ताम्बूल- पूगीफलं महद्दिव्यं नागवल्लीदलैर्युतम्।

    एलालवङ्गसंयुक्तं ताम्बूलं प्रतिगृह्यताम् ॥

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। ताम्बूलं समर्पयामि।

(इलायची, लौंग, पूगीफल(सुपारी) के साथ पान निवेदित करे।)

 

दक्षिणा – दक्षिणां हेमसहितां यथाशक्तिसमर्पिताम्।

     अनंतफलदामेनां गृहाण परमेश्‍वरि ।।

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। दक्षिणां समर्पयामि।

(दक्षिणा चढ़ाये।)

 

आरती – कदलीगर्भसम्‍भूतं कर्पूरं तु प्रदीपितम्।

अरार्त्तिकमहं कुर्वे पश्य मां वरदा भव ॥

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। कर्पूरारार्तिक्यं समर्पयामि।

(कर्पूर की आरती करे।)

 

 

प्रदक्षिणा – यानि कानि च पापानि जन्मांतरकृतानि च।

        तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणपदे पदे ॥

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। प्रदक्षिणां समर्पयामि।

(प्रदक्षिणा करे।)

 

मन्त्रपुष्पाञ्जलि – श्रद्धा सिक्तया भक्त्या हार्डप्रेम्णा समर्पितः।

      मन्त्रपुष्पाञ्जलिश्चायं कृपया प्रतिगृह्यताम् ।।

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। मंत्रपुष्पाञ्जलिं समर्पयामि।

(पुष्पांजलि समर्पित करें।)

 

नमस्कार – या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता।

       नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। नमस्कारान् समर्पयामि।

(नमस्कार करे, इसके बाद चरणोदक सिर पर चढ़ाये।)

 

क्षमा-याचना – मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि।

   यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे ॥

श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः।। क्षमायाचनां समर्पयामि।

(क्षमा-याचना करे।)

 

अर्पण – ॐ तत्सद् ब्रह्मार्पणमस्तु।

विष्णवे नमः, विष्णवे नमः, विष्णवे नमः।

————♦————-

 

दुर्गा पूजन विधि मंत्र

 

* ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

 

* या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

 

* या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

 

* या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

 

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

 

* दुर्गे देवि नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थसाधिके।

मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय।।

————♦————-

 

दुर्गा पूजा विधि के कुछ महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न

प्र.1 दुर्गा जी की पूजा कैसे की जाती है?

उ. दुर्गा जी की पूजा विधि ऊपर मंत्रो के साथ दी गई है।

 

प्र.2 दुर्गा पूजा में होम कैसे करें?

उ. माता दुर्गा के लिए हवन करते समय बीज मंत्र ‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डयै विच्चै नमः’ से 108 बार हवन कुंड में हविष्‍य अर्पित करें। फिर खीर और शहद मिलाकर इसी मंत्र से हवन कुंड में आहुति दें। अंत में शिवजी और ब्रह्माजी के नाम से आहुति दें।

 

प्र.3 दुर्गा जी की पूजा में क्या नहीं चढ़ाना चाहिए?

उ. दुर्गा मां को तुलसी और दुर्वा भेंट करना शुभ नहीं माना जाता है। नवरात्रि की पूजा में देवी मां को मदार, आक और हरसिंगार के फूल न चढ़ाएं। देवी मां को लाल या पीले फूल ही अपर्ण किए जाते हैं।

 

प्र.4 मां दुर्गा का प्रिय मंत्र कौन सा है?

उ. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

 

प्र.5 दुर्गा पूजा से पहले क्या होता है?

उ. पूजा के पहले अखंड ज्योति प्रज्वलित कर लें और फिर शुभ मुहूर्त में घट स्थापना करें। अब पूर्व की ओर मुख कर चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और माता का चित्र या मूर्ति स्थापित करें।

 

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