Shri Gayatri Chalisa – भूर्भुवः स्वः ॐ युत जननी, गायत्री नित कलिमल दहनी, अक्षर चौबिस परम पुनीता
Gayatri Chalisa Lyrics in Hindi
Maa Gayatri Chalisa in Hindi
देवी माँ गायत्री, वह माता सरस्वती, माता लक्ष्मी और माता पार्वती का एक रूप हैं, तीनों एक ही रूप में हैं। गायत्री चालीसा हिंदू धर्म में सबसे शक्तिशाली प्रार्थनाओं में से एक है। हिंदू धर्म के क्षेत्र में, गायत्री चालीसा देवी गायत्री को समर्पित एक भक्ति भजन के रूप में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। चालीस छंदों से बनी, गायत्री चालीसा एक शक्तिशाली प्रार्थना के रूप में कार्य करती है जो भक्ति, आध्यात्मिक जागृति और दिव्य आशीर्वाद का सार समाहित करती है। यहां हम गायत्री चालीसा के बारे में बता रहे है इसके पाठ्य से आप माता गायत्री की उपासना कर सकेंगे।
श्री गायत्री चालीसा
॥ दोहा॥
हीं श्रीं, क्लीं, मेधा, प्रभा, जीवन ज्योति प्रचण्ड।
शांति, क्रांति, जागृति, प्रगति, रचना शक्ति अखण्ड॥
जगत जननि, मंगल करनि, गायत्री सुखधाम।
प्रणवों सावित्री, स्वधा, स्वाहा पूरन काम॥
॥ चौपाई॥
भूर्भुवः स्वः ॐ युत जननी।
गायत्री नित कलिमल दहनी॥1॥
अक्षर चौबिस परम पुनीता।
इनमें बसें शास्त्र, श्रुति, गीता॥2॥
शाश्वत सतोगुणी सतरुपा।
सत्य सनातन सुधा अनूपा॥3॥
हंसारुढ़ सितम्बर धारी।
स्वर्णकांति शुचि गगन बिहारी॥4॥
पुस्तक पुष्प कमंडलु माला।
शुभ्र वर्ण तनु नयन विशाला॥5॥
ध्यान धरत पुलकित हिय होई।
सुख उपजत, दुःख दुरमति खोई॥6॥
कामधेनु तुम सुर तरु छाया।
निराकार की अदभुत माया॥7॥
तुम्हरी शरण गहै जो कोई।
तरै सकल संकट सों सोई॥8॥
सरस्वती लक्ष्मी तुम काली।
दिपै तुम्हारी ज्योति निराली॥9॥
तुम्हरी महिमा पारन पावें।
जो शारद शत मुख गुण गावें॥10॥
चार वेद की मातु पुनीता।
तुम ब्रहमाणी गौरी सीता॥11॥
महामंत्र जितने जग माहीं।
कोऊ गायत्री सम नाहीं॥12॥
सुमिरत हिय में ज्ञान प्रकासै।
आलस पाप अविघा नासै॥13॥
सृष्टि बीज जग जननि भवानी।
काल रात्रि वरदा कल्यानी॥14॥
ब्रहमा विष्णु रुद्र सुर जेते।
तुम सों पावें सुरता तेते॥15॥
तुम भक्तन की भक्त तुम्हारे।
जननिहिं पुत्र प्राण ते प्यारे॥16॥
महिमा अपरम्पार तुम्हारी।
जै जै जै त्रिपदा भय हारी॥17॥
पूरित सकल ज्ञान विज्ञाना।
तुम सम अधिक न जग में आना॥18॥
तुमहिं जानि कछु रहै न शेषा।
तुमहिं पाय कछु रहै न क्लेषा॥19॥
जानत तुमहिं, तुमहिं है जाई।
पारस परसि कुधातु सुहाई॥20॥
तुम्हरी शक्ति दिपै सब ठाई।
माता तुम सब ठौर समाई॥21॥
ग्रह नक्षत्र ब्रहमाण्ड घनेरे।
सब गतिवान तुम्हारे प्रेरे॥22॥
सकलसृष्टि की प्राण विधाता।
पालक पोषक नाशक त्राता॥23॥
मातेश्वरी दया व्रत धारी।
तुम सन तरे पतकी भारी॥24॥
जापर कृपा तुम्हारी होई।
तापर कृपा करें सब कोई॥25॥
मंद बुद्घि ते बुधि बल पावें।
रोगी रोग रहित है जावें॥26॥
दारिद मिटै कटै सब पीरा।
नाशै दुःख हरै भव भीरा॥27॥
गृह कलेश चित चिंता भारी।
नासै गायत्री भय हारी॥28॥
संतिति हीन सुसंतति पावें।
सुख संपत्ति युत मोद मनावें॥29॥
भूत पिशाच सबै भय खावें।
यम के दूत निकट नहिं आवें॥30॥
जो सधवा सुमिरें चित लाई।
अछत सुहाग सदा सुखदाई॥31॥
घर वर सुख प्रद लहैं कुमारी।
विधवा रहें सत्य व्रत धारी॥32॥
जयति जयति जगदम्ब भवानी।
तुम सम और दयालु न दानी॥33॥
जो सदगुरु सों दीक्षा पावें।
सो साधन को सफल बनावें॥34॥
सुमिरन करें सुरुचि बड़भागी।
लहैं मनोरथ गृही विरागी॥35॥
अष्ट सिद्घि नवनिधि की दाता।
सब समर्थ गायत्री माता॥36॥
ऋषि, मुनि, यती, तपस्वी, जोगी।
आरत, अर्थी, चिंतित, भोगी॥37॥
जो जो शरण तुम्हारी आवें।
सो सो मन वांछित फल पावें॥38॥
बल, बुद्घि, विघा, शील स्वभाऊ।
धन वैभव यश तेज उछाऊ॥39॥
सकल बढ़ें उपजे सुख नाना।
जो यह पाठ करै धरि ध्याना॥40॥
॥ दोहा॥
यह चालीसा भक्तियुत, पाठ करे जो कोय।
तापर कृपा प्रसन्नता, गायत्री की होय॥
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गायत्री माता जी के मंत्र
* ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्यः धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥
* ॐ एक दृष्टाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो बुद्धिः प्रचोदयात्॥
* ॐ नारायण विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु: प्रचोदयात्॥
* ॐ पंचवक्त्राय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्॥
* ॐ महालक्ष्म्यै विद्महे विष्णुप्रियायै धीमहि । तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्॥
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श्री गायत्री चालीसा का पाठ कैसे करें?
- गायत्री चालीसा का पाठ करना सुबह के समय सबसे शुभ होता है।
- चालीसा का पाठ शुरु करने से पहले स्नान-ध्यान करना चाहिए।
- उसके बाद पूजा स्थल के पास चौकी पर आसन बिछाना चाहिए। आसन सफेद रंग का हो तो बेहतर होगा।
- अब आसन पर गायत्री माता की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
- इसके बाद माता को धूप-दीप और फूल अर्पित करें।
- इसके बाद श्रद्धा-पूर्वक श्री गायत्री चालीसा का पाठ करें।
- अब गायत्री माता की आरती करें।
श्री गायत्री चालीसा पढ़ने के फायदे
- इस चालीसा के जाप करने से मन में ज्ञान का प्रकाश फैल जाता है।
- मां गायत्री चालीसा का पाठ करने वाले को माता धैर्य, साहस और ऊर्जावान बनाती हैं।
- अगर आप इसका नियमित पाठ करें तो आपके जीवन से आलस्य, पाप और अज्ञानता का नाश हो जाता है।
- जो व्यक्ति मां गायत्री की चालीसा का पाठ मन से करता है उसे किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होती है।
- श्री गायत्री चालीसा प्रतिदिन पढ़ने वाले की हर मनोकामना पूरी होती है और उसे सारे सुख वैभव प्राप्त होते हैं।
- गायत्री चालीसा के पाठ से भक्तों को भय से भी मुक्ति मिलती है।
- गायत्री मंत्र के जाप से रोगियों को रोग से मुक्ति मिलती है और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
- निसंतान दंपत्तियों को चालीसा के जाप से संतान की प्राप्ति होती है।
- गायत्री चालीसा का पाठ आपके मन में शांति लाता है।
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गायत्री माता जी की चालीसा के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
प्र.1 असली गायत्री मंत्र कौन सा है?
उ. ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्यः धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥
प्र.2 गायत्री मंत्र कौन पढ़ सकता है?
उ. गायत्री मंत्र को कोई भी पढ़ सकता है।
प्र.3 गायत्री माता का दिन कौन सा होता है?
उ. धार्मिक कथाओं के अनुसार, माता गायत्री का जन्म श्रावण पूर्णिमा को हुआ था। इसलिए श्रावण पूर्णिमा के दिन गायत्री जयंती मनायी जाती है।
प्र.4 गायत्री की सिद्धि करके मनुष्य क्या कर सकता है?
उ. भगवान् मनु का कथन है— ब्रह्मजी ने तीनों वेदों का सार तीन चरण वाला गायत्री मन्त्र निकाला है। गायत्री से बढ़कर पवित्र करने वाला और कोई मन्त्र नहीं है। जो मनुष्य नियमित रूप से तीन वर्ष तक गायत्री जप करता है, वह ईश्वर को प्राप्त करता है।
प्र.5 गायत्री माता को कैसे प्रसन्न करें?
उ. माता गायत्री को प्रसन्न करने के लिए गायत्री मंत्र का जाप श्रद्धा पूर्वक किया जाता है।
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