Maa Tulsi Chalisa – संपूर्ण तुलसी चालीसा, तुलसी मंत्र, तुलसी चालीसा के लाभ और तुलसी चालीसा का पाठ कैसे करें?
Maa Tulsi Chalisa In Hindi Words
श्री तुलसी चालीसा पाठ
तुलसी पौधे की पूजा की जाती है। तुलसी जी को हिंदू धर्म एक विशेष महत्व दिया गया है। तुलसी जी को सुबह जल चढ़ाना शुभ माना जाता है। पूर्णिमा पर तुलसी जी की पूजा की जाती है। शरद पूर्णिमा पर तुलसी माता जी की विशेष पूजा होती है और कार्तिक मास की एकादशी को तुलसी विवाह किया जाता है। तुलसी जी की पूजा और उनकी चालीसा का पाठ करने से विष्णु जी प्रसन्न होते है क्योंकि भगवान विष्णु जी को तुलसी जी प्रिय है। आप तुलसी जी की पूजा के साथ माता तुलसी जी की चालीसा का पाठ भी कर सकते है। हम यहां मां तुलसी जी की चालीसा के बारे में बता रहे है जिसे पढ़कर आप तुलसी माता जी की अराधना कर सकते है।
मां तुलसी चालीसा
॥ दोहा॥
जय जय तुलसी भगवती सत्यवती सुखदानी।
नमो नमो हरि प्रेयसी श्री वृन्दा गुन खानी॥
श्री हरि शीश बिरजिनी, देहु अमर वर अम्ब।
जनहित हे वृन्दावनी अब न करहु विलम्ब॥
॥ चौपाई॥
धन्य धन्य श्री तलसी माता।
महिमा अगम सदा श्रुति गाता॥1॥
हरि के प्राणहु से तुम प्यारी।
हरीहीँ हेतु कीन्हो तप भारी॥2॥
जब प्रसन्न है दर्शन दीन्ह्यो।
तब कर जोरी विनय उस कीन्ह्यो॥3॥
हे भगवन्त कन्त मम होहू।
दीन जानी जनि छाडाहू छोहु॥4॥
सुनी लक्ष्मी तुलसी की बानी।
दीन्हो श्राप कध पर आनी॥5॥
उस अयोग्य वर मांगन हारी।
होहू विटप तुम जड़ तनु धारी॥6॥
सुनी तुलसी हीँ श्रप्यो तेहिं ठामा।
करहु वास तुहू नीचन धामा॥7॥
दियो वचन हरि तब तत्काला।
सुनहु सुमुखी जनि होहू बिहाला॥8॥
समय पाई व्हौ रौ पाती तोरा।
पुजिहौ आस वचन सत मोरा॥9॥
तब गोकुल मह गोप सुदामा।
तासु भई तुलसी तू बामा॥10॥
कृष्ण रास लीला के माही।
राधे शक्यो प्रेम लखी नाही॥11॥
दियो श्राप तुलसिह तत्काला।
नर लोकही तुम जन्महु बाला॥12॥
यो गोप वह दानव राजा।
शङ्ख चुड नामक शिर ताजा॥13॥
तुलसी भई तासु की नारी।
परम सती गुण रूप अगारी॥14॥
अस द्वै कल्प बीत जब गयऊ।
कल्प तृतीय जन्म तब भयऊ॥15॥
वृन्दा नाम भयो तुलसी को।
असुर जलन्धर नाम पति को॥16॥
करि अति द्वन्द अतुल बलधामा।
लीन्हा शंकर से संग्राम॥17॥
जब निज सैन्य सहित शिव हारे।
मरही न तब हर हरिही पुकारे॥18॥
पतिव्रता वृन्दा थी नारी।
कोऊ न सके पतिहि संहारी॥19॥
तब जलन्धर ही भेष बनाई।
वृन्दा ढिग हरि पहुच्यो जाई॥20॥
शिव हित लही करि कपट प्रसंगा।
कियो सतीत्व धर्म तोही भंगा॥21॥
भयो जलन्धर कर संहारा।
सुनी उर शोक उपारा॥22॥
तिही क्षण दियो कपट हरि टारी।
लखी वृन्दा दुःख गिरा उचारी॥23॥
जलन्धर जस हत्यो अभीता।
सोई रावन तस हरिही सीता॥24॥
अस प्रस्तर सम ह्रदय तुम्हारा।
धर्म खण्डी मम पतिहि संहारा॥25॥
यही कारण लही श्राप हमारा।
होवे तनु पाषाण तुम्हारा॥26॥
सुनी हरि तुरतहि वचन उचारे।
दियो श्राप बिना विचारे॥27॥
लख्यो न निज करतूती पति को।
छलन चह्यो जब पारवती को॥28॥
जड़मति तुहु अस हो जड़रूपा।
जग मह तुलसी विटप अनूपा॥29॥
धग्व रूप हम शालिग्रामा।
नदी गण्डकी बीच ललामा॥30॥
जो तुलसी दल हमही चढ़ इहैं।
सब सुख भोगी परम पद पईहै॥31॥
बिनु तुलसी हरि जलत शरीरा।
अतिशय उठत शीश उर पीरा॥32॥
जो तुलसी दल हरि शिर धारत।
सो सहस्त्र घट अमृत डारत॥33॥
तुलसी हरि मन रञ्जनी हारी।
रोग दोष दुःख भंजनी हारी॥34॥
प्रेम सहित हरि भजन निरन्तर।
तुलसी राधा में नाही अन्तर॥35॥
व्यन्जन हो छप्पनहु प्रकारा।
बिनु तुलसी दल न हरीहि प्यारा॥36॥
सकल तीर्थ तुलसी तरु छाही।
लहत मुक्ति जन संशय नाही॥37॥
कवि सुन्दर इक हरि गुण गावत।
तुलसिहि निकट सहसगुण पावत॥38॥
बसत निकट दुर्बासा धामा।
जो प्रयास ते पूर्व ललामा॥39॥
पाठ करहि जो नित नर नारी।
होही सुख भाषहि त्रिपुरारी॥40॥
॥ दोहा॥
तुलसी चालीसा पढ़ही तुलसी तरु ग्रह धारी।
दीपदान करि पुत्र फल पावही बन्ध्यहु नारी॥
सकल दुःख दरिद्र हरि हार ह्वै परम प्रसन्न।
आशिय धन जन लड़हि ग्रह बसही पूर्णा अत्र॥
लाही अभिमत फल जगत मह लाही पूर्ण सब काम।
जेई दल अर्पही तुलसी तंह सहस बसही हरीराम॥
तुलसी महिमा नाम लख तुलसी सूत सुखराम।
मानस चालीस रच्यो जग महं तुलसीदास॥
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तुलसी माता के मंत्र
* महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी
आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते।।
* ॐ सुभद्राय नमः।
* ॐ सुप्रभाय नमः।
* देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।
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श्री तुलसी चालीसा का पाठ कैसे करें?
- प्रातः स्नान कर तांबे के लोटे में जल भरें।
- फिर उस जल से अच्छे से तुलसी माता को स्नान कराएं।
- फिर माता तुलसी को चंदन या कुमकुम से तिलक लगाएं।
- इसके बाद तुलसी माता को मिष्ठान या दही में चीनी मिलाकर भोग लगाएं।
- तुलसी चालीसा का पाठ करें।
- फिर तुलसी माता की आरती उतारें और सदस्यों के बीच प्रसाद वितरित करें।
श्री तुलसी चालीसा पढ़ने के फायदे
- रोजाना तुलसी चालीसा का पाठ करने से घर में मां लक्ष्मी का आगमन होता है।
- माता तुलसी जी की चालीसा का पाठ विष्णु जी भी प्रसन्न होते है। और उनकी कृपा भी आप पर बनी रहती हे।
- श्री तुलसी चालीसा नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।
- तुलसी चालीसा पढ़ने से सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
- मां तुलसी चालीसा का पाठ करने से मन को शांति और एकाग्रता बढ़ती है।
- तुलसी जी की चालीसा स्वास्थ्य और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
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तुलसी माता की चालीसा के महत्वपूर्ण प्रश्न
प्र.1 तुलसी जी का मंत्र क्या है?
उ. तुलसी जी के मंत्र ऊपर बताये गये हैं।
प्र.2 तुलसी को जल चढ़ाते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?
उ. ऊपर दिए गए मंत्रों मे से कोई भी मंत्र का उच्चारण कर सकते हैं।
प्र.3 प्रतिदिन तुलसी की पूजा कैसे करें?
उ. रोजाना पूजा घर में पूजा के साथ तुलसी जी की भी पूजा करनी चाहिए। तुलसी के पौधे के पास हमेशा गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए। इसी तरह शाम के समय नियमित रुप से तुलसी जी के पास दीपक जरूर जलाना चाहिए।
प्र.4 तुलसी में जल कितने बजे तक चढ़ाना चाहिए?
उ. तुलसी जी में जल सुबह चढ़ाना चाहिए।
प्र.5 तुलसी माता को कैसे खुश करें?
उ. सुबह शाम तुलसी माता के आगे दीपक जलाना चाहिए और उनके मंत्रों का जाप करना चाहिए। इससे तुलसी जी प्रसन्न होती हैं और पूजा करने वाले पर तुलसी माता की विशेष कृपा बनी रहती है।
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