पूजन विधिव्रत त्योहार

Holi Puja Vidhi – होली पूजन विधि, शुभ मुहूर्त, सामग्री, होली पर क्या करें और क्या न करें, होली के उपाय

 

Holika Dahan Puja Vidhi in Hindi
होलिका पूजन
Holi Dahan Puja Samagri in Hindi

 

होली आपसी प्रेम, भाईचारे और सद्भावना का त्योहार है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होलिका दहन और उसके दूसरे दिन चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को होली मनाई जाती है। होलिका दहन की पूजा करने से घर में सकारात्‍मकता आती है और नकारात्‍मकता, दुख व दरिद्रता दूर होती है। होलिका दहन के दूसरे दिन लोग बड़े ही प्रसन्‍नता के साथ रंगों का त्योहार होली मनाते हैं। होली के दिन लोग एक दूसरे को रंग और गुलाल लगाकर बधाई देते हैं। इस दिन घरों में तरह-तरह के पकवान बनाये जाते है एक दूसरे को खिलाये जाते हैं। हम यहां आपको होली की पूजन विधि, पूजन सामग्री, मुहूर्त, उपाय आदि बताने रहे हैं।

 

होलिका दहन मुहूर्त

होलिका दहन रविवार, मार्च 24, 2024 को

होलिका दहन मुहूर्त – 11:13 PM मार्च 24 से 12:27 AM, मार्च 25

अवधि – 01 घण्टा 14 मिनट्स

रंगवाली होली(धुलेण्‍डी) सोमवार, मार्च 25, 2024 को

भद्रा पूँछ – 06:33 पी एम से 07:53 पी एम

भद्रा मुख – 07:53 पी एम से 10:06 पी एम

प्रदोष के दौरान होलिका दहन भद्रा के साथ

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – मार्च 24, 2024 को 09:54 ए एम बजे

पूर्णिमा तिथि समाप्त – मार्च 25, 2024 को 12:29 पी एम बजे

होलिका दहन के दिन भद्रा का भी साया रहने वाला है। इसलिए होलिका दहन की पूजा रात 11 बजकर 13 मिनट से आरंभ होगा और इसका समापन रात 12 बजकर 27 मिनट पर होगा।

 

होलिका पूजा सामग्री

एक कटोरा पानी

गाय के गोबर से बने मोती

रोली, चावल जो टूटे हुये न हों (संस्कृत में अक्षत भी कहा जाता है)

धूप एवं गन्ध, पुष्प

कच्चे सूती धागे

हल्दी के टुकड़े

साबुत मूँग की दाल

बताशा

गुलाल तथा नारियल

गेहूँ एवं चना की नवीन फसल

 

होली पूजन विधि
  • पूजा स्थल पर पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें। पूजा की सभी सामग्री को एक थाल में एकत्र करके रख लें। पूजा की थाली के समीप कलश में जल भी भरकर रखें। तत्पश्चात् निम्लिखित मन्त्र का तीन बार जाप करते हुये पूजा की थाली पर एवं अपने ऊपर जल छिड़कें।

 

ऊँ पुण्डरीकाक्ष: पुनातु।

 

किसी भी शुभ कार्य को आरम्भ करने से पूर्व भगवान विष्णु का ध्यान करने एवं उनका आशीर्वाद ग्रहण करने हेतु उपरोक्त मन्त्र का उच्चारण किया जाता है। पूजा स्थल का शुद्धिकरण करने हेतु भी इसका उपयोग किया जाता है।

 

  • अब जल, अक्षत, पुष्प एवं दक्षिणा के रूप में कुछ पैसे दाहिने हाथ में लेकर संकल्प ग्रहण करें।

 

ऊँ विष्णु: विष्णु: विष्णु: श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया अद्य दिवसे ________ (संवत्सर का नाम लें उदाहरण-विश्वावसु) नाम संवत्सरे संवत् ________ (उदा. 2069) फाल्गुन मासे शुभे शुक्लपक्षे पूर्णिमायां शुभ तिथि ________ (उदा. मंगलवासरे) ________ गौत्र (अपने गौत्र का नाम लें) उत्पन्ना ________ (अपने नाम का उच्चारण करें) मम इह जन्मनि जन्मान्तरे वा सर्वपापक्षयपूर्वक दीर्घायुविपुलधनधान्यं शत्रुपराजय मम् दैहिक दैविक भौतिक त्रिविध ताप निवृत्यर्थं सदभीष्टसिद्धयर्थे प्रह्लादनृसिंहहोली इत्यादीनां पूजनमहं करिष्यामि।

 

पूजा का सम्पूर्ण लाभ उपासक को प्राप्त हो जाये इसलिए उपरोक्त मन्त्र का जप करके, व्यक्ति वर्तमान में प्रचलित हिन्दु तिथि, पूजा का स्थान, अपने परिवार का उपनाम, अपना नाम, पूजा का उद्देश्य तथा पूजा किस कारण से की जाती है, का पाठ कर रहा है।

 

  • अब भगवान गणेश का ध्यान एवं स्मरण दाहिने हाथ में पुष्प एवं अक्षत लेकर करें। भगवान गणेश का ध्यान करते समय निम्नलिखित का मन्त्र का जप करें-

 

गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारुभक्षणम्।

उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपमजम्॥

 

निम्‍न मन्त्र का उच्चारण करते हुये एक पुष्प पर रोली एवं अक्षत लगाकर सुगन्ध सहित भगवान गणेश को अर्पित करें।

 

ऊँ गं गणपतये नम: पंचोपचारार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि।

 

अब देवी अम्बिका का स्मरण करें तथा पुष्प पर रोली तथा अक्षत लगाकर सुगन्ध सहित देवी अम्बिका को अर्पित करें और निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करें।

 

ऊँ अम्बिकायै नम: पंचोपचारार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि सर्मपयामि।

 

इसके बाद भगवान नरसिंह का ध्यान करें। पुष्प पर रोली तथा अक्षत लगाकर सुगन्ध सहित भगवान नरसिंह को नीचे दिये गये मन्त्र का उच्चारण करते हुये अर्पित करें।

 

ऊँ नृसिंहाय नम: पंचोपचारार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि।

 

नरसिंह भगवान का पूजन करने के पश्चात भक्त प्रह्लाद का स्मरण करें और निम्‍नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये पुष्प पर रोली एवं अक्षत लगाकर सुगन्ध सहित भक्त प्रह्लाद को अर्पित करें।

 

ऊँ प्रह्लादाय नम: पंचोपचारार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि।

 

अब हाथ जोड़कर होलिका के सामने खड़े होकर निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु प्रार्थना करें।

 

असृक्पाभयसंत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिशै:

अतस्त्वां पूजयिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव:॥

 

इसका अर्थ यह है कि, कुछ मूर्ख एवं बचकाने लोगों ने रक्तपान करने वाले राक्षसों के निरन्तर भय के कारण होलिका का निर्माण किया था। अतः, मैं आपकी पूजा करता हूँ तथा अपने लिये शक्ति, धन एवं समृद्धि करता हूँ।

 

  • होलिका को अक्षत, सुगन्ध, पुष्प, हल्दी के टुकड़े, साबुत मूँग की दाल, नारियल तथा गाय के सूखे गोबर से बनी माला अर्पित करें। होलिका की उसके चारों ओर कच्चे सूत की तीन, पाँच अथवा सात परिक्रमा करते हुये लपेटना चाहिए। उसके बाद कलश के जल को होलिका के समक्ष अर्पित कर दें।

 

  • उसके बाद होलिका दहन किया जाता है। साधारणत:, होलिका दहन के लिए सार्वजनिक होलिका की अग्नि घर लायी जाती है। इसके पश्चात सभी पुरुष रोली/गुलाल का शुभ टीका लगाते हैं और सभी बड़ों से आशीर्वाद लेते हैं। लोग नवीन फसल को होली की अग्नि में भुनते हैं तथा होलिका की परिक्रमा करते हैं। भुने हुये अनाज को होलिका प्रसाद के रूप में बाँटा जाता है।

 

अगली सुबह, धुलेण्‍डी होली के दिन, होली के अलाव की राख एकत्र की जाती है तथा शरीर पर लगायी जाती है। होली की राख को पवित्र माना जाता है और कहा जाता है कि, इसके प्रयोग से शरीर एवं आत्मा शुद्ध हो जाती है। ज्योतिषियों द्वारा अलाव की भस्म से अनेक उपाय बताए गये हैं।

 

होली पर क्‍या करें और क्‍या न करें

होलिका दहन के लिए पीपल, बरगद या आम की लकड़ियों का इस्तेमाल न करें। ये पेड़ पूजनीय माने जाते हैं। आप चाहें तो गूलर या अरंडी के पेड़ की लकड़ी या उपलों का इस्तेमाल कर सकते हैं।

होलिका की अग्नि में अपने घर से निकला कूड़ा कबाड़ न डालें। शास्त्रों में ऐसा करना शुभ नहीं माना गया है।

होलिका दहन के दिन पैसों का लेन-देन नहीं करना चाहिए, ऐसा करना अच्‍छा नहीं होता है।

होलिका दहन में सूखी लकड़ी का ही उपयोग करना चाहिए।

यदि आप होलिका दहन देखने जाते हैं तो खाली हाथ बिल्कुल भी न जाएं। आप चाहें तो चावल, मालपुआ, गेंहू की बाली, उपले आदि लेकर जाएं क्‍योंकि होलिका की अग्नि में इनकी आहुती दी जाती है। प्रसाद के रुप में गेंहू की बाली को ग्रहण कर सकते हैं।

किसी को नजर लगी हो तो उस व्यक्ति के सिर से नारियल को सात पर वार घुमा के होलिका की अग्नि में डाल देने से हर तरह की नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं।

 

होली के उपाय

होली की रात के लिए कुछ आसान और अचूक उपाय करना बेहद लाभकारी रहता है। क्‍योंकि होली को सिद्धी प्राप्ति के लिए शुभ माना जाता है। होली पर आप कुछ उपाय करके अपनी और अपने परिवार को नकारात्‍मक शक्तियोंं से बचा सकते हो।

  • होलिका दहन के दिन किसी को बुरी नजर लगी हो तो उस व्यक्ति के सिर से नारियल को सात पर वार घुमा के होलिका की अग्नि में डाल देने से हर तरह की नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं।
  • होलिका जलाने के बाद दूसरे दिन बची राख को किसी लाल रंग के रुमाल में बांध कर उसे अपनी तिजोरी या पर्स में रख लें। ऐसे करने से आपके खर्चों में भी कमी आएगी।
  • आर्थिक समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए होलिका दहन की रात के समय अपने घर के मुख्य द्वार पर दो मुखी दीपक जलाएं। इस उपाय से आर्थिक समस्‍या कम होती है।
  • होली की राख को घर के चारों ओर दरवाजे पर छिड़क देने से घर में नकारात्मक शक्तियों को प्रवेश नहीं होता है और घर में सुख-समृद्घि बनी रहती है।

 

होली पूजन के कुछ महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न 

प्र.1 होली की पूजा कैसे की जाती है?

उ. होली की पूजा वि‍धि ऊपर बताई गई है।

प्र.2 2024 में होली की वास्तविक तारीख क्या है?

उ. 24 मार्च को होलिका दहन है और 25 मार्च को होली का त्‍यौहार है।

प्र.3 होली के दिन घर में क्या करना चाहिए?

उ. ऊपर होली के दिन क्‍या करना चाहिए संबंधित जानकारी दी गई है।

प्र.4 होली पूजन के लिए क्या-क्या सामान चाहिए?

उ. होली पूजन की सामग्री के बारे में ऊपर बताया गया है।

प्र.5 होलिका दहन में क्या चढ़ाना चाहिए?

उ. होलिका प्रज्वलित होने के बाद उसमें 11 उपलों की माला, पान, सुपारी, नारियल, अक्षत, चना इत्यादि, साथ ही भोग में मीठा अर्पित करना चाहिए।

 

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