Chandra Dev Ji Ki Aarti – ॐ जय सोम देवा, ॐ जय श्रीचन्द्र यती, जय देव जय देव श्रीशाशिनाथा
Chandra Aarti In Hindi
Chandra Dev Aarti Lyrics In Hindi
चंद्र देव जी नौ ग्रहों में से एक ग्रह है जिनकी कई त्यौहारों में पूजा की जाती है। ये सुंदर रथ पर कमल के आसन पर विराजमान रहते हैं। किसी भी भगवान की आरती में उस भगवान की महिमा बखान होता है। हम यहां चंद्र देव की विभिन्न आरतियों के बारे में बता रहे हैं जिसे पढ़कर या गाकर चंद्र देव जी की पूजा संपन्न कर सकते हैं।
ॐ जय सोम देवा – चंद्र देव जी की आरती
ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा।
दुःख हरता सुख करता, जय आनन्दकारी।
रजत सिंहासन राजत, ज्योति तेरी न्यारी।
दीन दयाल दयानिधि, भव बन्धन हारी।
जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे।
सकल मनोरथ दायक, निर्गुण सुखराशि।
योगीजन हृदय में, तेरा ध्यान धरें।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, सन्त करें सेवा।
वेद पुराण बखानत, भय पातक हारी।
प्रेमभाव से पूजें, सब जग के नारी।
शरणागत प्रतिपालक, भक्तन हितकारी।
धन सम्पत्ति और वैभव, सहजे सो पावे।
विश्व चराचर पालक, ईश्वर अविनाशी।
सब जग के नर नारी, पूजा पाठ करें।
ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा।
दुःख हरता सुख करता, जय आनन्दकारी।
॥बोलो चंद्र देव जी की जय॥
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ॐ जय श्रीचन्द्र यती – चंद्र देव की आरती
ॐ जय श्रीचन्द्र यती, स्वामी जय श्रीचन्द्र यती।
अजर अमर अविनाशी योगी योगपती।
सन्तन पथ प्रदर्शक भगतन सुखदाता,
अगम निगम प्रचारक कलिमहि भवत्राता।
कर्ण कुण्डल कर तुम्बा गलसेली साजे,
कंबलिया के साहिब चहुँ दीश के राजे।
अचल अडोल समाधि पद्मासन सोहे
बालयती बनवासी देखत जग मोहे।
कटि कौपीन तन भस्मी जटा मुकुट धारी,
धर्म हत जग प्रगटे शंकर त्रिपुरारी।
बाल छबी अति सुन्दर निशदिन मुस्काते,
भृकुटी विशाल सुलोचन निजानन्दराते।
उदासीन आचार्य करूणा कर देवा,
प्रेम भगती वर दीजे और सन्तन सेवा।
मायातीत गुसाई तपसी निष्कामी,
पुरुशोत्तम परमात्म तुम हमारे स्वामी।
ऋषि मुनि ब्रह्मा ज्ञानी गुण गावत तेरे,
तुम शरणगत रक्षक तुम ठाकुर मेरे।
जो जन तुमको ध्यावे पावे परमगती,
श्रद्धानन्द को दीजे भगती बिमल मती।
अजर अमर अविनाशी योगी योगपती।
ॐ जय श्रीचन्द्र यती, स्वामी जय श्रीचन्द्र यती।
॥बोलो चंद्र देव जी की जय॥
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जय देव जय देव श्रीशाशिनाथा – चंद्र देव की आरती(मराठी)
जय देव जय देव श्रीशाशिनाथा।
आरती ओंवाळू पदिं ठेवुनि माथा।। धृ.।।
उदयीं तुझ्या हृदयीं शीतळता उपजे।
हेलावुनि क्षीराब्धी आनंदे गर्जे।
विकसित कुमुदिनी देखुनि मनही बहु रंजे।
चकोर नृत्य करिती अदभुत सुख माजे।।
जय देव जय देव श्रीशाशिनाथा……..
विशेष महिमा तुझा न कळे कोणासी।
त्रिभुवनिं द्वादशीराशी व्यापुनि राहसी।
नवही ग्रहांमध्यें उत्तम आहेसी।
तुझे बळ वांछीती सकळहि कार्यासी।।
जय देव जय देव श्रीशाशिनाथा……..
शंकरगणनाथादिक भूषण मिरवीती।
भाळी मौळी तुजला संतोषे धरिती।
संकटनामचतुर्थीस रूपजन जे करिती।
संतत्ती संपत्ति अंती भवसागर तरती।।
जय देव जय देव श्रीशाशिनाथा……..
केवळ अमृतरूप अनुपम्य वळ्सी।
स्थावर जंगम यांचें जीवन आहेसी।
प्रकाश अवलोकितां मन हे उल्हासी।
प्रसन्न होउनि आतां लावी निजकांसी।।
जय देव जय देव श्रीशाशिनाथा……..
सिंधूतनया बिंदू इंदू श्रीयेचा।
सुकर्तिदायक नायक उड्डगण यांचा।
कुरंगवाहन चंद्र अनुचित हे वाचा।
गोसावीसुत विनवी वर दे मज साचा।।
जय देव जय देव श्रीशाशिनाथा……..
॥बोलो चंद्र देव जी की जय॥
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चंद्र देव जी के मंत्र
* ॐ सों सोमाय नम:।
* ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:।
* ॐ इमं देवा असपत्नं ग्वं सुवध्यं।
* दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम। नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणं ।।
* ॐ भूर्भुव: स्व: अमृतांगाय विदमहे कलारूपाय धीमहि तन्नो सोमो प्रचोदयात्।
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श्री चंद्र देव जी की आरती के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
प्र.1 चंद्र देव कौन है?
उ. श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार चंद्रदेव महर्षि अत्रि जी और अनुसूया जी के पुत्र हैं। ये सर्वमय कहलाते है और सोलह कलाओं से युक्त हैं।
प्र.2 चंद्र देव का मंत्र क्या है?
उ. चंद्र देव जी के मंत्र ऊपर बताए गए हैं।
प्र.3 चंद्रमा का बीज मंत्र क्या है?
उ. ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:।।
प्र.4 चंद्रमा की पत्नी कितनी है?
उ. ब्रह्मा के पुत्र प्रजापति दक्ष और उनकी पत्नी वीरणी की सत्ताईस पुत्रियों से चंद्रदेव जी का विवाह हुआ था।
प्र. 5 चंद्रमा का पुत्र कौन है?
उ. हिंदू ज्योतिष के मुताबिक, बुध को चंद्रमा का पुत्र बताया गया है।
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