Hanuman Chalisa Meaning – हनुमान चालीसा हिंदी में अर्थ सहित यहां पढ़ें
Hanuman Chalisa Hindi Translation
Hanuman Chalisa Lyrics In Hindi With Meaning
Hanuman Chalisa Ka Arth – हनुमान जी की प्रार्थना करने के लिए आप हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। हनुमान चालीसा का पाठ करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सारे कष्ट भी दूर करते है। कष्टों और परेशानियोंं से लड़ने की हिम्मत भी मिलती है। हनुमान चालीसा पढ़ने से शनि की साढ़े साती, ढईया से होने वाले दुखों से भी निवारण मिलता है। आप हनुमान चालीसा का पाठ करते है पर किसी-किसी को उसका अर्थ नहीं पता होता है। तो हम आपको अर्थ सहित हनुमान चालीसा का वर्णन करने जा रहे है। जिससे आप हनुमान चालीसा की सभी चौपाईयों का अर्थ सहित पाठ कर पाएंगे।
Hanuman Chalisa Arth In Hindi
दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमन मुकुरु सुधारि। बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि।।
अर्थ:- श्री गुरु महाराज के चरण कमलों की धूलि से अपने मन रूपी दर्पण को पवित्र करके श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूं, जो चारों फल धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला है।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
अर्थ:- हे पवन कुमार! मैं आपको सुमिरन करता हूं। आप तो जानते ही हैं कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है। मुझे शारीरिक बल, सद्बुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और मेरे दुखों व दोषों का नाश कर दीजिए।
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
अर्थ:- हनुमान जी आपकी जय हो! आप ज्ञान और गुण के सागर हो। हे कपीश्वर! आपकी जय हो! तीनों लोकों, स्वर्ग लोक, भूलोक और पाताल लोक में आपकी कीर्ति है।
राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
अर्थ:- प्रभु श्री राम के दूत श्री हनुमान जी की शक्ति अतुलनीय है, आप ही शक्ति का स्रोत हैं। आपको माता अंजनी और पवन पुत्र के नाम से जाना जाता है।
महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।
अर्थ:- श्री हनुमान आप महावीर और सबसे अधिक बलवान हैं, आपके अंग किसी वज्र के समान मजबूत हैं। आपकी आराधना करके खराब बुद्धि और नकारात्मक सोच का नाश होता है और सद्बुद्धि आती है।
कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुण्डल कुँचित केसा।।
अर्थ:- आपका रंग कंचन अर्थात सोने जैसा चमकदार है। आप कानों में कुण्डल और घुंघराले बालों से सुशोभित हैं।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे। कांधे मूंज जनेउ साजे।।
अर्थ:- हनुमानजी के हाथों में गदा एवं ध्वज और कंधे पर मुंज का जनेऊ (मुंज एक प्रकार की घास होती है) आपकी शोभा को और भी बढ़ा देता है।
शंकर सुवन केसरी नंदन। तेज प्रताप महा जग वंदन।।
अर्थ:- आप श्री महादेवजी के अंश हैं और श्री केसरीजी के पुत्र हैं, आपके तेज और प्रताप की वंदना पूरे जग में होती है।
बिद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।।
अर्थ:- हनुमानजी आप ज्ञानी, गुणी और अत्यंत बुद्धिमान हैं। आप हमेशा प्रभु रामजी के कार्य करने के लिए तत्पर रहते हैं।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।।
अर्थ:- श्री राम जी के गुणगान करना और सुनना दोनों ही आपको खूब भाता है। श्री राम, सीता और लखन आपके हृदय में बसे रहते है।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
अर्थ:- आपने अपना बहुत छोटा रूप धारण करके सीता जी को दिखलाया और भयंकर रूप करके लंका को जलाया।
भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचन्द्र के काज संवारे।।
अर्थ:- आपने विकराल रूप धारण करके राक्षसों को मारा और श्री रामचन्द्र जी के उद्देश्यों को सफल बनाया।
लाय सजीवन लखन जियाये। श्री रघुबीर हरषि उर लाये।।
अर्थ:- आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी के प्राण बचाए थे, जिससे श्री रघुवीर ने हर्षित होकर आपको हृदय से लगा लिया।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
अर्थ:- श्री रामचन्द्र ने आपकी बहुत प्रशंसा की और भाई भरत के समान ही प्रिय बताया था।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं।।
अर्थ:- सब लोग आपके साहस और यश का गान करेंगे, यह कहकर रामजी ने आपको गले से लगा लिया।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा।।
अर्थ:- श्री सनक, श्री सनातन, श्री सनन्दन, श्री ब्रह्मा, नारद जी, देवी सरस्वती आदि सभी आपका गुणगान करते हैं।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
अर्थ:- यमराज, कुबेर, सभी दिशाओं के रक्षकगण, कवि, विद्वान आदि आपके पराक्रम और यश का सम्पूर्ण वर्णन कर पाने मे सक्षम नहीं है।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
अर्थ:- आपने सुग्रीव जी को श्रीराम से मिलाकर उपकार किया, और राजपद दिलवाया।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना। लंकेश्वर भए सब जग जाना।।
अर्थ:- आपके मंत्र को विभीषन ने भी माना जिससे जिससे वे लंका के राजा बने, इसको सब संसार जानता है।
जुग सहस्र जोजन पर भानु। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
अर्थ:- जो सूर्य पृथ्वी से सहस्त्र योजन दूर है, उस सूर्य तक आपने पहुंच कर उसे मीठा फल समझकर निगल लिया था।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
अर्थ:- आपने श्री रामचन्द्र जी की अंगूठी मुंह में रखकर समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई आश्चर्य नहीं है।
दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
अर्थ:- संसार में जितने भी कठिन से कठिन काम हो, वो आपकी कृपा से संभव हो जाते है।
राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
अर्थ:- श्री रामचन्द्र जी के द्वार के आप रखवाले है, जिसमें आपकी आज्ञा बिना किसी को प्रवेश नहीं मिलता अर्थात् आपकी इच्छा के बिना राम कृपा दुर्लभ है।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रच्छक काहू को डर ना।।
अर्थ:- सब सुख आपकी शरण में है। अपने भक्तों के आप रक्षक हैं और इसलिए आपके भक्तों को किसी से भी डरने की क्या जरूरत है।
आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै।।
अर्थ:- आपका तेज केवल आप ही संभाल सकते हैं। हे बजरंग बली, आपकी ललकार से तीनों लोक कांपते हैं।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।।
अर्थ:- जहां महावीर हनुमान जी का नाम सुनाई देता है, वहां भूत, पिशाच पास भी नहीं आते।
नासै रोग हरे सब पीरा। जपत निरन्तर हनुमत बीरा।।
अर्थ:- श्री हनुमान जी के नाम का निरंतर जाप करने से व्यक्ति के रोग नष्ट हो जाते हैं। श्री हनुमान जी का नाम दुख और दर्द को हर लेने वाला है।
संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
अर्थ:- संकट के समय जो भी व्यक्ति मन, कर्म, वचन से श्री हनुमान जी का नाम लेता है, उसकी सारी समस्याएं दूर हो जाती है।
सब पर राम तपस्वी राजा। तिन के काज सकल तुम साजा।।
अर्थ:- श्री राम चंद्र जैसे श्रेष्ठ और तपस्वी राजा के श्री हनुमान जी भक्त हैं और उनके सभी कार्यों को सहजता से करते हैं।
और मनोरथ जो कोई लावै। सोई अमित जीवन फल पावै।।
अर्थ:- जो कोई भी प्राणी पर आपकी शरण मे अपनी मनोकामनाएँ लेकर आता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। जिस फल की वह कल्पना भी नहीं करता, वह भी उसे प्राप्त हो जाता है।
चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।।
अर्थ:- आपका यश चारों युगों मे फैला हुआ है । समस्त संसार मे आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाशमान है।
साधु संत के तुम रखवारे।। असुर निकन्दन राम दुलारे।।
अर्थ:- हे प्रभु श्रीराम के दुलारे बजरंगबली जी, आप साधु-संतों की रक्षा करते हैं और दुष्टों, राक्षसों का सर्वनाश करते हैं।
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता।।
अर्थ:- आपको माता जानकी से प्राप्त वरदान के अनुसार, जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते है।
राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।।
अर्थ:- आपके पास सभी दुखों के नाश के लिए राम नाम की औषधि है, आप सदैव भगवान श्रीराम की शरण मे रहें।
तुह्मरे भजन राम को पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै।।
अर्थ:- हे बजरंग बली आपका नाम जपने और भजन करने भर से भगवान श्री राम को प्राप्त किया जा सकता है और उनके जन्म-जन्मांतर के दुख दूर हो जाते हैं।
अंत काल रघुबर पुर जाई। जहां जन्म हरिभक्त कहाई।।
अर्थ:- अपने अंतिम समय में आपकी शरण में जो जाता है वह मृत्यु के बाद भगवान श्री राम के धाम को जाता है और हरी भक्त कहलाता है। इसलिए सभी सुखों का द्वार केवल आपके नाम जपने से ही खुल जाता है।
और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
अर्थ:- हे हनुमान जी! जब आपकी सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते है, फिर अन्य देवता का नाम जपने की क्या जरूरत है।
सङ्कट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
अर्थ:- हे वीर हनुमान जी! जो आपका सुमिरन करता रहता है, उसके सब संकट कट जाते है और सब पीड़ा मिट जाती है।
जय जय जय हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
अर्थ:- हे भगवान हनुमान, आपकी सदा जय हो, जय हो, जय हो। गुरुदेव की तरह आप मुझ पर सदा कृपा करें ।
जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बन्दि महा सुख होई।।
अर्थ:- नित्य सौ बार चालीसा का पाठ करने वाला व्यक्ति सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर परम सुख को प्राप्त कर लेता है।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
अर्थ:- जो कोई भी हनुमान चालीसा का पाठ करेगा, उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। इतना ही नहीं, क्योंकि श्री हनुमान जी महादेव के अंश हैं इसलिए हनुमान चालीसा पढ़ने पर भक्तों को शिव की सिद्धियां भी प्राप्त होंगी और मनुष्य जन्म-मृत्यु के फेर से मुक्त हो जाएगा।
तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।
अर्थ:- तुलसीदास जी कहते हैं, मैं भगवान श्री राम का भक्त हूं बजरंग बली। आप भी मेरे हृदय में आकर बस जाएं।
दोहा
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
अर्थ:- हे संकट को हरने वाले पवन पुत्र हनुमान, आप मंगल मूर्ती स्वरूप है।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
अर्थ:- आप श्री राम, माता सीता और श्री लक्ष्मण सहित मेरे हृदय में बस जाएं।
हनुमान मंत्र
ॐ नमो भगवते आंजनेयाय महाबलाय स्वाहा।
ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकायं हुं फट्।
ॐ हं हनुमते नम:।
ॐ नमो भगवते हनुमते नम:।
हनुमान चालीसा का पाठ कैसे करें?
हनुमान चालीसा का पाठ पूरी विधि विधान से करना होता है। हनुमान चालीसा का पाठ करने से पहले आप सुबह के समय पाठ कर रहे है तो नहा कर चौकी को सजाएं और सीताजी रामजी और हनुमान जी की तस्वीर रखें। हनुमान चालीसा पाठ करने से पहले सामने एक कलश में जल भरकर रख लें और लाल रंग के फूल हनुमान जी को अर्पित करें। हनुमान चालीसा शुरू करने से पहले दीप प्रज्ज्वलित ज़रूर करें। अब आप हनुमान चालीसा पढ़ें और पाठ पूरा करने के बाद बजरंगबली को गुड़ और चने का प्रसाद चढ़ाएं। इस तरह आपका पाठ संपन्न हो जाएगा।
हनुमान चालीसा पढ़ने के फायदे
हनुमान चालीसा पढ़ने से क्या लाभ होता है?
हनुमान चालीसा पढ़ने से आर्थिक परेशानी दूर होती है, शारीरिक और मानसिक शक्ति बढ़ती है। जब कोई अनजान भय सताता है तब भी हनुमान चालीसा पढ़ सकते है। विद्यार्थी रोज हनुमान चालीसा का पाठ करके बुद्धिमानी होते हैं।
हनुमान चालीसा को 7 बार पढ़ने से क्या होता है?
यदि आप दिन में 7 बार हनुमान चालीसा का पाठ 40 दिनों तक कर सकते हैं। तो आपकी कई परेशानियां दूर हो सकती हैं । यदि आप ऐसा हमेशा के लिए जब तक आप कर सकते हैं। तो हनुमान जी अति प्रसन्न होंगे।
21 बार हनुमान चालीसा पढ़ने से क्या होता है?
हनुमान चालीसा 21 बार पढ़ने से धन की घर में वृद्धि होती है।
3 बार हनुमान चालीसा पढ़ने के फायदे
3 बार हनुमान चालीसा पढ़ने से आत्मविश्वास बढ़ता है, नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, रोग से मुक्ति मिलती है और मनोकामना पूर्ण होती है।
प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ने से क्या होता है?
प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ने से तनाव, डर और नकारात्मकता दूर होती है। पूरे दिन ऊर्जावान बने रहते हैं।
मंगलवार को हनुमान चालीसा पढ़ने के फायदे
मंगलवार का दिन हनुमानजी का दिन माना जाता है इस दिन हनुमान चालीसा पढ़ने से हनुमानजी जल्दी प्रसन्न होते हैं। भक्तों के भोग रहे सभी कष्टों को दूर कर देते है और मनोकामनाओं को भी पूरा करते हैं।
हनुमान चालीसा के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
प्र.1 सबसे शक्तिशाली चालीसा कौन सी है?
उ. हनुमान चालीसा को भक्त तुलसीदास जी द्वारा लिखा गया है जिसे बहुत शक्तिशाली माना जाता है। हनुमान चालीसा भगवान हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्तों द्वारा की जाने वाली प्रार्थना हैं जिसमें 40 पंक्तियाँ होती है इसलिए इस प्रार्थना को हनुमान चालीसा कहा जाता है।
प्र.2 1 दिन में कितनी बार हनुमान चालीसा पढ़ना चाहिए?
उ. जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बन्दि महा सुख होई।।
इसका अर्थ है हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करने से व्यक्ति को हर बंधन से मुक्ति मिल जाती है। शास्त्रों के मुताबिक हनुमान चालीसा का पाठ 100 बार करना चाहिए। अगर आप 100 बार नहीं कर पा रहे हैं, तो कम से कम 7, 11 या 21 बार अवश्य करें।
प्र.3 क्या महिलाएं हनुमान चालीसा पढ़ सकती हैं?
उ. बागेश्वर धाम के आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि किसी भी ग्रंथ में यह नहीं लिखा है कि महिलाएं हनुमान जी पूजा नहीं कर सकती है। महिलाएं पूजा भी कर सकती हैं और हनुमान चालीसा भी पढ़ सकती हैं।
प्र.4 हनुमान चालीसा की स्थापना कब और कहाँ हुई थी?
उ. हनुमान चालीसा की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने अकबर के शासनकाल में की थी और इसकी रचना किसी आश्रम में या दरबार में नहीं हुई थी बल्कि हनुमान चालीसा की रचना मुगल शासक अकबर की जेल में हुई थी।
प्र.5 हनुमान चालीसा कब नहीं पढ़ना चाहिए?
उ. किसी अशुभ स्थिति जैसे उद्विग्नता, मातम, क्रोध में नहीं पढ़ना चाहिए।
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