Vishwakarma Chalisa – श्री विश्वकर्म प्रभु वन्दऊं, चरणकमल धरिध्यान। श्री, शुभ, बल अरु शिल्पगुण, दीजै दया निधान॥
Vishwakarma Chalisa Pdf
Shri Vishwakarma Chalisa In Hindi Words
वास्तुकारों, इंजीनियरों, यांत्रिकी, मूर्तिकारों, किसी भी प्रकार के शिल्पकारों, इमारतों आदि के निर्माण कार्य में शामिल लोगों द्वारा अपने उद्यमों में सफलता और समृद्धि के लिए श्रद्धापूर्वक उनकी पूजा की जाती है। भगवान विश्वकर्मा की पूजा वे लोग भी करते हैं जो किसी भी प्रकार की मशीनों और औजारों से काम करते हैं। आप विश्वकर्मा भगवान की पूजा के साथ उनकी चालीसा का पाठ कर सकते है। या आप सिर्फ चालीसा का पाठ करके भी विश्वकर्मा भगवान से अपनी जो भी मनोकामना है उसकी पूर्ति के लिए प्रार्थना कर सकते हैं। विश्वकर्मा चालीसा देवताओं के वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा को समर्पित 40 छंदों का एक भक्ति भजन है। यहां भगवान विश्वकर्मा चालीसा के बारे में बताया जा रहा है जिसे पढ़कर आप विश्वकर्मा जी की उपासना कर सकते हैं।
विश्वकर्मा चालीसा
॥ दोहा॥
श्री विश्वकर्म प्रभु वन्दऊं, चरणकमल धरिध्यान।
श्री, शुभ, बल अरु शिल्पगुण, दीजै दया निधान॥
॥ चौपाई॥
जय श्री विश्वकर्म भगवाना।
जय विश्वेश्वर कृपा निधाना॥1॥
शिल्पाचार्य परम उपकारी।
भुवना-पुत्र नाम छविकारी॥2॥
अष्टमबसु प्रभास-सुत नागर।
शिल्पज्ञान जग कियउ उजागर॥3॥
अद्भुत सकल सृष्टि के कर्ता।
सत्य ज्ञान श्रुति जग हित धर्ता॥4॥
अतुल तेज तुम्हतो जग माहीं।
कोई विश्व मंह जानत नाही॥5॥
विश्व सृष्टि-कर्ता विश्वेशा।
अद्भुत वरण विराज सुवेशा॥6॥
एकानन पंचानन राजे।
द्विभुज चतुर्भुज दशभुज साजे॥7॥
चक्र सुदर्शन धारण कीन्हे।
वारि कमण्डल वर कर लीन्हे॥8॥
शिल्पशास्त्र अरु शंख अनूपा।
सोहत सूत्र माप अनुरूपा॥9॥
धनुष बाण अरु त्रिशूल सोहे।
नौवें हाथ कमल मन मोहे॥10॥
दसवां हस्त बरद जग हेतु।
अति भव सिंधु मांहि वर सेतु॥11॥
सूरज तेज हरण तुम कियऊ।
अस्त्र शस्त्र जिससे निरमयऊ॥12॥
चक्र शक्ति अरू त्रिशूल एका।
दण्ड पालकी शस्त्र अनेका॥13॥
विष्णुहिं चक्र शूल शंकरहीं।
अजहिं शक्ति दण्ड यमराजहीं॥14॥
इंद्रहिं वज्र व वरूणहिं पाशा।
तुम सबकी पूरण की आशा॥15॥
भांति-भांति के अस्त्र रचाए।
सतपथ को प्रभु सदा बचाए॥16॥
अमृत घट के तुम निर्माता।
साधु संत भक्तन सुर त्राता॥17॥
लौह काष्ट ताम्र पाषाणा।
स्वर्ण शिल्प के परम सजाना॥18॥
विद्युत अग्नि पवन भू वारी।
इनसे अद्भुत काज सवारी॥19॥
खान-पान हित भाजन नाना।
भवन विभिषत विविध विधाना॥20॥
विविध व्सत हित यत्रं अपारा।
विरचेहु तुम समस्त संसारा॥21॥
द्रव्य सुगंधित सुमन अनेका।
विविध महा औषधि सविवेका॥22॥
शंभु विरंचि विष्णु सुरपाला।
वरुण कुबेर अग्नि यमकाला॥23॥
तुम्हरे ढिग सब मिलकर गयऊ।
करि प्रमाण पुनि अस्तुति ठयऊ॥24॥
भे आतुर प्रभु लखि सुर-शोका।
कियउ काज सब भये अशोका॥25॥
अद्भुत रचे यान मनहारी।
जल-थल-गगन मांहि-समचारी॥26॥
शिव अरु विश्वकर्म प्रभु मांही।
विज्ञान कह अंतर नाही॥27॥
बरनै कौन स्वरूप तुम्हारा।
सकल सृष्टि है तव विस्तारा॥28॥
रचेत विश्व हित त्रिविध शरीरा।
तुम बिन हरै कौन भव हारी॥29॥
मंगल-मूल भगत भय हारी।
शोक रहित त्रैलोक विहारी॥30॥
चारो युग परताप तुम्हारा।
अहै प्रसिद्ध विश्व उजियारा॥31॥
ऋद्धि सिद्धि के तुम वर दाता।
वर विज्ञान वेद के ज्ञाता॥32॥
मनु मय त्वष्टा शिल्पी तक्षा।
सबकी नित करतें हैं रक्षा॥33॥
पंच पुत्र नित जग हित धर्मा।
हवै निष्काम करै निज कर्मा॥34॥
प्रभु तुम सम कृपाल नहिं कोई।
विपदा हरै जगत मंह जोई॥35॥
जै जै जै भौवन विश्वकर्मा।
करहु कृपा गुरुदेव सुधर्मा॥36॥
इक सौ आठ जाप कर जोई।
छीजै विपत्ति महासुख होई॥37॥
पढाहि जो विश्वकर्म-चालीसा।
होय सिद्ध साक्षी गौरीशा॥38॥
विश्व विश्वकर्मा प्रभु मेरे।
हो प्रसन्न हम बालक तेरे॥39॥
मैं हूं सदा उमापति चेरा।
सदा करो प्रभु मन मंह डेरा॥40॥
॥ दोहा॥
करहु कृपा शंकर सरिस, विश्वकर्मा शिवरूप।
श्री शुभदा रचना सहित, ह्रदय बसहु सूर भूप॥
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विश्वकर्मा भगवान जी के मंत्र
* ॐ विश्वकर्मणे नम:।
* ॐ आधार शक्तपे नम:, ॐ कूमयि नम:, ॐ अनन्तम नम:, पृथिव्यै नम:।
* ऐं ॐ नमो भगवते विश्वकर्मणे मेधा में देहि स्वाहा।
* श्री ॐ नमो भगवते मयाय मेघामे देहि स्वाहा।
* क्लीं ॐ नमो भगवते त्वष्टे मेघांमे देहि स्वाहा।
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श्री विश्वकर्मा चालीसा का पाठ कैसे करें?
- सुबह जल्दी उठें, स्नान करें और साफ़ कपड़े पहनें।
- इसके बाद पूरे स्थान पर पवित्र गंगा जल छिड़कें। पूजा की शुरुआत वेदी पर एक पवित्र पात्र स्थापित करके करें, फिर एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर उस पर विश्वकर्मा की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
- इसके बाद हाथों में फूल और अखंडित चावल के दाने लेकर अपने मन को एकाग्र करें।
- भगवान विश्वकर्मा को फल और मिठाइ का भोग लगाएं।
- सभी दिशाओं में फूल और चावल के दाने बिखेरते हुए चालीसा का जाप करते रहें।
- विश्वकर्मा जी की आरती करें।
- फिर ये प्रसाद सभी वितरित करें।
श्री विश्वकर्मा चालीसा पढ़ने के फायदे
- उद्योगपतियों, निर्माताओं, इंजीनियरों, राजनेताओं, भूमि मालिकों, श्रम बल प्रबंधकों के लिए उनकी परियोजनाओं में सफलता पाने के लिए
- चित्रकारों, मूर्तिकारों, प्रदर्शनीकर्ताओं, वास्तुकारों जैसे कलाकारों के लिए अपने क्षेत्रों में रचनात्मकता और कौशल बढ़ाने के लिए
- बिजनेस और करियर में सफलता के लिए
- नया घर या ऑफिस या कोई अचल संपत्ति खरीदने के लिए
- समस्त वास्तु दोषों के निवारण हेतु
- उद्योग, कारखाने या विनिर्माण इकाई के श्रमिकों, उपकरणों और मशीनरी की सुरक्षा के लिए
- विनिर्माण कार्यबल के कौशल, ज्ञान, रचनात्मकता को बढ़ाने और मशीनों में नए विकास के लिए
- किसी कारखाने, उद्योग या विनिर्माण इकाई की उत्पादन क्षमता, दक्षता, ऑर्डर बढ़ाने के लिए
- मशीनरी और औजारों के सुचारु कामकाज के लिए।
- भगवान विश्वकर्मा की दिव्य कृपा और आशीर्वाद के लिए
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विश्वकर्मा जी की चालीसा के महत्वपूर्ण प्रश्न
प्र.1 विश्वकर्मा जी की पूजा कैसे की जाती है?
उ. पूजा के लिए सबसे पहले पूजा स्थल पर कलश स्थापित करें और फिर चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर विश्वकर्मा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें और माला पहनाएं। इसके बाद हाथ में फूल और अक्षत लेकर ध्यान करें और मंत्र पढ़ें। इसके बाद सभी मशीन व औजार आदि पर तिलक लगाकर रक्षा सूत्र बांधे और प्रणाम करें।
प्र.2 विश्वकर्मा जी का बेटा कौन है?
उ. विश्वकर्मा जी के पांच पुत्र थे। जिनके नाम मनु, मय, त्वष्टा, शिल्पी और दैवज्ञ थे।
प्र.3 विश्वकर्मा पूजा में कौन सा मंत्र पढ़ा जाता है?
उ. भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते समय – ॐ आधार शक्तपे नम: और ॐ कूमयि नम:, ॐ अनन्तम नम:, पृथिव्यै नम: मंत्र का जाप करना चाहिए।
प्र.4 विश्वकर्मा जी की पूजा में क्या क्या लगता है?
उ. सुपारी, रोली, पीला अष्टगंध चंदन, हल्दी, लौंग, मौली, लकड़ी की चौकी, पीला कपड़ा, मिट्टी का कलश, नवग्रह समिधा, जनेऊ, इलायची, इत्र, सूखा गोला, जटा वाला नारियल, धूपबत्ती, अक्षत, धूप, फल, मिठाई, बत्ती, कपूर, देसी घी, हवन कुण्ड, आम की लकड़ी, दही, फूल पूजन सामग्री का उपयोग करें।
प्र.5 विश्वकर्मा जी को कौन सा प्रसाद चढ़ाया जाता है?
उ. भगवान विश्वकर्मा जी को पंचामृत का भोग भी शुभ और अच्छा माना जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार दूध, दही, मिश्री, शहद और देसी घी के भोग से भी भगवान विश्वकर्मा को खुश कर सकते हैं।
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