चिरकुंवारी माँ नर्मदा के अधूरे विवाह और उनके साथ हुए धोखे की अनूठी कथा – Maa Narmada Katha
Maa Narmada Katha in Hindi
नर्मदा जयंती कथा
Story Of Maa Narmada – मॉं नर्मदा नदी के बारे में सभी जानते है पर मॉं नर्मदा के बारे में जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में नहीं जानते होंगे। यह नहीं जानते होंगे कि नर्मदा नदी की शादी हुई या नहीं। अगर आप यह जानते हैं कि मॉ नर्मदा की शादी नहीं हुई पर यह नहीं जानते कि क्यों मॉं नर्मदा की शादी नहीं हुई तो यहाँँ आपको मॉं नर्मदा के शादी नहीं करने के पीछे की कहानी के बारे में बताने जा रहें है।
माँ नर्मदा की कहानी
मॉं नर्मदा नदी की कहानी आजीवन कुंवारी रहने की
मॉं नर्मदा के बारे में कथित है कि वह राजा मैखल की पुत्री थीं। राजा मैखल ने नर्मदा के विवाह योग्य होने पर उनके विवाह की घोषणा करवाई और यह भी कहा कि जो भी व्यक्ति गुलबकावली का पुष्प लेकर आएगा, राजकुमारी से उसका विवाह होगा। तब राजकुमार सोनभद्र ने राजा की गुलबकावली पुष्प की शर्त पूरी की जिससे नर्मदा और सोनभद्र का विवाह तय हो गया।
जब राजकुमारी नर्मदा और राजकुमार सोनभद्र का विवाह तय हुआ नर्मदा अब तक सोनभद्र के दर्शन ना कर पायी थी परन्तु उनके रूप, यौवन और पराक्रम की कथाएं सुनकर ही मन ही मन उन्हें चाहने लगी। विवाह होने में कुछ दिन बचे थे लेकिन नर्मदा से सोनभद्र को देखे बिना रहा नहीं जा रहा था। इसके लिए उन्होंने अपनी सखी जोहिला (यह आदिवासी नदी मंडला के पास बहती है) को अपने संदेश के साथ राजकुमार के पास भेजा।
जोहिला को ठिठोली सुझी। उसने राजकुमारी के वस्त्राभूषण पहने और राजकुमार से मिलने चल पड़ी। जोहिला सोलह श्रृंगार किए हुए, वन का सौन्दर्य लिए नवयुवती थी। उसकी अदाओं ने सोनभद्र को भी मोह लिया। जोहिला जब राजकुमार सोनभद्र के पास पहुंची तो सोनभद्र उसे ही नर्मदा समझने की भूल कर बैठा। लेकिन काफी समय बीत जाने के बाद भी जोहिला वापस नहीं आई तो राजकुमारी नर्मदा को चिंता हुई और वह उसकी खोज में निकल गईं।
माँ नर्मदा सोनभद्र के पास पहुंचीं और वहां जोहिला को उनके साथ देखा। यह देखकर उन्हें अत्यंत क्रोध आने लगा। इसके बाद से ही उन्होंने आजीवन विवाह नहीं करने का प्रण ले लिया और फिर उल्टी दिशा में निकल गई। सोनभद्र को जब अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह भी नर्मदा के पीछे भागे और वापस लौट आने की गुहार लगाई पर नर्मदा नदी फिर वापस नहीं लौटी। रास्ते में कई घनघोर पहाड़ियां और हरे-भरे जंगल आए। पर वह रास्ता बनाते हुए, कल-कल छल-छल का शोर करती बढ़ती गईं और मंडला के आदिमजन इलाके में पहुंचीं।
कहा जाता है कि आज भी कहीं-कहीं नर्मदा की परिक्रमा में उनका करूण विलाप सुनाई पड़ता है। ऐसा माना जाता है कि नर्मदा नदी तभी से अरब सागर में जाकर मिल गई। जबकि अन्य सभी नदियां बंगाल की खाड़ी में मिलती हैं।
कथा का भौगोलिक सत्य देखने को मिलता है कि सचमुच नर्मदा भारतीय प्रायद्वीप की दो प्रमुख नदियों गंगा और गोदावरी से विपरीत दिशा में बहती है यानी पूर्व से पश्चिम की ओर जाती हैं। कहते हैं कि आज भी नर्मदा एक बिंदू विशेष से शोण भद्र से अलग होती दिखाई पड़ती है।
कथा की फलश्रुति यह भी है कि इसीलिए नर्मदा नदी को चिरकुंवारी नदी कहा गया है और ग्रहों के किसी विशेष मेल पर स्वयं गंगा नदी भी यहां स्नान करने आती है। नर्मदा नदी को गंगा से भी पवित्र माना गया है।
कथा का भौगोलिक सत्य में देखने को मिलता है कि जैसिंहनगर के ग्राम बरहा के निकट जोहिला (इस नदी को दुषित नदी मानने के कारण पवित्र नदियों में इसे शामिल नहीं किया जाता) का सोनभद्र नद से बायें तरफ में दशरथ घाट पर मेल होता है और कथा में नाराज नर्मदा कुंवारी और अकेली विपरित दिशा में बहती दिखाई देती है। इलाहाबाद के पूर्वी भाग में रानी और दासी के राजवस्त्र बदलने की कहानी आज भी प्रचलित है।
मॉं नर्मदा नदी की कथा के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
प्र.1 मां नर्मदा की जन्म कथा क्या है?
उ. नर्मदा नदी के धरती पर आगमन को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। एक प्रचलित कथा के अनुसार नर्मदा शिव की पुत्री हैं, भगवान शंकर के अमरकंटक की पहाड़ी पर ध्यान में लीन होने पर पसीने की बूंदों से नर्मदा नदी का जन्म हुआ। भगवान शिव ने नर्मदा मैया को अविनाशी होने के वरदान भी दिया था।
प्र.2 नर्मदा नदी किसकी बेटी है?
उ. पुराणों के अनुसार शिव से ही नर्मदा की उत्पत्ति हुई है। इसलिए उन्हें शिव की पुत्री माना गया है। अन्य कथा के अनुसार वह राजा मैखल की पुत्री थीं।
प्र.3 मां नर्मदा की उत्पत्ति कैसे हुई?
उ. ऐसी मान्यता है कि नर्मदा भगवान शिव के पसीने से एक 12 साल की कन्या रूप में उत्पन्न हुई थीं।
प्र.4 नर्मदा का असली नाम क्या है?
उ.नर्मदा नदी (Narmada River) को स्थानीय रूप से कहीं-कहीं रेवा नदी (Reva River) भी कहा जाता है, नर्मदा नदी भारत की 5वीं व पश्चिम-दिशा में बहने वाली सबसे लम्बी नदी है।
प्र.5 नर्मदा को रेवा क्यों कहा जाता है?
उ. पुराणों के अनुसार, अपने चट्टानी तल से छलांग लगाने की गति (‘रेव’ मूल से) के कारण नर्मदा को रेवा भी कहा जाता है।
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