Shri Ram Ji Ki Aarti – आरती कीजै रामचन्द्र जी की, आरती राम रघुबीर की करहि मन, आरती कीजै श्री रघुवर जी की, ॐ जय जानकीनाथा,
Ram Bhagwan Ki Aarti In Hindi
Shree Ramchandra Ji Ki Aarti
भगवान श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से भी जाने जाते है। श्री राम जी की पत्नि सीता जी थी। चैत्र नवरात्र के नौवें दिन श्री राम जी का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन रामनवमी मनाई जाती है। रामनवमी के दिन श्री राम जी की पूजा की जाती है। जब आप श्री राम जी की पूजा करते है तो उसके साथ ही भगवान राम जी की आरती भी करते है। तो हम यहां श्री रामचंद्र जी की विभिन्न आरतियों के बारे में बता रहे है। इनमें से आप राम जी की कोई भी आरती पढ़ या गा सकते हैं।
आरती कीजै रामचन्द्र जी की – श्री रामचंद्र जी की आरती
आरती कीजै रामचन्द्र जी की।
हरि-हरि दुष्टदलन सीतापति जी की॥
पहली आरती पुष्पन की माला।
काली नाग नाथ लाये गोपाला॥
दूसरी आरती देवकी नन्दन।
भक्त उबारन कंस निकन्दन॥
तीसरी आरती त्रिभुवन मोहे।
रत्न सिंहासन सीता रामजी सोहे॥
चौथी आरती चहुं युग पूजा।
देव निरंजन स्वामी और न दूजा॥
पांचवीं आरती राम को भावे।
रामजी का यश नामदेव जी गावें॥
॥बोलो रामचंद्र जी की जय॥
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ऐसी आरती राम रघुबीर – राम जी की आरती
ऐसी आरती राम रघुबीर की करहि मन।
हरण दुखदुन्द गोविन्द आनन्दघन॥
ऐसी आरती राम रघुबीर की करहि मन॥
अचर चर रुप हरि, सर्वगत, सर्वदा
बसत, इति बासना धूप दीजै।
दीप निजबोधगत कोह-मद-मोह-तम
प्रौढ़ अभिमान चित्तवृत्ति छीजै॥
ऐसी आरती राम रघुबीर की करहि मन॥
भाव अतिशय विशद प्रवर नैवेद्य शुभ
श्रीरमण परम सन्तोषकारी।
प्रेम-ताम्बूल गत शूल सन्शय सकल,
विपुल भव-बासना-बीजहारी॥
ऐसी आरती राम रघुबीर की करहि मन॥
अशुभ-शुभ कर्म घृतपूर्ण दशवर्तिका,
त्याग पावक, सतोगुण प्रकासं।
भक्ति-वैराग्य-विज्ञान दीपावली,
अर्पि नीराजनं जगनिवासं॥
ऐसी आरती राम रघुबीर की करहि मन॥
बिमल हृदि-भवन कृत शान्ति-पर्यंक शुभ,
शयन विश्राम श्रीरामराया।
क्षमा-करुणा प्रमुख तत्र परिचारिका,
यत्र हरि तत्र नहिं भेद-माया॥
ऐसी आरती राम रघुबीर की करहि मन॥
आरती-निरत सनकादि, श्रुति, शेष, शिव,
देवरिषि, अखिलमुनि तत्त्व-दरसी।
करै सोइ तरै, परिहरै कामादि मल,
वदति इति अमलमति दास तुलसी॥
ऐसी आरती राम रघुबीर की करहि मन॥
॥बोलो रामचंद्र जी की जय॥
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आरती कीजै श्री रघुवर जी की – श्री रामचंद्र जी की आरती लिखित में
आरती कीजै श्री रघुवर जी की,
सत चित आनन्द शिव सुन्दर की॥
दशरथ तनय कौशल्या नन्दन,
सुर मुनि रक्षक दैत्य निकन्दन॥
अनुगत भक्त भक्त उर चन्दन,
मर्यादा पुरुषोत्तम वर की॥
निर्गुण सगुण अनूप रूप निधि,
सकल लोक वन्दित विभिन्न विधि॥
हरण शोक-भय दायक नव निधि,
माया रहित दिव्य नर वर की॥
जानकी पति सुर अधिपति जगपति,
अखिल लोक पालक त्रिलोक गति॥
विश्व वन्द्य अवन्ह अमित गति,
एक मात्र गति सचराचर की॥
शरणागत वत्सल व्रतधारी,
भक्त कल्प तरुवर असुरारी॥
नाम लेत जग पावनकारी,
वानर सखा दीन दुख हर की॥
॥बोलो रामचंद्र जी की जय॥
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ॐ जय जानकीनाथा – श्री रामचंद्र (जानकीनाथ) जी की आरती
ॐ जय जानकीनाथा,
जय श्री रघुनाथा ।
दोउ कर जोरें बिनवौं,
प्रभु! सुनिये बाता ॥ ॐ जय..॥
तुम रघुनाथ हमारे,
प्राण पिता माता ।
तुम ही सज्जन-संगी,
भक्ति मुक्ति दाता ॥ ॐ जय..॥
लख चौरासी काटो,
मेटो यम त्रासा ।
निशदिन प्रभु मोहि रखिये,
अपने ही पासा ॥ ॐ जय..॥
राम भरत लछिमन,
सँग शत्रुहन भैया ।
जगमग ज्योति विराजै,
शोभा अति लहिया ॥ ॐ जय..॥
हनुमत नाद बजावत,
नेवर झमकाता ।
स्वर्णथाल कर आरती,
करत कौशल्या माता ॥ ॐ जय..॥
सुभग मुकुट सिर, धनु सर,
कर शोभा भारी ।
मनीराम दर्शन करि,
पल-पल बलिहारी ॥ ॐ जय..॥
जय जानकिनाथा,
हो प्रभु जय श्री रघुनाथा ।
हो प्रभु जय सीता माता,
हो प्रभु जय लक्ष्मण भ्राता ॥ ॐ जय..॥
हो प्रभु जय चारौं भ्राता,
हो प्रभु जय हनुमत दासा ।
दोउ कर जोड़े विनवौं,
प्रभु मेरी सुनो बाता ॥ ॐ जय..॥
॥बोलो रामचंद्र जी की जय॥
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श्री रामचन्द्र कृपालु , रामचंद्र जी की आरती
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भव भय दारुणं|
नव कंजलोचन, कंज – मुख, कर – कंज, पद कंजारुणं॥
कंन्दर्प अगणित अमित छबि नवनील – नीरद सुन्दरं|
पटपीत मानहु तडित रुचि शुचि नौमि जनक सुतवरं॥
भजु दीनबंधु दिनेश दानव – दैत्यवंश – निकन्दंन|
रधुनन्द आनंदकंद कौशलचन्द दशरथ – नन्दनं॥
सिरा मुकुट कुंडल तिलक चारू उदारु अंग विभूषां|
आजानुभुज शर – चाप – धर सग्राम – जित – खरदूषणमं॥
इति वदति तुलसीदास शंकर – शेष – मुनि – मन रंजनं|
मम हृदय – कंच निवास कुरु कामादि खलदल – गंजनं॥
मनु जाहिं राचेउ मिलहि सो बरु सहज सुन्दर साँवरो|
करुना निधान सुजान सिलु सनेहु जानत रावरो॥
एही भाँति गौरि असीस सुनि सिया सहित हियँ हरषीं अली|
तुलसी भवानिहि पूजी पुनिपुनि मुदित मन मन्दिरचली॥
॥बोलो रामचंद्र जी की जय॥
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जगमग जगमग जोत, आरती श्री रामचन्द्र जी की
जगमग जगमग जोत जली है।
राम आरती होन लगी है॥
भक्ति का दीपक प्रेम की बाती।
आरति संत करें दिन राती॥
आनन्द की सरिता उभरी है।
जगमग जगमग जोत जली है॥
कनक सिंघासन सिया समेता।
बैठहिं राम होइ चित चेता॥
वाम भाग में जनक लली है।
जगमग जगमग जोत जली है॥
आरति हनुमत के मन भावै।
राम कथा नित शंकर गावै॥
सन्तों की ये भीड़ लगी है।
जगमग जगमग जोत जली है॥
॥बोलो रामचंद्र जी की जय॥
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श्री रामचन्द्र जी के मंत्र
* राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने ॥
* ॐ दाशरथये विद्महे, सीता वल्लभाय धीमहि, तन्नो रामा: प्रचोदयात्।
* ॐ रामभद्राय नमः।
* श्री रामचन्द्राय नमः।
* ॐ राम ॐ राम ॐ राम ह्रीं राम ह्रीं राम श्रीं राम श्रीं राम – क्लीं राम क्लीं राम। फ़ट् राम फ़ट् रामाय नमः।
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श्री रामचंद्र के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
प्र.1 प्रसिद्ध राम मंत्र क्या है?
उ. रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नमः।
प्र.2 राम जी का भोग क्या है?
उ. आप भगवान राम को बेर, कंदमूल का भोग लगा सकते हैं। इसके अलावा खीर, खोए की मिठाई, केसर भात, कलाकंद, बर्फी, गुलाब जामुन आदि का भी भोग भगवान राम को चढ़ा सकते हैं।
प्र.3 श्री राम का बेटा कौन है?
उ. राम और सीता के दो पुत्र कुश और लव थे।
प्र.4 राम जी की कितनी पत्नियां थी?
उ. प्रभु श्री राम की एकमात्र पत्नी देवी सीता थी।
प्र.5 भगवान राम को कौन सा फूल चढ़ाया जाता है?
उ. भगवान राम को नीला कमल, अरली, गेंदा आदि फूल पसंद है। अगर आपको नीला कमल नहीं मिलता है तो आप कोई भी कमल चढ़ा सकते हैं।
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