श्री कृष्ण की प्रेरक कहानियाँ

कृष्ण से कृष्ण को मांगिए – श्री कृष्ण की प्रेरक कहानियां

 

श्री कृष्ण की कहानियां
भगवान श्रीकृष्ण का प्रेरक प्रसंग

 

*हृदय की इच्छाएं शांत नहीं होती हैं। क्यों???**

एक राजमहल के द्वार पर बड़ी भीड़ लगी थी।*

*किसी फकीर ने सम्राट से भिक्षा मांगी थी। सम्राट ने उससे कहा,”जो भी चाहते हो, मांग लो।”*

*दिवस के प्रथम याचक की कोई भी इच्छा पूरी करने का उसका नियम था।*

*उस फकीर ने अपने छोटे से भिक्षापात्र को आगे बढ़ाया और कहा,”बस इसे स्वर्ण मुद्राओं से भर दें।”*

*सम्राट ने सोचा इससे सरल बात और क्या हो सकती है! लेकिन जब उस भिक्षा पात्र में स्वर्ण मुद्राएं डाली गई, तो ज्ञात हुआ कि उसे भरना असंभव था।*

 

*वह तो जादुई था। जितनी अधिक मुद्राएं उसमें डाली गई, वह उतना ही अधिक खाली होता गया!*

*सम्राट को दुखी देख वह फकीर बोला,”न भर सकें तो वैसा कह दें। मैं खाली पात्र को ही लेकर चला जाऊंगा!*

*ज्यादा से ज्यादा इतना ही होगा कि लोग कहेंगे कि सम्राट अपना वचन पूरा नहीं कर सके !*

*”सम्राट ने अपना सारा खजाना खाली कर दिया, उसके पास जो कुछ भी था, सभी उस पात्र में डाल दिया गया, लेकिन अद्भुत पात्र न भरा, सो न भरा।*

*तब उस सम्राट ने पूछा,”भिक्षु, तुम्हारा पात्र साधारण नहीं है। उसे भरना मेरी सामर्थ्य से बाहर है। क्या मैं पूछ सकता हूं कि इस अद्भुत पात्र का रहस्य क्या है?”*

*वह फकीर हंसने लगा और बोला,”कोई विशेष रहस्य नहीं। यह पात्र मनुष्य के हृदय से बनाया गया है।*

*क्या आपको ज्ञात नहीं है कि मनुष्य का हृदय कभी भी भरा नहीं जा सकता*?

*धन से, पद से, ज्ञान से- किसी से भी भरो, वह खाली ही रहेगा, क्योंकि इन चीजों से भरने के लिए वह बना ही नहीं है। इस सत्य को न जानने के कारण ही मनुष्य जितना पाता है, उतना ही दरिद्र होता जाता है।*

*हृदय की इच्छाएं कुछ भी पाकर शांत नहीं होती हैं। क्यों?*

*क्योंकि, हृदय तो परमात्मा को पाने के लिए बना है।”*

*शांति चाहिए ? संतृप्ति चाहिए ? तो अपने संकल्प को कहिए कि “भगवान श्रीकृष्ण” के सेवा के अतिरिक्त और मुझे कुछ भी नहीं चाहिए।*

 

*”कृष्ण से कृष्ण को ही मांगिए ।”*

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