Shiv Ling Puja Vidhi – शिव जी की सरल पूजा विधि, शिव पूजा सामग्री, मंत्र और अन्य जानकारी
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Shiv Ling Puja Vidhi – सोमवार का दिन शिवजी का प्रिय दिन होता है। शिव जी को भोले बाबा भी कहा जाता है ये थोड़ी सी पूजा से भी प्रसन्न हो जाते है इनको आप सच्ची आस्था से एक कलश जल या थोड़ी सी वस्तु अर्पित करके भी प्रसन्न कर सकते हैं। सावन सोमवार हो या शिवरात्रि हो या अन्य कोई व्रत या त्यौहार हो जिसमें आपको शिव जी की पूजा करनी होती है तब आपको पता नहीं होता है कि पूजा कैसे और किस प्रकार से करनी है या कौन सी प्रक्रिया कब करनी है क्या सामग्री लगेगी। शिवलिंग पर कब क्या चढ़ाना होता है यह नहीं पता होता है तो यहाँ हम आपको भगवान शिव जी की सरलता वाली संपूर्ण पूजा विधि बताने जा रहे हैं। जिससे आप पूजा को विधि विधान से कर पाएंगे। जैसे आप सावन सोमवार में शिव जी की पूजा करते है और यह पूजा आप सरलता से करना चाहते है तो यहां हमारे द्वारा आपको पूजा विधि के साथ पूजा सामग्री शिव मंत्र और शिव जी को क्या भोग में क्या पसंंद है इन सबकी जानकारी मिलेगी।
महादेव पूजा सामग्री
- शिवलिंग
- दूध
- दही
- घी
- शहद
- शक्कर
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर को मिलकर बनाइये)
- गंगा जल
- आचमन ( जल में थोड़ा कर्पूर मिलाकर बनाइए )
- जल
- गंधोदक – (केसर को चंदन से घिसकर पीला द्रव्य बना ले)
- इत्र (परिमलद्रव्य)
- लाल कपड़ा
- मौली/ कलावा
- वस्त्र (कलावा के टुकड़े)
- तौलिआ
- जनेऊ (यज्ञोपवीत)
- अष्ट गंध
- अर्घ्य ( जल में अष्ट गंध और फूल की पत्तियां मिलाकर बनाइये )
- फूल
- फूल माला
- फल
- धतुरा
- धूप, अगरबती
- माचिस
- रुई
- दो ज्योति
- बिल्व पत्र (बेल पत्र)
- दूर्वा
- शमी पत्र
- पान के पत्ते
- सुपारी
- लौंग
- छोटी इलाइची
- पॉंच पात्र
- नारियल पानी वाला (तोड़ने के लिए, नारियल का पानी शिवलिंग पर नहीं चढ़ाया जाता )
- धतूरे के पत्ते और फूल
- आक/अकौआ के पत्ते और फूल
- नैवेद्य (मिठाई)
- दक्षिणा
शिव-पूजा विधि
सर्वप्रथम पहले की तरह आचमन कर पवित्री धारण करें। अपने ऊपर और पूजा-सामग्री पर जल को छिड़के। इसके बाद संकल्प करे। हाथ में फूल लेकर अंजलि बॉंधकर शंकर भगवान का ध्यान करें।
आवाहन
भगवान शंकर का पुष्प चढ़ाकर आवाहन करें।
आसन
भगवान शिव को आसन के लिए बिल्वपत्र चढ़ायें।
पाद्य
आसन देने के बाद भगवान शिव के पैर धोने के लिए जल चढ़ायें।
अर्घ्य
शिवलिंग को अब चंदन, पुष्प, अक्षत से अर्घ्य दें।
आचमन
अर्घ्य के बाद कर्पूर मिला हुआ शीतल जल चढ़ायें।
स्नान
आचमन के बाद शिवलिंग को स्नान कराया जाता है तो पहले शिव जी का गंगाजल से स्नान कराये।
स्नानाङ्ग-आचमन
गंगाजल से स्नान के बाद जल चढ़ाये।
दुग्धस्नान
अब गाय के दूध से स्नान करायें।
दधिस्नान
फिर दूध के स्नान के बाद दही से स्नान करायें।
घृतस्नान
दूध, दही के बाद घी का स्नान करायें।
मधुस्नान
इसके बाद मधु यानी शहद का स्नान करायें।
शर्करास्नान –
अब शक्कर का स्नान करायें।
पञ्चामृतस्नान
एक पात्र में दूध, दही, घी, शहद और शक्कर काे मिलाकर पंचामृत से स्नान करायें।
गंधोदकस्नान
केसर को चंदन से घिसकर पीला द्रव्य बना कर शिवलिंग को स्नान करायें।
शुद्धोदकस्नान
सारी चीजोंं से स्नान कराने के बाद शुद्ध जल से स्नान करायें।
स्नानान्त आचमन
आचमन के लिए जल चढ़ाये।
वस्त्र
स्नान के बाद अब शिव जी को वस्त्र अर्पित करें।
आचमन
आचमन के लिए जल चढ़ाये।
उपवस्त्र
इसके बाद उपवस्त्र चढ़ाये।
आचमन
फिर आचमन के लिए जल चढ़ाये।
यज्ञोपवीत
अब यज्ञोपवीत के लिए जनेऊ चढ़ाये।
आचमनीय
आचमन के लिए जल चढ़ाये।
चन्दन
वस्त्र आदि के बाद मलय चंदन लगाये।
अक्षत
चन्दन लगाने के बाद कुमकुम, चावल को मिलाकर अक्षत चढ़ायें।
पुष्पमाला
अब शिवलिंग पर फूल एवं फूलमाला चढ़ाये।
बिल्वपत्र
अब बिल्वपत्र चढ़ाये।
दूर्वा
दूर्वा चढायें।
शमी
अब शमी पत्र चढ़ाये।
आभूषण
फिर रत्नाभूषण समर्पित करे।
परिमलद्रव्य
आभूषण के बाद इत्र चढ़ाये।
भगवान् के आगे चौकोर जल का घेरा डालकर उसमें नैवेद्य की वस्तु को रख दे, इसके बाद धूप-दीप दिखायें।
धूप
इसके बाद धूप दिखायें।
दीप
घी का दीप जलाएं फिर उसे शिविलिंग को दिखायें और फिर हाथ धो ले।
नैवेद्य
अब शिवलिंग को नैवेद्य निवेदित करे।
आचमनीय
नैवेद्य अर्पित करने के बाद आचमन के लिए जल चढ़ाये।
ऋतुफल
इसके बाद कोई भी फल चढ़ाये।
और आचमन तथा उत्तरापोऽशन के लिये जल दे।
ताम्बूल
फिर इलायची, लौंग, सुपारी के साथ पान समर्पित करे।
दक्षिणा
शिवलिंग पर अब दक्षिणा के रूप में धन चढ़ाये।
आरती
शिव जी की कर्पूर से आरती करें और आरती करने के बाद जल को आरती की थाली के चारों ओर घुमाते हुए गिरायें।
प्रदक्षिणा
आरती के बाद शिव जी की हाथ ऊपर उठाते हुए आधी परिक्रमा करें।
मन्त्रपुष्पाञ्जलि
इसके बाद शिवलिंग पर हाथ में जल और फूल लेकर पुष्पाजंलि अर्पित करें।
नमस्कार
अब शिव जी को अपने दोनों हाथ जोड़कर नमस्कार करें।
क्षमा-याचना
फिर शिव जी से प्रार्थना करते हुए पूजा में हुई गलती या कमी के लिए क्षमा मांगे।
अर्पण
अंत में शिव जी को चढ़ाये जल को अपनी हथेली में लेकर पीयें फिर प्रसाद ग्रहण करें और पूजा का समापन करें।
विष्णवे नमः, विष्णवे नमः, विष्णवे नमः।
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शिव जी के मंत्र
* ॐ नमः शिवाय॥
*श्री शिवाय नमस्तुभ्यम॥
* ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
* ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः॥
* शिव गायत्री मंत्र : ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्॥
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Shiv Ling Puja Vidhi के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
प्र.1 शिव की पूजा कैसे करनी चाहिए?
उ. ऊपर बताए अनुसार आप शिवजी की पूजा कर सकते हैं।
प्र.2 सोमवार को शिव जी की पूजा कैसे करते हैं?
उ. आप सोमवार को शिव जी का अभिषेक कर सकते है और उनकी मनपंसद वस्तु चढ़ाकर उनकी पूजा कर सकते हैं या फिर आप केवल एक लोटा जल चढ़ाकर भी शिव जी की पूजा कर सकते हैं।
प्र.3 शिवलिंग पर सबसे पहले क्या चढ़ाना चाहिए?
उ. शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। इसके बाद दूध, दही, शहद चढ़ाएं। फिर शिवलिंग पर बिल्व पत्र, धतूरा, अकौआ के फूल आदि चीजें अर्पित करें।
प्र.4 शिव जी को भोग में क्या पसंद है?
उ. शिव जी को मखाने की खीर, भांग, धतुरा, हलवा, ठंडाई, लस्सी, मालपुआ आदि पसंंद है। आप इनमें से किसी भी चीज का भोग शिव जी को लगा सकते हैं।
प्र.5 शिवलिंग पर चढ़ा हुआ जल का क्या करें?
उ. शिवलिंग पर चढ़ाए गए जल को आप पी सकते है पर जल को पीते समय शिवलिंग को स्पर्थ न करें अन्यथा आपको पुण्य फल की प्राप्ति नहीं होगी। वहीं इस बात का ध्यान रखें कि जब शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल को पिएं तो जल पैरों पर न गिरे। शिवलिंग पर जल चढ़ाये जल को अंगुलियों में लेकर अपने आंख, माथा, कंठ पर लगाएं। इससे ग्रह दोषों और रोगों से मुक्ति मिलती है।
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