Om Jai Shiv Omkara Meaning – ॐ जय शिव ओंकारा आरती हिंदी में अर्थ सहित

 

Shiva Aarti With Meaning

Om Jai Shiv Omkara Lyrics In Hindi Meaning

 

Om Jai Shiv Omkara Meaning – शिव जी को देवों के देव महादेव भी कहा जाता है। वे भोलेनाथ भी कहलाते हैं क्‍योंकि वे थोड़ी सी पूजा से ही प्रसन्‍न हो जाते है। शिव जी को सिर्फ एक कलश जल से ही प्रसन्‍न किया जा सकता है। सप्‍ताह की शुरुआत भी शिवजी के दिन से ही होती है। सोमवार का दिन शिवजी का दिन माना जाता है। इसलिए शिवजी को अगर आप जल्‍दी प्रसन्‍न करना चाहते है तो आपको सोमवार के दिन जरूर शिव जी की पूजा और व्रत करना चाहिए। शिवजी की पूजा करने के बाद उनकी आरती भी की जाती है। आरती के बिना कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है। हम आपको शिव जी को समर्पित आरती के बारे में बताने जा रहे है। जिसे आप पढ़कर आप अपनी पूजा को संपन्‍न कर सकते हैं। यहां आपको आरती के साथ उसका अर्थ भी मिलेगा, जिससे आपको आरती का मतलब ज्ञात होगा।

 

शिव आरती अर्थ सहित

 

जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा।

अर्थ:- हे भगवान शिव! आपकी जय हो। हे ॐ शब्द के रचियता भगवान शिव! आपकी जय हो।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा।।ॐ जय शिव ओंकारा 

अर्थ:- ब्रह्मा, विष्णु व सभी देवताओं के स्वरुप आप ही हो अर्थात सभी ईश्वर व देवता आप ही के रूप हैं। यहाँ भगवान शिव को त्रिदेव का रूप बताया गया है अर्थात वे ही ब्रह्मा हैं, वे ही विष्णु हैं और वे ही शिव हैं।

 

एकानन चतुरानन पंचानन राजे।

अर्थ:- आप ही एक मुख वाले नारायण हैं, आप ही चार मुख वाले परम ब्रह्मा हैं, आप ही पांच मुख वाले भगवान शिव हैं।

हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे।।ॐ जय शिव ओंकारा 

अर्थ:- आप ही ब्रह्मा के वाहन हंस पर विराजते हैं, आप ही विष्णु के वाहन गरुड़ के वाहक हैं और आप ही शिव के वाहन बैल के ऊपर विराजित हैं।

 

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।

अर्थ:- ब्रह्मा की दो भुजाएं हैं, विष्णु की चार भुजाएं हैं व शिव की दस भुजाएं बहत सुंदर लगती हैं।

त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे।।ॐ जय शिव ओंकारा 

अर्थ:- आपके तीनों रूप अति सुंदर हैं और तीनों लोकों में मन मोह लेते हैं।

 

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।

अर्थ:- ब्रह्मा ने रुद्राक्ष की माला, विष्णु ने सुगन्धित पुष्पों की माला तो शिव ने, राक्षसों के कटे हुए सिर की माला पहनी हुई है।

चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी।।ॐ जय शिव ओंकारा 

अर्थ:- ब्रह्मा पर चंदन का तिलक, विष्णु पर मृगमद कस्तूरी का तिलक, और चंद्रमा शिव के मस्तक पर सुशोभित है।

 

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।

अर्थ:- ब्रह्मा श्वेत वस्त्र, विष्णु पीले वस्त्र, व शिव बाघ की खाल के वस्त्र पहने हुए हैं।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे।।ॐ जय शिव ओंकारा 

अर्थ:- ब्रह्मा के अनुयायी ब्रह्मादिक ऋषि, विष्णु के अनुयायी सनक आदि ऋषि तथा शिवजी के अनुयायी भूत, प्रेत इत्यादि संग हैं।

 

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूलधारी।

अर्थ:- ब्रह्मा कमंडल, विष्णु चक्र, व शिव त्रिशूल धारण है।

सुखकारी दुखकारी जगपालन कारी।।ॐ जय शिव ओंकारा 

अर्थ:- एक जग के रचनाकार, एक संरक्षक तथा एक पालनकर्ता हैं।

 

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।

अर्थ:- हम ब्रह्मा, विष्णु व सदाशिव को अविवेक के कारण अलग अलग देखते हैं।

प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका।।ॐ जय शिव ओंकारा 

अर्थ:- ब्रह्मांड के प्रणव अक्षर ॐ में ये तीनों ईश्वर विराजमान हैं।

 

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी।

अर्थ:- भगवान महादेव अपनी नगरी काशी में विश्वनाथ रूप में विराजते हैं जिनकी सवारी नंदी है और जो ब्रह्मचारी भी है।

नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी।।ॐ जय शिव ओंकारा 

अर्थ:- जो भी भक्तगण शिव जी को प्रतिदिन सुबह उठकर भोग लगाता है, उस पर भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।

 

त्रिगुण शिव जी की आरती जो कोई नर गावे।

अर्थ:- तीनों गुणों से युक्त भगवान शिव जी की आरती जो कोई भी भक्त करता है।

कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे।।

अर्थ:- शिवानन्द स्वामी जी के अनुसार उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

ॐ जय शिव ओंकारा…

 

जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा।।

 

शिव जी के मंत्र

ॐ नमः शिवाय

* ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥

* ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः

शिव गायत्री मंत्र : ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।।

 

शिव आरती के कुछ महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न

प्र.1 महादेव को बुलाने का मंत्र क्या है?

उ. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥

 

प्र.2 शिव से बड़ा भगवान कौन है?

उ. शैव मत के अनुयायी भगवान शिव को सर्वोपरि मानते हैं, तो वहीं वैष्णव मतावलम्बी श्री विष्णु को ही श्रेष्ठ मानते हैं।

 

प्र.3 भगवान शिव किसका ध्यान करते हैं?

उ. शिवपुराण में खुद भगवान शिव माता पार्वती को बताते हैं कि वह श्रीराम का ध्‍यान करते हैं।

 

प्र.4 शिव के अन्य नाम क्या है?

उ. शिव सभी को समान दृष्टि से देखते है और उन्‍हें देवों के देव माना जाता है इसलिये उन्हें महादेव कहा जाता है। शिव के कुछ प्रचलित नाम, महाकाल, आदिदेव, किरात, शंकर, चन्द्रशेखर, जटाधारी, नागनाथ, मृत्युंजय [मृत्यु पर विजयी], त्रयम्बक, महेश, विश्वेश, महारुद्र, विषधर, नीलकण्ठ, महाशिव, उमापति (पार्वती के पति), काल भैरव, भूतनाथ, त्रिलोचन (तीन नयन वाले), शशिभूषण आदि।

 

प्र.5 महादेव को सबसे प्रिय क्या है?

उ. भगवान शिव ऐसे देवता हैं जो बहुत ही जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। भगवान शिव को बेलपत्र बहुत ही प्रिय है। बेलपत्र के अलावा कई ऐसे पत्ते होते हैं जिसे चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।

 

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