Maa Lakshmi Chalisa – माँ लक्ष्मी चालीसा, श्री लक्ष्मी चालीसा पढ़ने के फायदे, पाठ करने की विधि और मंत्र
Maa Lakshmi Chalisa Lyrics in Hindi
Shri Laxmi Chalisa in Hindi
Maa Lakshmi Chalisa – पुराणों के अनुसार, देवी लक्ष्मी, भगवान विष्णु की पत्नी हैं। देवी के रूप में लक्ष्मी धन, समृद्धि और पवित्रता की देवी हैं। देवी लक्ष्मी ने दिव्य जगत में स्त्री प्रतिभा की मिसाल कायम की। बता दें कि लोगों के बीच यह धारणा है कि लक्ष्मी के कारण ही दुनिया में धन धन्य वैभव और सम्पदा है। माँ लक्ष्मी धन की देवी है। उनके हाथ में स्वर्ण से भरा कलश है। जिससे माँ लक्ष्मीजी धन की वर्षा करती रहती हैं। ऐसे में लक्ष्मी आरती, लक्ष्मी चालीसा और लक्ष्मी मंत्र का महत्व और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। हम यहां माता लक्ष्मी जी की चालीसा के बारे में बता रहे हैं जिसे पढ़कर आप मां लक्ष्मी जी की चालीसा का पाठ कर सकते हैं और उनकी उपासना कर सकते है।
मां लक्ष्मी चालीसा
॥ दोहा॥
मातु लक्ष्मी करि कृपा, करो हृदय में वास।
मनोकामना सिद्घ करि, परुवहु मेरी आस॥
॥ सोरठा॥
यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं।
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥
॥ चौपाई॥
सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही।
ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही॥
तुम समान नहिं कोई उपकारी।
सब विधि पुरवहु आस हमारी॥
जय जय जगत जननि जगदम्बा।
सबकी तुम ही हो अवलम्बा॥
तुम ही हो सब घट घट वासी।
विनती यही हमारी खासी॥
जगजननी जय सिन्धु कुमारी।
दीनन की तुम हो हितकारी॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी।
कृपा करौ जग जननि भवानी॥
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी।
सुधि लीजै अपराध बिसारी॥
कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी।
जगजननी विनती सुन मोरी॥
ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता।
संकट हरो हमारी माता॥
क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो।
चौदह रत्न सिन्धु में पायो॥
चौदह रत्न में तुम सुखरासी।
सेवा कियो प्रभु बनि दासी॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा।
रुप बदल तहं सेवा कीन्हा॥
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा।
लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥
तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं।
सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥
अपनाया तोहि अन्तर्यामी।
विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥
तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी।
कहं लौ महिमा कहौं बखानी॥
मन क्रम वचन करै सेवकाई।
मन इच्छित वांछित फल पाई॥
तजि छल कपट और चतुराई।
पूजहिं विविध भांति मनलाई॥
और हाल मैं कहौं बुझाई।
जो यह पाठ करै मन लाई॥
ताको कोई कष्ट नोई।
मन इच्छित पावै फल सोई॥
त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि।
त्रिविध ताप भव बंधन हारिणी॥
जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै।
ध्यान लगाकर सुनै सुनावै॥
ताकौ कोई न रोग सतावै।
पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै॥
पुत्रहीन अरु संपति हीना।
अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना॥
विप्र बोलाय कै पाठ करावै।
शंका दिल में कभी न लावै॥
पाठ करावै दिन चालीसा।
ता पर कृपा करैं गौरीसा॥
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै।
कमी नहीं काहू की आवै॥
बारह मास करै जो पूजा।
तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥
प्रतिदिन पाठ करै मन माही।
उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं॥
बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई।
लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥
करि विश्वास करै व्रत नेमा।
होय सिद्घ उपजै उर प्रेमा॥
जय जय जय लक्ष्मी भवानी।
सब में व्यापित हो गुण खानी॥
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं।
तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै।
संकट काटि भक्ति मोहि दीजै॥
भूल चूक करि क्षमा हमारी।
दर्शन दजै दशा निहारी॥
बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी।
तुमहि अछत दुःख सहते भारी॥
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्घि है तन में।
सब जानत हो अपने मन में॥
रुप चतुर्भुज करके धारण।
कष्ट मोर अब करहु निवारण॥
केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई।
ज्ञान बुद्घि मोहि नहिं अधिकाई॥
॥ दोहा॥
त्राहि त्राहि दुख हारिणी, हरो वेगि सब त्रास।
जयति जयति जय लक्ष्मी, करो शत्रु को नाश॥
रामदास धरि ध्यान नित, विनय करत कर जोर।
मातु लक्ष्मी दास पर, करहु दया की कोर॥
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मां लक्ष्मी जी के मंत्र
माता लक्ष्मी का मूल मंत्र
*ऊँ श्रीं क्लीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।*
वैभव लक्ष्मी का मंत्र
*ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:*
मां लक्ष्मी बीज मंत्र
*ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नमः:।।*
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श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ कैसे करें?
- नित्य क्रिया से निर्वृत हो कर स्नान आदि करें।
- स्नान के बाद श्वेत या गुलाबी वस्त्र धारण करें।
- अब पूजा स्थल पर चौकी रखकर साफ़ लाल रेशमी कपड़ा बिछाएं फिर कमल पर बैठी माँ लक्ष्मी की तस्वीर या मूर्ति को रखें। देवी लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की भी एक मूर्ति या तस्वीर रखें।
- अब घी का दीपक जलाएं।
- फिर कुमकुम, गुलाब की सुगंध वाली धूप, कमल का फूल, इत्र, चंदन, अबीर, गुलाल, अक्षत आदि से माँ लक्ष्मी की पूजा करें।
- माँ लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएँ।
- अब सच्चे मन से श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें।
- इसके बाद माता लक्ष्मी की आरती करें।
श्री लक्ष्मी चालीसा पढ़ने के फायदे
- लक्ष्मी चालीसा का रोज पाठ करने से आप पर माता लक्ष्मी जी कृपा बनी रहती है।
- मां लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने से घर में आएगी समृद्धि आती है।
- श्री लक्ष्मी चालीसा पढ़ने से शुक्र ग्रह मजबूत होगा एवं शुक्र की महादशा से बचाव होगा।
- लक्ष्मी चालीसा से बिज़नेस और नौकरी में लाभ होता है।
- माता लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने से आर्थिक लाभ होते हैं।
- लक्ष्मी जी की चालीसा का पाठ करने से नकारात्मकता दूरी होती है और सकारात्मक विचार आते हैं।
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लक्ष्मी माता की चालीसा के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
प्र.1 लक्ष्मी का सरल मंत्र क्या है?
उ. ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नमः।।
प्र.2 लक्ष्मी जी की पूजा करते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?
उ. ऊँ श्रीं क्लीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।
प्र.3 लक्ष्मी जी को क्या क्या चढ़ाना चाहिए?
उ. मां लक्ष्मी को शंख, कौड़ी, कमल का फूल, मखाने, बताशे, खीर और गुलाब का इत्र आदि चढ़ाना चाहिए।
प्र.4 लक्ष्मी जी का प्रिय भोग क्या है?
उ. मां लक्ष्मी को खीर का भोग जरूर लगाना चाहिए। क्योंकि खीर उन्हें सबसे प्रिय है। इसके साथ ही आप सिंघाड़ा, अनार, नारियल, बताशे, पान का पत्ता, हलवा और मखाने का भोग, फल और मिठाई का भोग भी लगा सकते हैं।
प्र.5 लक्ष्मी के कौन कौन से नाम है?
उ. ईश्वरी, कमला, चला, भूति, हरिप्रिया, पद्मा, पद्मालया, संपद्, रमा, श्री, पद्मधारिणी आदि नाम हैं।
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