आरती

Shri Krishna Ji Ki Aarti – आरती बाल कृष्ण की कीजै, आरती कुंजबिहारी की, श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं, मन में बसाकर तेरी मूर्ति, आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन…

 

Shri Krishna Aarti In Hindi
Shri Krishna Ki Aarti Lyrics

 

भगवान श्रीकृष्‍ण को लड्डू गोपाल भी कहा जाता है। भगवान श्रीकृष्‍ण का जन्‍म यानि कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी बड़ी धूमधाम से मनायी जाती है। भाद्रपद की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। इस दिन व्रत रख कर विधि-विधान के साथ कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा की जाती है। बिना आरती के कृष्‍ण जी की पूजा अधूरी रहती है। हम यहां श्रीकष्‍ण की विभिन्‍न आरतियों के बारे में बता रहे हैं जिसे पढ़कर या गाकर कृष्‍ण पूजा संपन्‍न कर सकते हैं।

 

आरती बाल कृष्ण – श्री बाल कृष्ण जी की आरती

 

आरती बाल कृष्ण की कीजै,

अपना जन्म सफल कर लीजै॥

 

श्री यशोदा का परम दुलारा,

बाबा के अँखियन का तारा।

गोपियन के प्राणन से प्यारा,

इन पर प्राण न्योछावर कीजै॥

॥आरती बाल कृष्ण की कीजै…॥

 

बलदाऊ के छोटे भैया,

कनुआ कहि कहि बोले मैया।

परम मुदित मन लेत बलैया,

अपना सरबस इनको दीजै॥

॥आरती बाल कृष्ण की कीजै…॥

 

श्री राधावर कृष्ण कन्हैया,

ब्रज जन को नवनीत खवैया।

देखत ही मन लेत चुरैया,

यह छवि नैनन में भरि लीजै॥

॥आरती बाल कृष्ण की कीजै…॥

 

तोतली बोलन मधुर सुहावै,

सखन संग खेलत सुख पावै।

सोई सुक्ति जो इनको ध्यावे,

अब इनको अपना करि लीजै॥

॥आरती बाल कृष्ण की कीजै…॥

 

आरती बाल कृष्ण की कीजै,

अपना जन्म सफल कर लीजै॥

॥बोलो कृष्‍ण जी की जय॥

 

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आरती कुंजबिहारी की – श्री गिरिधर कृष्ण जी की आरती

 

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

 

गले में बैजंती माला,

बजावै मुरली मधुर बाला।

श्रवण में कुण्डल झलकाला,

नंद के आनंद नंदलाला।

गगन सम अंग कांति काली,

राधिका चमक रही आली।

लतन में ठाढ़े बनमाली

भ्रमर सी अलक,

कस्तूरी तिलक,

चंद्र सी झलक,

ललित छवि श्यामा प्यारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

 

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

 

कनकमय मोर मुकुट बिलसै,

देवता दरसन को तरसैं।

गगन सों सुमन रासि बरसै।

बजे मुरचंग,

मधुर मिरदंग,

ग्वालिन संग,

अतुल रति गोप कुमारी की,

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥

 

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

 

जहां ते प्रकट भई गंगा,

सकल मन हारिणि श्री गंगा।

स्मरन ते होत मोह भंगा

बसी शिव सीस,

जटा के बीच,

हरै अघ कीच,

चरन छवि श्रीबनवारी की,

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥

 

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

 

चमकती उज्ज्वल तट रेनू,

बज रही वृंदावन बेनू।

चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू

हंसत मृदु मंद,

चांदनी चंद,

कटत भव फंद,

टेर सुन दीन दुखारी की,

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥

 

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

 

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

॥बोलो कृष्‍ण जी की जय॥

 

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श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं – श्री कृष्‍ण जी की आरती

 

श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं,

हे गिरिधर तेरी आरती गाऊं।

आरती गाऊं प्यारे आपको रिझाऊं,

श्याम सुन्दर तेरी आरती गाऊं।

॥ श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं..॥

 

मोर मुकुट प्यारे शीश पे सोहे,

प्यारी बंसी मेरो मन मोहे।

देख छवि बलिहारी मैं जाऊं।

॥ श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं..॥

 

चरणों से निकली गंगा प्यारी,

जिसने सारी दुनिया तारी।

मैं उन चरणों के दर्शन पाऊं।

॥ श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं..॥

 

दास अनाथ के नाथ आप हो,

दुःख सुख जीवन प्यारे साथ आप हो।

हरी चरणों में शीश झुकाऊं।

॥ श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं..॥

 

श्री हरीदास के प्यारे तुम हो।

मेरे मोहन जीवन धन हो।

देख युगल छवि बलि बलि जाऊं।

॥ श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं..॥

 

श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं,

हे गिरिधर तेरी आरती गाऊं।

आरती गाऊं प्यारे आपको रिझाऊं,

श्याम सुन्दर तेरी आरती गाऊं।

॥बोलो कृष्‍ण जी की जय॥

 

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आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन – श्री कृष्‍ण जी की भोग आरती 

 

आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन…

 

दुर्योधन को मेवा त्यागो,

साग विदुर घर खायो प्यारे मोहन,

आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन…

 

भिलनी के बैर सुदामा के तंडुल

रूचि रूचि भोग लगाओ प्यारे मोहन…

आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन…

 

वृदावन की कुञ्ज गली मे,

आओं रास रचाओ मेरे मोहन,

आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन…

 

राधा और मीरा भी बोले,

मन मंदिर में आओ मेरे मोहन,

आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन…

 

गिरी, छुआरा, किशमिश मेवा,

माखन मिश्री खाओ मेरे मोहन,

आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन…

 

सत युग त्रेता दवापर कलयुग,

हर युग दरस दिखाओ मेरे मोहन,

आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन…

 

जो कोई तुम्हारा भोग लगावे

सुख संपति घर आवे प्यारे मोहन,

आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन…

 

ऐसा भोग लगाओ प्यारे मोहन

सब अमृत हो जाये प्यारे मोहन,

आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन…

 

जो कोई ऐसा भोग को खावे

सो त्यारा हो जाये प्यारे मोहन,

आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन…

 

आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन…

॥बोलो कृष्‍ण जी की जय॥

 

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मन में बसाकर तेरी मूर्ति – श्री कृष्‍ण गिरधर आरती 

 

मन में बसाकर तेरी मूर्ति,

उतारू में गिरधर तेरी आरती ॥

मन में बसाकर तेरी मूर्ति,

उतारू में गिरधर तेरी आरती ॥

 

करुणा करो कष्ट हरो ज्ञान दो भगवन,

भव में फसी नाव मेरी तार दो भगवन,

करुणा करो कष्ट हरो ज्ञान दो भगवन,

भव में फसी नाव मेरी तार दो भगवन,

दर्द की दवा तुम्हरे पास है,

जिंदगी दया की है भीख मांगती ।

मन में बसाकर तेरी मूर्ति,

उतारू में गिरधर तेरी आरती ॥

 

मांगु तुझसे क्या में यही सोचु भगवन,

जिंदगी जब तेरे नाम करदी अर्पण,

मांगु तुझसे क्या में यही सोचु भगवन,

जिंदगी जब तेरे नाम करदी अर्पण,

सब कुछ तेरा कुछ नहीं मेरा,

चिंता है तुझको प्रभु संसार की ।

मन में बसाकर तेरी मूर्ति,

उतारू में गिरधर तेरी आरती ॥

 

वेद तेरी महिमा गाये संत करे ध्यान,

नारद गुणगान करे छेड़े वीणा तान,

वेद तेरी महिमा गाये संत करे ध्यान,

नारद गुणगान करे छेड़े वीणा तान,

भक्त तेरे द्वार करते है पुकार,

दास अनिरुद्ध तेरी गाये आरती ।

मन में बसाकर तेरी मूर्ति,

उतारू में गिरधर तेरी आरती ॥

 

मन में बसाकर तेरी मूर्ति,

उतारू में गिरधर तेरी आरती ॥

मन में बसाकर तेरी मूर्ति,

उतारू में गिरधर तेरी आरती ॥

॥बोलो गिरधर कृष्‍ण जी की जय॥

 

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श्री कृष्‍ण जी के मंत्र

 

* ॐ कृष्णाय नमः |

 

* ॐ क्लीं क्लीं क्लीं कृष्णाय नम:।

 

* ॐ श्री कृष्णः शरणं ममः।

 

* ॐ हुं ऐं नम: कृष्णाय।

 

* ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण: प्रचोदयात्।

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श्री कृष्‍ण आरती के कुछ महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न

 

प्र.1 कृष्ण भगवान का प्रिय भोग क्या है?

उ. श्रीकृष्ण का बेहद पसंदीदा भोग माखन है। अगर आप गोपाल कृष्‍ण को खुश करना चाहते हैं तो माखन-मिश्री से अच्छा कोई और भोग नहीं है। श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर प्रसाद में भोग के लिए धनिया की पंजीरी का भोग लगाने से भगवान प्रसन्न होते हैं।

 

प्र.2 कृष्ण जी को कौन सा फल पसंद है?

उ. कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा में माखन-पंजीरी के अलावा खीरा का भी प्रसाद चढ़ाया जाता है।

 

प्र.3 कृष्ण भगवान को क्या क्या चढ़ाना चाहिए?

उ. माखन-मिश्री, पंचामृत, नारियल, सुखे मेवे और धनिया पंजरी का प्रसाद चढ़ाया जाता है। मिठाई में पीले पेड़े, रसगुल्ला, मोहन भोग, मखाना पाग, घेवर, जलेबी, रबड़ी, बूंदी या बेसन के लड्डू, मथुरा के पेड़े आदि चढ़ा सकते है।

 

प्र.4 कृष्ण भगवान को कौन सा फूल?

उ. श्रीकृष्ण भगवान को कुमुद, करवरी, पलाश, मालती के फूल पसंद हैं।

 

प्र.5 कृष्ण भगवान किसका रूप है?

उ. श्रीकृष्ण विष्णु के 8वें अवतार माने गए हैं।

 

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