Ganesh Ji Ki Aarti :- 4 मनभावन आरती – जय गणेश देवा, सुखकर्ता दुःखहर्ता वार्ता विघ्नाची, शेंदुर लाल चढ़ायो, गणपति की सेवा मंगल मेवा
Aarti Ganesh Bhagwan Ki
Ganpati Ji Ki Aarti
जय गणेश, जय गणेश देवा – श्री गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
॥गणपति बप्पा मौरेया ॥
सुखकर्ता दुःखहर्ता वार्ता विघ्नाची – श्री गणेश जी की आरती
सुखकर्ता दुःखहर्ता वार्ता विघ्नाची
नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची
सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची
कंठी झलके माल मुक्ता फलांची।
जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव
जयदेव जयदेव जय मंगलमूर्ति
दर्शन मात्रे मन कामना पूर्ती। जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव
रत्नखचित फरा तुज गौरीकुमरा
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा
हीरे जड़ित मुकुट शोभतो बरा
रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरिया।
जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव
जयदेव जयदेव जय मंगलमूर्ति
दर्शन मात्रे मन कामना पूर्ती। जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव
लम्बोदर पीताम्बर फणिवर बंधना
सरल सोंड वक्र तुंड त्रिनयना
दास रामाचा वाट पाहे सदना
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुर वर वंदना।
जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव
जयदेव जयदेव जय मंगलमूर्ति
दर्शन मात्रे मन कामना पूर्ती। जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव ।।
॥गणपति बप्पा मौरेया ॥
शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुख को – श्री गणेश जी की आरती
शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुख को,
दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहर को ।
हाथ लिए गुडलद्दु सांई सुरवर को,
महिमा कहे न जाय लागत हूं पद को ।।
।। जय देव जय देव ।।
जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता ।
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मन रमता ।।
। जय देव जय देव ।।
भावभगत से कोई शरणागत आवे,
संतति संपत्ति सबहि भरपूर पावे ।
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे,
गोसावीनन्दन निशिदिन गुण गावे ।।
।। जय देव जय देव ।।
जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता ।
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मन रमता ।।
।। जय देव जय देव ।।
घालीन लोटांगण वंदिन चरन,
डोळ्यांनी पाहीं रुप तुझे ।
प्रेम आलिंगिन आनंदे पूजीं,
भावे ओवालीन म्हणे नामा ।।
त्वमेव माता पिता त्वमेव,
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव ।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव,
त्वमेव सर्वम मम देव देव ।।
कयें वच मनसेन्द्रियैवा,
बुद्धयात्मना व प्रकृतिस्वभावा ।
करोमि यद्यत सकलं परस्मै,
नारायणायेति समर्पयामि ।।
अच्युत केशवम रामनरायणं,
कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरी ।
श्रीधरम माधवं गोपिकावल्लभं,
जानकीनायकं रामचंद्रम भजे ।।
हरे राम हरे राम,
राम राम हरे हरे ।
हरे कृष्णा हरे कृष्णा,
कृष्णा कृष्णा हरे हरे ।।
॥बोलो गणपति जी की जय॥
गणपति की सेवा मंगल मेवा – श्री गणेश जी की आरती
गणपति की सेवा मंगल मेवा, सेवा से सब विध्न टरें |
तीन लोक तैतिस देवता, द्वार खड़े सब अर्ज करे ||
ऋद्धि-सिद्धि दक्षिण वाम विराजे, अरु आनन्द सों चवर करें |
धूप दीप और लिए आरती, भक्त खड़े जयकार करें ||
गुड़ के मोदक भोग लगत है, मुषक वाहन चढ़ा करें |
सौम्यरुप सेवा गणपति की, विध्न भागजा दूर परें ||
भादों मास और शुक्ल चतुर्थी, दिन दोपारा पूर परें |
लियो जन्म गणपति प्रभुजी ने, दुर्गा मन आनन्द भरें ||
अद्भुत बाजा बजा इन्द्र का, देव वधू जहँ गान करें |
श्री शंकर के आनन्द उपज्यो, नाम सुन्या सब विघ्न टरें ||
आन विधाता बैठे आसन, इन्द्र अप्सरा नृत्य करें |
देख वेद ब्रह्माजी जाको, विघ्न विनाशक नाम धरें ||
एकदन्त गजवदन विनायक, त्रिनयन रूप अनूप धरें |
पगथंभा सा उदर पुष्ट है, देख चन्द्रमा हास्य करें ||
दे श्राप श्री चंद्रदेव को, कलाहीन तत्काल करें |
चौदह लोक मे फिरे गणपति, तीन लोक में राज्य करें ||
उठ प्रभात जो आरती गावे, ताके सिर यश छत्र फिरें |
गणपति जी की पूजा पहले करनी, काम सभी निर्बिघ्न करें ||
श्री गणपति जी की हाथ जोड़कर स्तुति करें |
गणपति की सेवा मंगल मेवा, सेवा से सब विघ्न टरें ||
॥बोलो गणपति जी की जय॥
गणपति जी के मंत्र
* ॐ गं गणपतये नमः॥
* वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
* एकदंताय विद्महे, वक्रतुंडाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात॥
* एकदंताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नमः।
प्रपन्न जनपालाय प्रणतार्ति विनाशिने॥
श्री गणेश जी की आरती के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
प्र.1 शक्तिशाली गणेश मंत्र कौन सा है?
उ. वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
प्र.2 गणेश जी का बीज मंत्र क्या है?
उ. ओम गं गणपतये नमः॥
प्र.3 गणेश जी की पूजा विधि कैसे की जाती है?
उ. सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान गणेश की जल,पंचामृत रोली, अक्षत, सुपारी, जनेऊ, सिन्दूर, पुष्प, दूर्वा आदि से पूजा करें फिर लड्डुओं का प्रसाद लगाकर दीप-धूप से उनकी आरती उतारें। सुख-समृद्धि की कामना से गणेशजी के मंत्र ‘ॐ गं गणपतये नमः’ या ‘वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा’ का यथाशक्ति जप करें।
प्र.4 गणेश जी को सबसे प्रिय क्या है?
उ. केसरिया चंदन, अक्षत, दूर्वा अर्पित कर कपूर जलाकर उनकी पूजा और आरती की जाती है। उनका प्रिय भोग मोदक लड्डू, प्रिय पुष्प लाल रंग के फूल, प्रिय वस्तु दुर्वा (दूब), प्रिय वृक्ष शमी-पत्र, केल, केला आदि हैं।
प्र.5 गणेश जी को कौन सा फूल नहीं चढ़ाया जाता है?
उ. तुलसी जो कि हिंदुओं के लिए एक पवित्र पौधा है, उसका तुलसी पत्र गणेश को कभी नहीं चढ़ाया जाता है।
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