Navratri Puja – नवरात्री पूजन विधि विधान के अनुसार और सामग्री
Navratri Puja Vidhi In Hindi
Navratri Durga Puja In Hindi
Navratri Puja – यह हिंदू त्योहार देवी दुर्गा और उनके 9 रूपों को समर्पित है। नवरात्रि के नौ दिन मॉं दुर्गा जी के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा होती है। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ रूप हैं – मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कुष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री। नवरात्रि में मॉं दुर्गा की पूजा में कब क्या चढ़ाना होता है यह नहीं पता होता है तो यहाँ हम आपको नवरात्रि में की जाने माता दुर्गा जी की संपूर्ण पूजा विधि बताने जा रहे हैं। जिससे आप पूजा को विधि विधान से कर पाएंगे। नवरात्रि में आप पूजा आप विधि विधान से करना चाहते है तो यहां हमारे द्वारा आपको पूजा विधि के साथ पूजा सामग्री माँ दुर्गा के मंत्र और मॉं दुर्गा को क्या नहीं चढ़ाना चाहिए, इन सबकी जानकारी मिलेगी।
चैत्र वासन्तिक नवरात्रि 2025 तिथि व पूजन मुहूर्त
पहला : माँ शैलपुत्री पूजा, घटस्थापना: 30 मार्च 2025, दिन रविवार
दूसरा : माँ ब्रह्मचारिणी पूजा 01 अप्रैल 2025, दिन बुधवार, मंगलवार
तीसरा : माँ चंद्रघंटा पूजा 01 अप्रैल 2025, दिन बुधवार, मंगलवार
चौथा : माँ कुष्मांडा पूजा 02 अप्रैल 2025, दिन बुधवार
पांचवां : माँ स्कंदमाता पूजा 03 अप्रैल 2025, दिन गुरूवार
छठा : माँ कात्यायनी पूजा 04 अप्रैल 2025, दिन शुक्रवार
सातवां : माँ कालरात्रि पूजा 05 अप्रैल 2025, दिन शनिवार
आठवां : माँ महागौरी दुर्गा महा अष्टमी पूजा 06 अप्रैल 2025, दिन रविवार
नौवां : माँ सिद्धिदात्री दुर्गा महा नवमी पूजा 07 अप्रैल 2025, दिन सोमवार
दसवां : दुर्गा प्रतिमा विसर्जन 08 अप्रैल 2025, दिन मंगलवार
नवरात्रि पूजन सामग्री लिस्ट
- देवी की प्रतिमा या फोटो
- आम की लकड़ी और पत्ते
- चौकी के लिए लाल कपड़ा
- लाल रंग की चुनरी
- कलावा
- मेवे
- जौ
- दही
- पांच मेवा
- लाल चूड़ियां
- सिन्दूर
- चौकी
- नारियल
- कलश
- लाल वस्त्र
- रुई बत्ती
- धूप-अगरबत्ती
- माचिस
- चावल
- कुमकुम
- मौली
- लौंग
- इलायची
- कपूर
- उपले
- फल/मिठाई
- दीपक घी/ तेल
- फूल
- फूलों का माला
- बताशे या मिसरी या चिरोंंजी
- पान
- सुपारी
- श्रृंगार का सामान
- लाल झंडा
- लोबान
- गुगल
- कमल गट्टा
- सुपारी
- कपूर
- हवन कुंड
नवरात्रि दुर्गा पूजा विधि
पहले बतलाये नियम के अनुसार आसन पर बैठ जाये। अपने चारों ओर जल छिड़के और शिखा बॉंधे। उसके बाद तिलक लगाकर आचमन एवं प्राणयाम करें फिर संकल्प करें। अब हाथ में फूल लेकर अंजलि बॉंधकर दुर्गाजी का ध्यान करे। (यदि पहले से प्रतिष्ठित प्रतिमा हो तो आवाहन की जगह पुष्पांजलि दे, नहीं तो दुर्गाजी का आवाहन करें।)
आवाहन
मॉं दुर्गा का पुष्प चढ़ाकर आवाहन करें।
आसन
आवाहन के बाद माता के लिए रत्नमय आसन या फूल समर्पित करे।
पाद्य
इसके बाद मॉं दुर्गा के पैर धोने के लिए जल चढ़ायें।
अर्घ्य
अब चंदन, पुष्प, अक्षत से अर्घ्य दें।
आचमन
अर्घ्य के बाद माँ दुर्गा को कर्पूर मिला हुआ शीतल जल चढ़ायें।
स्नान
आचमन के बाद स्नान कराया जाता है तो पहले मॉं दुर्गा का गंगाजल से स्नान कराये।
स्नानाङ्ग-आचमन
गंगाजल से स्नान के बाद जल चढ़ाये।
दुग्धस्नान
माता को गाय के दूध से स्नान करायें।
दधिस्नान
फिर दूध के स्नान के बाद दही से स्नान करायें।
घृतस्नान
दूध, दही के बाद घी का स्नान करायें।
मधुस्नान
इसके बाद मधु यानी शहद का स्नान करायें।
शर्करास्नान
अब शक्कर का स्नान करायें।
पञ्चामृतस्नान
एक पात्र में दूध, दही, घी, शहद और शक्कर काे मिलाकर पंचामृत से स्नान करायें।
गंधोदक स्नान
मलयचंदन और अगरु मिला हुए जल से स्नान कराये।
शुद्धोदकस्नान
सारी चीजोंं से स्नान कराने के बाद शुद्ध जल से स्नान करायें।
स्नानान्त आचमन
आचमन के लिए जल चढ़ाये।
वस्त्र
धौतवस्त्र, उपवस्त्र और कञ्चुकी निवेदित करे।
आचमन
आचमन के लिए जल चढ़ाये।
सौभाग्यसूत्र
अब आपको मॉं दुर्गा को सौभाग्यसूत्र चढ़ाना है।
चंदन
इसके बाद मलय चंदन लगाना।
हरिद्राचूर्ण
अब हल्दी का चूर्ण चढ़ाये।
कुङ्कुम
कुंकुम चढ़ाये।
सिन्दूर
सिंदूर चढ़ाये।
कज्जल (काजल)
फिर काजल चढ़ाये।
दूर्वाङ्कुर
दूर्वा चढायें।
बिल्वपत्र
अब बिल्वपत्र चढ़ाये।
आभूषण
फिर रत्नाभूषण समर्पित करे।
पुष्पमाला
फूल एवं फूलमाला चढ़ाये।
नानापरिमलद्रव्य
इसके बाद अबीर, गुलाल, हल्दी का चूर्ण चढ़ाना है।
सौभाग्यपेटिका
अब माता को सौभाग्यपेटिका दान करें।
धूप
इसके बाद धूप दिखायें।
दीप
घी का दीप जलाएं फिर उसे मॉं दुर्गा को दिखायें और फिर हाथ धो ले।
नैवेद्य
अब माँ दुर्गा को नैवेद्य निवेदित करे।
आचमनीय आदि
नैवेद्य अर्पित करने के बाद आचमनी से जल चढ़ाना है।
ऋतुफल
इसके बाद कोई भी फल चढ़ाये।
ताम्बूल
फिर दुर्गा मॉं को इलायची, लौंग, सुपारी के साथ पान समर्पित करे।
दक्षिणा
अब माँ दुर्गा को दक्षिणा के रूप में धन चढ़ाये।
आरती
मॉं दुर्गा की कर्पूर से आरती करें और आरती करने के बाद जल को आरती की थाली के चारों ओर घुमाते हुए गिरायें।
प्रदक्षिणा
आरती के बाद अपनी जगह पर परिक्रमा करें।
मन्त्रपुष्पाञ्जलि
इसके बाद माँ दुर्गा पर हाथ में जल और फूल लेकर पुष्पाजंलि अर्पित करें।
नमस्कार
अब मॉं दुर्गा को अपने दोनों हाथ जोड़कर नमस्कार करें और चरणोदक अपने सिर पर लगाये।
क्षमा-याचना
फिर मॉं दुर्गा से प्रार्थना करते हुए पूजा में हुई गलती या कमी के लिए क्षमा मांगे।
अर्पण
अंत में प्रसाद ग्रहण करें और पूजा का समापन करें।
विष्णवे नमः, विष्णवे नमः, विष्णवे नमः।
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Navratri Puja – मां दुर्गा मंत्र
* ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
* या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
* या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
* या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
* सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
* दुर्गे देवि नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थसाधिके।
मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय।।
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Navratri Puja महत्वपूर्ण प्रश्न
प्र.1 नवरात्रि में दुर्गा जी की पूजा कैसे की जाती है?
उ. दुर्गा जी की पूजा विधि ऊपर मंत्रो के साथ दी गई है।
प्र.2 दुर्गा पूजा में होम कैसे करें?
उ. माता दुर्गा के लिए हवन करते समय बीज मंत्र ‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डयै विच्चै नमः’ से 108 बार हवन कुंड में हविष्य अर्पित करें। फिर खीर और शहद मिलाकर इसी मंत्र से हवन कुंड में आहुति दें। अंत में शिवजी और ब्रह्माजी के नाम से आहुति दें।
प्र.3 नवरात्रि में दुर्गा जी की पूजा में क्या नहीं चढ़ाना चाहिए?
उ. दुर्गा मां को तुलसी और दुर्वा भेंट करना शुभ नहीं माना जाता है। नवरात्रि की पूजा में देवी मां को मदार, आक और हरसिंगार के फूल न चढ़ाएं। देवी मां को लाल या पीले फूल ही अपर्ण किए जाते हैं।
प्र.4 मां दुर्गा का प्रिय मंत्र कौन सा है?
उ. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
प्र.5 नवरात्रि में दुर्गा पूजा से पहले क्या होता है?
उ. पूजा के पहले अखंड ज्योति प्रज्वलित कर लें और फिर शुभ मुहूर्त में घट स्थापना करें। अब पूर्व की ओर मुख कर चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और माता का चित्र या मूर्ति स्थापित करें।
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