Maa Narmada – नर्मदा जयंती शुभ मुहूर्त, तट पर स्नान, महत्व और पूजा विधि, कथा, आरती, नर्मदा अष्टक

 

Narmada Jayanti in Hindi
Narmada Jayanti 2025

 

नर्मदा जयंती के बारे में 

हिन्दू पुराणों के हिसाब से माघ माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को माँ नर्मदा का अवतार हुआ था, इसलिए हर साल इस दिन नर्मदा जयंती मनायी जाती है। मॉं नर्मदा को रेवा के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में गंगा के समान नर्मदा नदी का भी है। नर्मदा नदी की महिमा का चारो वेदों में वर्णन है। नर्मदा नदी का उद्गम/ जन्‍म स्‍थान अमरकंटक है। इसलिए यह अमरकंटक में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।

 

नर्मदा जयंती शुभ मुहूर्त

नर्मदा जयंती 04 फरवरी 2025 को सुबह 04 बजकर 40 मिनट पर शुरू होगी, और इसका समापन 05 फरवरी 2025 को सुबह 02 बजकर 35 मिनट पर होगा। इस तरह नर्मदा जयंती 4 फरवरी को मनाई जाएगी।

 

नर्मदा जयंती का महत्‍व

नर्मदा नदी भारत की सबसे बड़ी नदियों में से एक है। नर्मदा जयंती पर नर्मदा नदी में नहाने और पूजा करने से शांति और समृद्धि की अनुभूति होती है और सुख की प्राप्ति होती है। नर्मदा नदी में नहाने और पूजा करने से सारे पाप नष्‍ट होते हैं।

 

नर्मदा तट पर पूजा विधि

नर्मदा जयंती पर नर्मदा नदी में स्‍नान करके नदी के तट पर पूजा की जाती है। नदी तट पर पूजा करने के लिए आटे के दीपक को जलाया जाता है और फूल, धूप, अक्षत, कुमकुम आदि से चढ़ाया जाता है। नर्मदा जयंती पर नर्मदा नदी पर दीप जलाकर दीपदान करना शुभ माना जाता है।

 

नर्मदा जयंती पूजा विधि

नर्मदा जयंती के दिन मां नर्मदा की पूजा इस प्रकार करें।

  • सबसे पहले स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
  • फिर मां नर्मदा को चुनरी और श्रृंगार का सामान चढ़ाएं।
  • अब उन्हें फल, फूल, मिठाई आदि भी अर्पित करें।
  • इस दिन हवन करने की भी परंपरा है, तो हवन करें।
  • नर्मदा जयंती के दिन नर्मदा माता की परिक्रमा करने का भी बहुत महत्व है।

 

नर्मदा पूजा के लाभ 

नर्मदा जयंती पर नर्मदा पूजा का बहुत महत्‍व है। नर्मदा जयंती के दिन नर्मदा स्‍नान करके मॉं नर्मदा की पूजा करने से नर्मदा मैया प्रसन्‍न होती है और सुख समृद्धि और स्‍वास्‍थ्‍य रहने का आशीर्वाद देती है। प्रचलित कथाओं के अनुसार नर्मदा जी को भगवान शंकर जी से बहुत से आशीर्वाद प्राप्‍त है जिससे मॉं नर्मदा की पूजा करने से बहुत पुण्‍य मिलता है।

 

नर्मदा स्‍नान के लाभ

नर्मदा जयंती पर मॉं नर्मदा जी की पूजा की जाती है। भक्‍तजन नर्मदा नदी में डुबकी लगाते हैं। नर्मदा नदी में स्‍नान करने से सारे पाप नष्‍ट होते हैं क्‍योंकि मॉं नर्मदा को पापनाशिनी का आशीर्वाद प्राप्‍त है। नर्मदा स्‍नान करने से शांति की अनुभूति होती है। नर्मदा स्‍नान को पुराणों में विशेष स्‍थान प्राप्‍त है। हिंदु धर्म में नर्मदा स्‍नान से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

 

माता नर्मदा नदी की पौराणिक कथा

मां नर्मदा की जन्म कथा – 1 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार भगवान शिव भगवान शिव मैखल पर्वत पर तपस्या कर रहे थे, तब उनके पसीने से नर्मदा का जन्म हुआ। उन्होंने उस कन्या का नर्मदा नाम रखा। नर्मदा नाम का अर्थ होता है सुख प्रदान करने वाली। तब उस कन्या को भगवान शिव जी ने आशीष दिया कि जो भी तुम्हारा दर्शन करेगा, उसका कल्याण होगा। मैखल पर्वत पर उत्पन्न होने के कारण वह मैखल राज की पुत्री भी कहलाती हैं।

 

मां नर्मदा की जन्म कथा – 2

भगवान शंकर ने मैखल पर्वत पर 12 वर्ष की दिव्य कन्या को अवतरित किया अति सुंदर होने के कारण इस कन्या का नामकरण विष्णु आदि देवताओं ने नर्मदा नाम से किया। उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर इस दिव्य कन्या नर्मदा ने काशी के पंचक्रोशी क्षेत्र में दस हजार दिव्य वर्षों तक तपस्या करके शिवजी से कुछ ऐसे वरदान प्राप्त किए जो कि अन्य किसी नदी के पास नहीं है जैसे – मेरा प्रलय में भी नाश न हो, मैं एकमात्र पाप-नाशिनी नदी के रूप में विश्व में प्रसिद्ध रहूं, मेरा हर पत्‍थर (नर्मदेश्वर) शिवलिंग के रूप में पूजा जाएं, नर्मदा तट पर शिव-पार्वती सहित सभी देवता निवास करें।

 

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मॉं नर्मदा आरती

ॐ जय जगदानन्दी, मैया जय आनन्द कन्दी।
ब्रह्मा हरिहर शंकर रेवा, शिव हरि शंकर रुद्री पालन्ती॥
ॐ जय जय जगदानन्दी॥

देवी नारद शारद तुम वरदायक, अभिनव पदचण्डी।
सुर नर मुनि जन सेवत, सुर नर मुनि शारद पदवन्ती॥
ॐ जय जय जगदानन्दी॥

देवी धूमक वाहन, राजत वीणा वादयन्ती।
झूमकत झूमकत झूमकत, झननन झननन रमती राजन्ती॥
ॐ जय जय जगदानन्दी॥

देवी बाजत ताल मृदंगा, सुर मण्डल रमती।
तोड़ीतान तोड़ीतान तोड़ीतान, तुरड़ड़ रमती सुरवन्ती॥
ॐ जय जय जगदानन्दी॥

देती सकल भुवन पर आप विराजत, निश दिन आनन्दी।
गावत गंगा शंकर सेवत रेवा शंकर, तुम भव मेटन्ती॥
ॐ जय जय जगदानन्दी॥

मैया जी को कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
अमरकंठ में विराजत, घाटनघाट कोटी रतन ज्योति॥
ॐ जय जय जगदानन्दी॥

मैया जी की आरती निशदिन पढ़ि गावें, हो रेवा जुग-जुग नर गावें।
भजत शिवानन्द स्वामी जपत हरि, मनवांछित फल पावें॥

ॐ जय जगदानन्दी, मैया जय आनन्द कन्दी।
ब्रह्मा हरिहर शंकर रेवा, शिव हरि शंकर रुद्री पालन्ती॥
ॐ जय जय जगदानन्दी॥

॥बोलो नर्मदा मैया की जय॥

 

माँ नर्मदा अष्टक

सबिंदु सिन्धु सुस्खल तरंग भंग रंजितम
द्विषत्सु पाप जात जात कारि वारि संयुतम
कृतान्त दूत काल भुत भीति हारि वर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥1॥

 

त्वदम्बु लीन दीन मीन दिव्य सम्प्रदायकम
कलौ मलौघ भारहारि सर्वतीर्थ नायकं
सुमस्त्य कच्छ नक्र चक्र चक्रवाक् शर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥2॥

 

महागभीर नीर पुर पापधुत भूतलं
ध्वनत समस्त पातकारि दरितापदाचलम
जगल्ल्ये महाभये मृकुंडूसूनु हर्म्यदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥3॥

 

गतं तदैव में भयं त्वदम्बु वीक्षितम यदा
मृकुंडूसूनु शौनका सुरारी सेवी सर्वदा
पुनर्भवाब्धि जन्मजं भवाब्धि दुःख वर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥4॥

 

अलक्षलक्ष किन्न रामरासुरादी पूजितं
सुलक्ष नीर तीर धीर पक्षीलक्ष कुजितम
वशिष्ठशिष्ट पिप्पलाद कर्दमादि शर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥5॥

 

सनत्कुमार नाचिकेत कश्यपात्रि षटपदै
धृतम स्वकीय मानषेशु नारदादि षटपदै:
रविन्दु रन्ति देवदेव राजकर्म शर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥6॥

 

अलक्षलक्ष लक्षपाप लक्ष सार सायुधं
ततस्तु जीवजंतु तंतु भुक्तिमुक्ति दायकं
विरन्ची विष्णु शंकरं स्वकीयधाम वर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥7॥

 

अहोमृतम श्रुवन श्रुतम महेषकेश जातटे
किरात सूत वाड़वेषु पण्डिते शठे नटे
दुरंत पाप ताप हारि सर्वजंतु शर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥8॥

 

मॉं नर्मदा जयंती के कुछ महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न

प्र.1 नर्मदा जयंती कब मनाई जाती है?

उ. हिन्दू पुराणों के हिसाब से माघ माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को मनाई जाती है।

 

प्र.2 नर्मदा जयंती क्यों मनाया जाता है?

उ. नर्मदा जयंती को मॉं नर्मदा का अवतरण हुआ था इसलिए नर्मदा जयंती मनाई जाती है।

 

प्र.3 नर्मदा जयंती के दिन क्या करना चाहिए?

उ. नर्मदा जयंती के अवसर पर नर्मदा नदी में स्नान करने के बाद सुबह फूल, धूप, अक्षत, कुमकुम, आदि से नर्मदा मां के तट पर पूजन करना चाहिए। इस दिन नर्मदा नदी पर दीप जलाकर दीपदान करना शुभ रहता है।

 

प्र.4 नर्मदा नदी क्यों प्रसिद्ध है?

उ. नर्मदा नदी गोदावरी और कृष्णा नदी के बाद तीसरी सबसे लंबी नदी है जो पूरी तरह से भारत के भीतर बहती है। यह नदी नदियों की दिशा के विपरीत उल्टी दिशा में बहती है और यह खूबी नर्मदा नदी को सभी नदियों से अलग बनाती है।

 

प्र.5 नर्मदा नदी का हर पत्थर शिवलिंग क्यों होता है?

उ. पुराणों में विदित है कि इस नदी के पत्थरों में शिवलिंग स्वयं प्राण प्रतिष्ठित रहते हैं।

 

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