TilKut / Sankashti Chaturthi Puja Vidhi – विधि विधान के अनुसार तिलकुट/संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, सामग्री, चंद्रमा पूजा और अर्घ्य की जानकारी
TilKut Chauth Puja Vidhi In Hindi
Maghi Chaturthi Puja Vidhi In Hindi
Til Chauth Puja Vidhi In Hindi
संकष्टी गणेश चतुर्थी 2025 के बारे में
TilKut / Sankashti Chaturthi Puja – संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत हर साल माघ मास कृष्ण पक्ष में चतुर्थ तिथि को पड़ता है। वैसे तो एक साल में 12 संकष्टी चतुर्थी व्रत मनाए जाते हैं। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण संकष्टी गणेश चतुर्थ को माना जाता है। संकट चौथ भगवान गणेश को समर्पित सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। संकट चौथ को तिलकुट संकष्टी चतुर्थी और माघी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। संकट चौथ भगवान गणेशजी को समर्पित होता है। इस व्रत में चन्द्र देवता को अर्घ्य देने का महत्व होता है। संकट चौथ पर भगवान गणेश की उपासना करने से भक्तों के सभी संकट दूर हो जाते है। इस व्रत को महिलाएं अपनी संतान के लिए करती है जिससे विघ्नहर्ता गणेश भगवान उनके संतान के सभी संकटों से रक्षा करते है।
संकष्टी गणेश चतुर्थी का महत्व
हिंदू धर्म में संकष्टी गणेश चतुर्थ का बहुत महत्व है। इस दिन जो लोग भक्तिभाव के साथ व्रत रखते हैं और पवित्रता के साथ भगवान गणेश पूजा-पाठ के सभी नियमों का पालन करते हैं और बप्पा की उपासना करते है तो उन्हें सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। संकष्टी चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी। ये व्रत मुख्य रूप से संतान के लिए रखा जाता है। ऐसी मान्यता है इस व्रत को करने से संतान निरोगी, दीर्घायु सुख और समृद्धि से परिपूर्ण होती है। इस पर्व पर माताऐ अपनी संतान और परिवार की सुख और समृद्धि की कामना के लिए निर्जल और निराहार उपवास भी रखती है।
संकट चौथ व्रत की कथा
वैसे तो हर व्रत की कथा है जिस दिन जो व्रत रखा जाता है उस दिन उस व्रत का कथा का श्रवण भी करना चाहिए। वैसे ही संकट चौथ व्रत की भी कथा है। व्रत के दिन इस कथा को बिना सुने या पढ़ें पूजा अधूरी मानी जाती है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन उपवास रखती है और पूजा के समय इस कथा को पड़ती है या फिर किसी ब्राह्मण द्वारा सुनती है जो कथा इस प्रकार है:-
पौराणिक कथाओं में ऐसा कहा गया है की एक बार की बात है जब देवों के देव महादेवजी ने अपने दोनों पुत्रों से पूछा की यानि कार्तिकेय व भगवान गणेश जी से पूछा कि तुम दोनों में से कौन देवताओं के कष्टों का निवारण कर सकता है। जिससे उनकी समस्या दूर हो जाए। तब शंकरजी के दोनों पुत्रों ने कार्तिकेय व गणेशजी दोनों ने ही स्वयं को इस कार्य के लिए सक्षम बताया।
इसपर भगवान शिव ने सोचा दोनों ही इस कार्य के लिए स्वंय की योग्य बता रहे है उन्हेंने एक तरीका निकला और इस पर भगवान शिव ने अपने दोनों पुत्रों से कहा कि तुम दोनों में से जो भी सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा करके आएगा वही देवताओं की मदद करने जाएगा। ये वचन सुनते ही कार्तिकेयजी अपने वाहन मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए तुरंत ही निकल गए।
लेकिन भगवान गणेश जी सोच में पढ़ गए और वे सोचने लगे की अगर में इस चूहे के ऊपर चढ़कर सारी पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे तो इस कार्य में उन्हें बहुत समय लग जाएगा। तभी उन्हें एक उपाय सूझा। वे अपने स्थान से उठे और अपने माता-पिता की सात परिक्रमा करके वापस बैठ गए। परिक्रमा करके लौटने पर कार्तिकेय स्वयं को विजयी बताया।
शिवजी ने गणेशजी से पृथ्वी की परिक्रमा न करने का कारण पूछा। तब गणेश जी ने कहा – माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक हैं। यह सुनकर भगवान शिव ने गणेशजी को देवताओं के संकट दूर करने की आज्ञा दी और गणेश जी को आशीर्वाद दिया कि चतुर्थी के दिन जो तुम्हारा श्रद्धा पूर्वक पूजन करेगा और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देगा उसके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे।
TilKut / Sankashti Chaturthi Puja 2025 में कब है?
वैसे तो यह पर्व हर साल माघ माह की कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि को किया जाता है। इस साल संकष्टी गणेश चतुर्थ का व्रत 17 जनवरी 2025 को है जो शुक्रवार के दिन पड़ रहा है। इस बार चतुर्थी तिथि का प्रारम्भ 17 जनवरी शुक्रवार 04:07 से हो रही है और चतुर्थी तिथि का समापन 18 जनवरी शनिवार सुबह 05:30 तक है। इसलिए इस संकट चौथ का व्रत 17 जनवरी दिन शुक्रवार को ही रखा जाएगा।
TilKut / Sankashti Chaturthi Puja Muhurat 2025
सुबह का मुहूर्त:- सुबह 5:54 से 7:15
शाम का मुहूर्त:- शाम 5:48 से 7:09
अभिजीत मुहूर्त:- दोपहर 12:15 से 12:58
चंद्रोदय का समय रात 9:18
संकष्टी चतुर्थी की पूजा सामग्री
- लकड़ी की चौकी
- गणपति की मूर्ति
- पीला कपड़ा
- जनेऊ
- सुपारी
- पान का पत्ता
- लौंग
- इलायची
- गंगाजल
- लाल फूल
- 21 गांठ दूर्वा
- रोली
- सिंदूर
- पीला अक्षत
- हल्दी
- मोली
- गाय का धी
- दीप
- धूप
- 11 या 21 तिल के लड्डू (यथासंभव)
- मोदक
- मौसमी फल
- सकट चौथ व्रत कथा की पुस्तक
- चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए दूध
- गंगाजल
- कलश
संकष्टी गणेश चतुर्थी की पूजा कैसे करें?
संकट चौथ में व्रत सुबह से लेकर रात तक रखा जाता है। रात के समय भगवान गणेश को तिल, गुड़ और मोदक का भोग लगाकर प्रसाद रूप में ग्रहण किया जाता है। चौथ का व्रत निर्जला और निराहार रखा जाता है। संकट चौथ के दिन महिलाएं दिन भर निर्जला व्रत रखती हैं। व्रत के दौरान पानी तक नहीं पीती हैं। शाम में गणेश जी की विधि विधान पूजा करने के बाद सकट चौथ की कथा सुनती हैं। गणेश चतुर्थी का व्रत करने का महत्व बहुत खास है, क्योंकि यह दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है, जिन्हें विघ्नहर्ता और शुभ फल देने वाला माना जाता है। अगर आप भी इस पावन दिन पर व्रत रखना चाहते है, तो आइए जानते है इस व्रत को कैसे किया जाता है?
- सबसे पहले व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठें और इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनें।
- इतना करने के बाद भगवान सूर्य देव को जल चढ़ाये और व्रत का संकल्प लें।
- साफ आसन या चौकी पर भगवान गणेश जो को विराजित करें।
- फिर गणपति जी की मूर्ति को फूलों से सजा दें।
- ध्यान रखें की पूजा करते समय अपना मुहं पूर्व उत्तर दिशा की ओर रखें।
- भगवान गणेश ध्यान रखते हुए गणेश जी का आवाहन करे
- इसके बाद भगवान गणेश की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं।
- भगवान गणेश की मूर्ति के सामने घी का दिया जलाये।
- गणेश भगवान को रोली लगाए और जल चढ़ाये।
- इसके बाद भगवान गणेश को फूल, चावल, दूर्वा,फल जनेऊ आदि अर्पित करें।
- अब भगवान गणेश को वस्त्र चढ़ाये।
- गणेश भगवान को तिल के लड्डू और मोदक का भोग जरुर लगाए।
- ॐ गं गणपतये नम: मंत्र का जप करें। कम से कम 108 इस मंत्र का जाप करें।
- माघ मास कृष्ण पक्ष में चतुर्थ तिथि कथा पढ़े। जो ऊपर दिया गया है।
- इसके बाद गणपति जी आरती करें।
- अब गणपति जी से अपने किसी भी तरह की गलती की क्षमा मांगें।
- रात में चाँद की पूजा और दर्शन करने के बाद ही अपना व्रत खोलें।
- पूजा के बाद प्रसाद बांटे और खुद भी लें।
- अपना व्रत खोलने के बाद दान भी जरुर करनी चाहिए।
नोट:- भगवान गणेशजी की पूजा आप स्वंय भी कर सकते है या आप किसी भी ब्राह्मण को बुलाकर पूजा भी करा सकते है।
चंद्रमा पूजा और अर्घ्य देने के लिए सामग्री
अर्घ्य देने के लिए:-
- जल लेने के लिए लोटा
- दूध
- गंगाजल
- शुद्ध जल
पूजा के लिए:-
- फूल
- अक्षत
- धूप
- दीप
TilKut / Sankashti Chaturthi Puja चंद्रमा को अर्घ्य
चंद्रमा को अर्घ्य देते समय आपका मुख उत्तर-पश्चिम दिशा में ही रखें। पानी में गंगाजल या कच्चा दूध मिलाकर अर्घ्य दिया जाता हैं। अर्घ्य देते समय अपने पैरों में जल के छीटे न पड़ने दे। अर्घ्य देते समय प्रार्थना करें कि चंद्रमा आपकी मनोकामनाएं पूर्ण करें। संकट चौथ व्रत में चंद्रमा को अर्घ्य दिए बिना व्रत को पूरा नहीं माना जाता है इसलिए इस व्रत में चंद्रमा को अर्घ्य जरुर देना चाहिए। तभी आपका व्रत सम्पूर्ण माना जाएगा और इस व्रत का फल भी मिलेगा।
सात्विक भोजन में क्या खाएं?
अर्घ्य देने के बाद अपना व्रत तोड़ें और सात्विक भोजन ही करें। इस दिन शकरकंद खाने का सर्वाधिक महत्व होता है। इस दिन का व्रत दूध और शकरकंद खाकर ही खोला जाता है। इस व्रत में काले तिल और गुड़ से बने गणेश का भोग लगाया जाता है और प्रसाद के रूप में ग्रहण भी किया जाता है। संकष्टी चतुर्थी के व्रत का पारण करने के अगले दिन भी केवल सात्विक भोजन खाएं। तामसिक भोजन न खाएं।
TilKut / Sankashti Chaturthi Puja Vidhi के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
प्र.1 संकष्टी गणेश चतुर्थी की पूजा कैसे करें?
उ. संकष्टी गणेश चतुर्थी की पूजा विधि ऊपर बताई गई है।
प्र.2 संकट चौथ व्रत क्यों किया जाता है?
उ. यह व्रत महिलाएं अपने बच्चों की दीर्घायु और भलाई के लिए व्रत रखती हैं और भगवान गणेश से प्रार्थना करती हैं।
प्र.3 संकट चौथ के व्रत में क्या खाना चाहिए?
उ. इस दिन हम केवल दूध, फल और व्रत की चीजें ही खा सकते हैं।
प्र.4 भगवान गणेश को कौन सा प्रसाद पसंद है?
उ. भगवान गणेश को मोदक के प्रति रुचि थी। आप भगवान गणेशज़ी को मोदक का भोग लगा सकते हैं।
प्र.5 संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश क्या नहीं चढाए ?
उ. इस दिन भगवान गणेश की पूजा में तुलसी का पता न चढाए।
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