Surya Dev Ji Ki Aarti – ऊँ जय सूर्य भगवान, जय जय जय रविदेव, ऊँ जय कश्यप नन्दन

 

Surya Bhagwan Ki Aarti In Hindi

Ravivar Surya Dev Ji Ki Aarti

 

Surya Dev Ji Ki Aarti  – सूर्य देव जी नवग्रहों में से एक ग्रह है। रविवार का दिन सूर्य देव का होता है। इसलिए अगर आप अपने सूर्य ग्रह को मजबूत करना चाहते हैं तो अवश्य ही रविवार को सूर्य देव की पूजा करना चाहिए। हिंदू धर्म में माना जाता है कि उगते सूर्य को प्रणाम करना और अर्घ्य देना शुभ होता है। उगते हुए सूर्य को देखना शुभ माना जाता है। छठ पूजा में सूर्य देव की पूजा की जाती है। सूर्य देव की पूजा के बाद उनकी आरती करना भी जरूरी होता है।  यहाँ हम आपको सूर्य देव जी की आरती बताने जा रहे हैं जिसे पढ़कर आप सूर्य देव की आरती कर सकेंगे और आप सूर्य देव की पूजा संपन्न पाएगें।

 

ऊँ जय सूर्य भगवान – Shri Surya Dev Ji Ki Aarti

 

ऊँ जय सूर्य भगवान,

जय हो दिनकर भगवान।

जगत् के नेत्र स्वरूपा,

तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।

धरत सब ही तव ध्यान,

ऊँ जय सूर्य भगवान॥

 

॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

 

सारथी अरूण हैं प्रभु तुम,

श्वेत कमलधारी।

तुम चार भुजाधारी॥

अश्व हैं सात तुम्हारे,

कोटी किरण पसारे।

तुम हो देव महान॥

 

॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

 

ऊषाकाल में जब तुम,

उदयाचल आते।

सब तब दर्शन पाते॥

फैलाते उजियारा,

जागता तब जग सारा।

करे सब तब गुणगान॥

 

॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

 

संध्या में भुवनेश्वर,

अस्ताचल जाते।

गोधन तब घर आते॥

गोधुली बेला में,

हर घर हर आंगन में।

हो तव महिमा गान॥

 

॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

 

देव दनुज नर नारी,

ऋषि मुनिवर भजते।

आदित्य हृदय जपते॥

स्त्रोत ये मंगलकारी,

इसकी है रचना न्यारी।

दे नव जीवनदान॥

 

॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

 

तुम हो त्रिकाल रचियता,

तुम जग के आधार।

महिमा तब अपरम्पार॥

प्राणों का सिंचन करके,

भक्तों को अपने देते।

बल बृद्धि और ज्ञान॥

 

॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

 

भूचर जल चर खेचर,

सब के हो प्राण तुम्हीं।

सब जीवों के प्राण तुम्हीं॥

वेद पुराण बखाने,

धर्म सभी तुम्हें माने।

तुम ही सर्व शक्तिमान॥

 

॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

 

पूजन करती दिशाएं,

पूजे दश दिक्पाल।

तुम भुवनों के प्रतिपाल॥

ऋतुएं तुम्हारी दासी,

तुम शाश्वत अविनाशी।

शुभकारी अंशुमान॥

 

॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

 

ऊँ जय सूर्य भगवान,

जय हो दिनकर भगवान।

जगत के नेत्र रूवरूपा,

तुम हो त्रिगुण स्वरूपा॥

धरत सब ही तव ध्यान,

ऊँ जय सूर्य भगवान॥

॥बोलो सूर्य भगवान जी की जय॥

 

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जय जय जय रविदेव – Ravi Dev Ji Ki Aarti

 

जय जय जय रविदेव, प्रभु जय जय जय रविदेव।

रजनीपति मदहारी, शतदल जीवनदाता॥

प्रभु जय जय जय रविदेव…

 

षटपद मन मुदकारी, हे दिनमणि दाता।

जग के हे रविदेव, जय जय जय रविदेव॥

प्रभु जय जय जय रविदेव…

 

नभमंडल के वासी, तुम ज्योति देवा।

निज जन हित सुखरासी, तेरी हम सब सेवा॥

प्रभु जय जय जय रविदेव…

 

करते हैं रविदेव, जय जय जय रविदेव।

कनक बदन मन मोहित, रुचिर प्रभा प्यारी॥

प्रभु जय जय जय रविदेव…

 

निज मंडल से मंडित, अजर अमर छविधारी।

हे सुरवर रविदेव, जय जय जय रविदेव॥

प्रभु जय जय जय रविदेव…

 

जय जय जय रविदेव, प्रभु जय जय जय रविदेव।

रजनीपति मदहारी, शतदल जीवनदाता॥

प्रभु जय जय जय रविदेव…

॥बोलो सूर्य भगवान जी की जय॥

 

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ऊँ जय कश्यप नन्दन – Surya Dev Ji Ki Aarti 

 

ऊँ जय कश्यप नन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन।

त्रिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥

॥ ऊँ जय कश्यप…॥

 

सप्त अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।

दु:खहारी, सुखकारी, मानस मलहारी॥

॥ ऊँ जय कश्यप…॥

 

सुर मुनि भूसुर वन्दित, विमल विभवशाली।

अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥

॥ ऊँ जय कश्यप…॥

 

सकल सुकर्म प्रसविता, सविता शुभकारी।

विश्व विलोचन मोचन, भव-बंधन भारी॥

॥ ऊँ जय कश्यप…॥

 

कमल समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।

सेवत सहज हरत अति, मनसिज संतापा॥

॥ ऊँ जय कश्यप…॥

 

नेत्र व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा हारी।

वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥

॥ ऊँ जय कश्यप…॥

 

सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।

हर अज्ञान मोह सब, तत्वज्ञान दीजै॥

 

ऊँ जय कश्यप नन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन।

त्रिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥

॥बोलो सूर्य भगवान जी की जय॥

 

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सूर्य देव जी के मंत्र

 

* ॐ सूर्याय नम: ।

 

* ॐ हृां मित्राय नम:।

 

* ॐ हूं सूर्याय नम:।

 

ॐ हृीं रवये नम:।

 

* ॐ हृों खगाय नम:।

 

ॐ ह्रां भानवे नम:।

 

ॐ हृ: पूषणे नम:।

 

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सूर्य देव जी की आरती के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

प्र.1 सूर्य को प्रणाम करते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?

उ. आप सूर्य देव जी का कोई भी मंत्र बोल सकते है‍‍।

 

प्र.2 सूर्य देव की सवारी क्या है?

उ. सूर्य भगवान 7 घोड़ों वाले रथ पर सवार होते हैं। इन घोड़ों की लगाम अरुण देव संभालते है और स्वंय सूर्य देवता पीछे रथ पर सवार रहते हैं।

 

प्र.3 सूर्य देव के लिए कौन सा फूल चढ़ाना चाहिए?

उ. सूर्यदेव को कंडेल का पुष्प या लाल रंग का पुष्प चढ़ाएं।

 

प्र.4 सूर्य को जल में क्या डालकर चढ़ाना चाहिए?

उ. सूर्य देव को जल में अक्षत, रोली, फूल इत्यादि डाल कर अर्पित करें।

 

प्र.5 सूर्य भगवान को क्या नहीं चढ़ाना चाहिए?

उ. धार्मिक मान्यता के अनुसार सूर्य देव को बेलपत्र या बिल्व पत्र अर्पित नहीं करने से सूर्य देव नाराज होते हैं।

 

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